देश में कोविड के मामलों की संख्या 2,00,000 के आसपास पहुंच चुकी है और तकरीबन आधे मरीजों का उपचार किया जा चुका है। इसी के साथ स्वास्थ्य में सुधार की दर बढ़कर 48 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
कोविड के 95,000 से अधिक मरीजों का मंगलवार सुबह तक उपचार किया जा चुका है या उन्हें छुट्टी दी जा चुकी है, जबकि अब तक 5,598 लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड-19 के मामलों में भारत फ्रांस से ठीक पहले दुनिया में सातवें स्थान पर है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि यह तुलना गलत है। जब भी हम तुलना करें, तो हमें अपने देश की जनसंख्या को ध्यान में रखना चाहिए।
आयु विश्लेषण के अनुसार कोविड-19 से संबंधित 50 प्रतिशत मौतों में 60 वर्ष और इससे अधिक आयु वर्ग में आने वाली भारत की 10 प्रतिशत आबादी शामिल रही है। उन्होंने कहा कि 2.82 प्रतिशत मृत्यु दर के साथ कुल मिलाकर भारत का प्रदर्शन स्थिर है और दुनिया में सबसे कम है, जबकि वैश्विक मृत्यु दर 6.13 प्रतिशत है। संयुक्त रूप से भारत जितनी जनसंख्या वाले तकरीबन 14 देशों में कोविड-19 से होने वाली 55.2 गुना ज्यादा मौतें दर्ज हुई हैं। अग्रवाल ने कहा कि प्रति लाख जनसंख्या पर होने वाली मृत्यु भी भारत में 0.41 दर के स्तर पर सबसे कम है, जबकि दुनिया में इसका औसत 4.9 है।
इस सवाल पर कि क्या भारत सामुदायिक प्रसार वाले चरण में है, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की वैज्ञानिक निवेदिता गुप्ता ने कहा कि सामुदायिक प्रसार शब्द का उपयोग करने के बजाय, हमें यह समझना होगा कि यह बीमारी कितनी फैल गई है और अन्य देशों के मुकाबले हम कहां खड़े हैं।
आईसीएमआर इस बीमारी के प्रसार को समझने के लिए एक सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण कर रहा है और इस अध्ययन के तहत तकरीबन 34,000 लोगों की जांच की गई है। निवेदिता ने कहा कि यह अध्ययन अब भी चल रहा है। इस सर्वेक्षण के नतीजे अगले सप्ताह की शुरुआत में हमें पता चल जाएंगे।
आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में की गई 1.2 लाख से अधिक जांच के साथ भारत में अब तक 39 लाख से ज्यादा जांच की जा चुकी हैं। निवेदिता ने यह भी कहा कि देश में होने वाली मौतों की संख्या कम नहीं बताई गई है। सभी मौतों के लिए कोविड को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। अस्पताल यह पता लगाने के लिए समीक्षा कर रहे हैं कि मौत की वजह कोविड है या नहीं।
अग्रवाल ने कहा कि मृत्यु दर में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। देश सुरक्षित हाथों में है और इस बीमारी से निपटने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
चीन ने संक्रमण की जानकारी देर से दी
इस साल जनवरी के पूरे महीने के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन तुरंत जानकारी मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक रूप से चीन सरकार की प्रशंसा करता रहा था लेकिन तथ्य यह है कि चीनी अधिकारियों ने नए वायरस के जीनोम की जानकारी तब जारी की जब एक हफ्ते पहले ही कई देश अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में कोरोनावायरस की आनुवंशिकी का पता लगा चुके थे। चीन ने संक्रमण की जांच के लिए तैयार किट, दवा या टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी।
एसोसिएटेड प्रेस को मिले आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और दर्जनों साक्षात्कार से पता चलता है कि सूचनाओं पर सख्त नियंत्रण और चीन के जन स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर ही प्रतिस्पर्धा की वजह से यह हुआ। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी डब्ल्यूएचओ की जनवरी में हुई कई आंतरिक बैठकों के मुताबिक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने नए वायरस के जीनोम की जानकारी 11 जनवरी को विषाणुरोग एजेंसी की वेबसाइट पर संबंधित सूचना सार्वजनिक किए जाने के बाद दी। इसके बाद भी चीन ने दो हफ्ते से अधिक समय तक डब्ल्यूएचओ को जरूरी जानकारी नहीं दी। हालांकि, सार्वजनिक रूप से डब्ल्यूएचओ चीन की प्रशंसा करता रहा।
एपी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक डब्ल्यूएचओ इस बात को लेकर चिंतित था कि वायरस से दुनिया को खतरे का आकलन करने के लिए चीन पर्याप्त सूचना मुहैया नहीं करा रहा है और इससे कीमती समय बरबाद हो रहा है। एक बैठक में चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी को उद्धृत करते हुए चीन में डब्ल्यूएचओ के शीर्ष अधिकारी डॉ. गौडेन गालिया ने कहा, ‘हम इस स्थिति में हैं कि वे सीसीटीवी पर सूचना प्रसारित होने से महज 15 मिनट पहले वह जानकारी दे रहे हैं।’ भाषा