कामगारों को काम और उद्योग-धंधों को दे रहे रफ्तार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 8:12 PM IST

बीएस बातचीत
कोरोनावायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान अपनी सक्रियता के लिए चर्चित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उनकी सरकार अपने घर लौटे करीब 32 लाख प्रवासी कामगारों को प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों में काम दिलाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने संजीव मुखर्जी और अर्चिस मोहन से कहा कि लॉकडाउन खुलने के बाद कोरोना का संक्रमण फैलने का डर है मगर एहतियात बरते जाएं और सरकारी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए तो इसे रोका जा सकता है। प्रमुख अंश:

बीस लाख से ज्यादा कामगार उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटे हैं। इतने सारे लोगों को फायदेमंद रोजगार मुहैया कराने के लिए आपकी क्या योजना है?
ये कामगार प्रदेश पर बोझ नहीं हैं बल्कि प्रदेश के लिए कीमती हैं। अब तक ट्रेन, बस और निजी साधनों से 32 लाख कामगार वापस आ चुके हैं। हमारी सरकार उनके लिए समग्र कार्य योजना पर काम कर रही है। हम प्रदेश की 90 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम एमएसएमई इकाइयों में कम से कम एक अतिरिक्त और अधिकतम 10 कामगारों को काम दिला रहे हैं। इससे रोजगार के 10 लाख से अधिक मौके निकल सकते हैं। साथ ही हमने 11 लाख कामगारों को नौकरियां मुहैया कराने के लिए भारतीय उद्योग संघ, फिक्की, लघु उद्योग भारती और नैशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के साथ समझौते किए हैं।

प्रदेश को आर्थिक रूप से पटरी पर लौटाने के लिए क्या योजना है?
उत्तर प्रदेश में 30 फीसदी से अधिक एमएसएमई उत्पादों का निर्यात होता है और इस मामले में प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। इस क्षेत्र को कोविड-19 महामारी के कारण बहुत नुकसान हुआ है लेकिन केंद्र के राहत पैकेज से इसे दम मिलेगा। आज उत्तर प्रदेश में निवेश का सबसे बेहतर माहौल है और हम उन कंपनियों से बात कर रहे हैं, जो चीन छोड़कर यहां आना चाहती हैं। जर्मनी की जूते बनाने वाली कंपनी फॉन वेक्स आगरा में निवेश करने जा रही है। कंपनी शुरुआत में 110 करोड़ रुपये लगाएगी। हम ऐसी कई कंपनियों से बात कर रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं।

आगे चलकर लॉकडाउन का स्वरूप कैसा होना चाहिए? कुछ राज्यों को लग रहा है कि ट्रेन और बस सेवाएं शुरू की गईं तो वायरस दूरदराज के इलाकों और गांवों तक फैल सकता है?
लॉकडाउन खुलने पर कोरोना का संक्रमण फैलने का डर तो वाकई है। लेकिन अगर हम केंद्र के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करने में कामयाब रहते हैं तो संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

आपकी सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं। कामगारों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाएगी?
कोरोनावायरस संकट के कारण उद्योग की रफ्तार बहुत धीमी हो गई थी। इसी को देखकर हमारी सरकार ने कई श्रम कानून खत्म कर दिए। इन कानूनों के खत्म होने से उत्तर प्रदेश के उद्योग को रफ्तार मिल जाएगी। यह सब बताने के साथ ही मैं एक बार फिर कहूंगा कि कामगारों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। हमारी सरकार कामगारों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्घ है।    
प्रदेश सरकार ने भी मंडी कानून बदला है। आलोचकों का कहना है कि इससे किसान निजी एजेंसियों के शिकंजे में फंस जाएंगे।
हमारी सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने की एक नई व्यवस्था बनाई है। हमने कोरोनावायरस और लॉकडाउन की दिक्कतों को मद्देनजर रखते हुए 53 में से 46 प्रकार के फलों एवं सब्जियों को मंडी में बेचने की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया है। अब किसान इन 46 प्रकार के फलों एवं सब्जियों को स्थानीय स्तर पर या अपने घर के दरवाजे पर ही बेच सकेंगे। किसानों को मंडी फीस नहीं चुकानी पड़ेगी और उनकी आमदनी में इजाफा होगा। इसके साथ ही मंडियों में भीड़भाड़ भी कम होगी। नए नियम के तहत अब किसान अपनी उपज खुद की सहूलियत के हिसाब से किसी कारोबारी या प्रसंस्करण इकाई को अपने खेत में या अन्य किसी जगह पर बेचने को स्वतंत्र होंगे। अगर किसान चाह तो वह अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को भी बेच सकता है। इसके अलावा वे देश में किसी भी जगह अपनी उपज ऑनलाइन बेच सकते हैं।

इस साल गेहूं खरीद कैसी है? आप 2020-21 में 55 लाख टन खरीद के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कितने आश्वस्त हैं?
हमारी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ही 15 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू कर दी थी। यह खरीद तब तक चलेगी, जब तक हम लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते। हम अब तक 329.38 लाख क्विंटल से अधिक गेहूं खरीद चुके हैं। यह केंद्र की तरफ से तय 1,925 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा गया है। हमारी सरकार ने गेहूं खरीदने के लिए राज्य में 5,900 खरीद केंद्र भी खोले हैं। अप्रत्याशित कोविड-19 संकट के दौरान खाद्य विभाग को खरीद केंद्र खोलने और ट्रांसपोर्टरों को लाने में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके समाधान के लिए हमारी सरकार ने ऑनलाइन टोकन व्यवस्था शुरू की। इसमें किसान अपनी खतौनी और आधार कार्ड की सूचना भरकर खुद को खाद्य विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अपनी सहूलियत के हिसाब से तारीख एवं समय के टोकन मिल जाते हैं। इस पोर्टल पर 6,70,000 किसानों ने खुद को पंजीकृत कराया है, जिसमें से 4,18,000 किसान अपनी कृषि उपज का वजन करा चुके हैं। इस व्यवस्था से न केवल सामाजिक दूरी का पालन करना बल्कि किसान के लिए अपने नजदीकी केंद्र पर अपना अनाज बेचना संभव हुआ। इसके अलावा हमने 52 कृषि उपज कंपनियों की मदद से किसानों से गेहूं सीधे उनके खेत से खरीदा है।

First Published : June 4, 2020 | 10:51 PM IST