प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों से कहा कि कोरोनावायरस से बचाव की लड़ाई काफी लंबी है, ऐसे में उन्हें सतर्कता बरतते हुए ग्रामीण क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए और मरीजों तक इलाज की सुविधा पहुंचानी होगी। मोदी ने कहा कि टीकाकरण सामूहिक जिम्मेदारी है और जब भी जिसकी बारी आती है, सभी को टीका जरूर लगवाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘टीके की सुरक्षा के चलते काफी हद तक हमारे अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मी सुरक्षित रहकर लोगों की सेवा कर पाए हैं। यही सुरक्षा कवच आने वाले समय में हर व्यक्ति तक पहुंचेगा।’ प्रधानमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि भले ही उन्हें जनता से आलोचना सुननी पड़े लेकिन उन्हें अपनी पूरी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए क्योंकि यह एक मरहम की तरह कारगर होता है। उन्होंने कहा, ‘अगर नागरिकों को कोई शिकायत है तब उस पर सक्रियता से पहल करना जनप्रतिनिधियों की ही जिम्मेदारी है।’
उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों से कहा कि महामारी के डेटा पर नजर रखना जरूरी है क्योंकि दूसरे भी उनके अनुभवों से लाभ उठा सकते हैं। मोदी ने कहा, ‘मैं चाहूंगा कि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपनी बिरादरी के साथ अपने अनुभवों को साझा करें। प्रशासन को भी अपने अनुभवों के बारे में बताना चाहिए ताकि आगे हर जगह बेहतर तरीके से काम किया जा सके।’
मोदी ने कहा कि बच्चों को कोरोनावायरस से बचाया जाना चाहिए और इस दिशा में विशेष तैयारी की जानी है। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि उत्तर प्रदेश की सरकार इस दिशा में पहले से ही काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने भावुक होकर कहा कि इस महामारी के कारण कई करीबी लोगों की असमय मौत हो गई। उन्होंने कहा, ‘हमारे कई अपनों को इसने हमसे छीना है।’ उन्होंने कोविड को धूर्त, अदृश्य दुश्मन करार देते हुए उन परिवारों के प्रति अपनी सांत्वना व्यक्त की जिनके घर के लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। प्रधानमंत्री ने वाराणसी की काशी कवच टेलीमेडिसन पहल की तारीफ की जिसकी वजह से एक ही मंच पर डॉक्टरों, लैब्स और ई-मार्केटिंग कंपनियों की उपलब्धता होती है। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा कि वे गांवों में कोविड-19 से बचाव की मौजूदा लड़ाई में ‘आशा’ और एएनएम नर्सों की क्षमता और अनुभव का भी ज्यादा से ज्यादा लाभ लें क्योंकि इनकी भूमिका अहम है।’ मोदी ने ब्लैक फंगस को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में नई चुनौती करार देते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए जरूरी सावधानी और इससे जुड़ी चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान देना जरूरी है। जहां बीमार वहीं इलाज के सिद्धांत पर काम करने की आवश्यकता जताते हुए मोदी ने छोटे-छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘घर-घर दवाइयां बांटने के अभियान को ग्रामीण इलाकों में जितना हो सके, उतना व्यापक करना है।’
ब्लैक फंगस के बढ़ रहे मामले
दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं और कोरोना संक्रमण के मामले धीरे-धीरे घटने लगे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में ब्लैक फंगस के अब तक 197 मामले आए हैं, जिसमें कुछ मरीज दिल्ली के बाहर के भी शामिल हैं। अधिकांश मामलों में यह देखने में आ रहा है कि अस्पताल से कोरोना मरीजों की छुट्टी होने के बाद ब्लैक फंगस होने पर वापस आ रहे हैं। जैन ने डॉक्टर की सलाह पर ही स्ट्रॉइड लेने की अपील की। खून में शुगर बढऩे और स्ट्रॉइड लेने से इम्युनिटी कम होने पर ब्लैक फंगस हो रहा है। जिन कोरोना मरीजों को इलाज के दौरान स्ट्रॉइड दिया गया है, वे इसके बंद होने के बाद एक सप्ताह सतर्क रहें और घर से बाहर न निकलें। बीएस