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“मैं किसी को जबरदस्ती 70 घंटे काम करने के लिए नहीं कह रहा हूं”, अपने बयान से पलटे नारायण मूर्ति, अब कही ये बात

मुंबई में इंडियन मर्चेंट्स चैंबर द्वारा आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में 'कंपैशनेट कैपिटलिज्म' विषय पर बोलते हुए मूर्ति ने वर्क लाइफ बैलेंस पर अपनी राय दी।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- January 21, 2025 | 10:54 AM IST

हाल ही में युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने का सुझाव देने के बाद चर्चा में आए इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने अपने बयान का बचाव किया है। बीते सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि काम के लिए किसी पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। मूर्ति ने कहा कि दबाव डालने के इसके बजाय लोगों को अपने काम का खुद “आत्मनिरीक्षण” करना चाहिए और काम के प्रति समर्पण के महत्व के बारे में सोचना चाहिए, ताकि जीवन वे आगे बढ़ सकें।

मुंबई में इंडियन मर्चेंट्स चैंबर द्वारा आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में ‘कंपैशनेट कैपिटलिज्म’ विषय पर बोलते हुए मूर्ति ने अपने करियर के दौरान लंबे समय तक काम करने का अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा किया।

उन्होंने कहा, “मैं सुबह 6.30 बजे ऑफिस पहुंचता था और रात 8.30 बजे घर जाता था। यह सच है। मैंने यह 40 साल से ज्यादा समय तक ऐसे काम किया है।” हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह उनका व्यक्तिगत फैसला था और इसपर सार्वजनिक बहस नहीं होनी चाहिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा “यह ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आदमी खुद सोच सकता है जिससे वह एक फैसले पर पहुंच सकता है। इसके बाद वह जो चाहे अपने हिसाब से कर सकत है।”

यह टिप्पणी लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम के उस सुझाव के बीच आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए।

मूर्ति ने भारत में भयंकर गरीबी का उदाहरण देते हुए कहा कि देश की 60 प्रतिशत आबादी अभी भी हर महीने मुफ्त अनाज पर निर्भर है, इसलिए देश को तेजी से आर्थिक प्रगति की जरूरत है। जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर का हवाला देते हुए, मूर्ति ने कहा कि राष्ट्र तब सफल होते हैं जब वे लोगों में मजबूत आकांक्षाएं, अनुशासन और मूल्यों के साथ संघर्ष करते हैं।

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वर्क लाइफ बैलेंस पर अलग-अलग नजरिया

हाल ही में, आदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने भी काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन रखने पर अपनी राय दी थी। उन्होंने कहा था, “अगर आप जो करते हैं और उसे पसंद करते हैं, तो आपका वर्क लाइफ बैलेंस स्वाभाविक रूप से सही रहेगा।” हालांकि, अदाणी ने यह भी कहा कि लोगों को वर्क लाइफ बैलेंस पर अपने विचार को दूसरों पर थोपने से बचना चाहिए। परिवार के समय के महत्व को उजागर करते हुए अदाणी ने सभी को अपनी परिवारों के साथ कम से कम चार घंटे हर दिन बिताने की सलाह दी। उन्होंने थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा, “नहीं तो बीवी छोड़ कर भाग जाएगी” (आपकी पत्नी आपको छोड़ सकती है)।

इसी तरह, एंकर और शार्क टैंक इंडिया की प्रमुख निवेशक नमिता थापर ने भी वर्क लाइफ बैलेंस का समर्थन किया है। ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू में थापर ने कर्मचारियों से अत्यधिक घंटे काम लेने की इच्छा पर अपनी असहमति व्यक्त की थी।

उन्होंने कहा था, “मैं बिल्कुल असहमत हूं। फाउंडर्स और उच्च स्टेकहोल्डर्स मोटी रकम कमाते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। लेकिन सामान्य आदमी और महिला के लिए उन्हें काम के घंटे निर्धारित होने चाहिए।” बता दें कि नमिता थापर एंफक्योर फार्मास्युटिकल्स की कार्यकारी निदेशक भी हैं।

First Published : January 21, 2025 | 8:45 AM IST