जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के 14 नेताओं की बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भावनात्मक भाषण के साथ खत्म करते हुए जम्मू-कश्मीर के ‘दिल’ और दिल्ली के बीच की दूरियों को कम करने के वादे की बात की और कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के शासन-प्रशासन में मार्गदर्शन का सिद्धांत, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इंसानियत (मानवीयता), जम्हूरियत (लोकतंत्र) और कश्मीरियत (कश्मीरी पहचान) से जुड़े नजरिये पर ही आधारित होगा।
जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ यह बैठक साढ़े तीन घंटे चली और प्रधानमंत्री ने कुछ आश्वासनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने से पहले सभी को सुना और इस क्षेत्र में अगला कदम आम सहमति और सभी विचारों के सम्मान के आधार पर उठाएं जाएंगे ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया (यानी विधानसभा और अंतत: राज्य के लिए चुनाव हो) की ओर बढ़ा जाए, क्षेत्र का विकास तेजी से जारी रहे और आतंकवाद को जड़ से मिटाने में लोगों द्वारा दिए गए बलिदान व्यर्थ नहीं जाएं।
फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की 5 अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया जब जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को खत्म कर दिया गया था। एक भावनात्मक भाषण में उन्होंने विश्वास खोने के बारे में बात की। एक समाचार एजेंसी ने नैशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी लेकिन कुछ ऐसे फैसलों को पलटना जरूरी है जो जम्मू-कश्मीर के हित में बिल्कुल नहीं हैं। इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया जो लोगों को पसंद नहीं आया। वे जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर काडर बहाल हो।’
पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता रहे और अब सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल हुए मुजफ्फर बेग ने इस बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर का मसला उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ के सामने है। उन्होंने कहा, ‘हमें संभावित नतीजों के लिए माहौल बनाने के बजाय, उच्चतम न्यायालय को इस मामले का समाधान करने देना चाहिए और तब तक इस मुद्दे का इस्तेमाल भावनाओं को भड़काने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।’
बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘सभी नेताओं ने राज्य का दर्जा देने की मांग की। इस मांग पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होनी चाहिए और फिर इसके बाद अन्य मुद्दों का समाधान किया जाएगा। यह संतोषजनक बैठक थी। जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए सबकी तरफ से पूरी तरह सर्वसम्मति थी।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बैठक में सबसे पहले अपनी बात रखी। दरअसल प्रधानमंत्री ने फारुख अब्दुल्ला को बैठक में सबसे पहले अपनी बात रखने के लिए कहा लेकिन उन्होंने आजाद से अपनी बात रखने की गुजारिश कर दी। आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने राज्य का दर्जा बहाल किए जाने, विधानसभा चुनाव के सवाल, जम्मू-कश्मीर के लोगों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा, कश्मीरी पंडितों की वापसी और राजनीतिक बंदियों की रिहाई का मुद्दा उठाया है। महबूबा मुफ्ती ने भी कुछ ऐसी ही चिंता जताई और साथ में यह भी कहा कि सरकार को पाकिस्तान के साथ फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए क्योंकि यह आंशिक रूप से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के लिहाज से जरूरी है। उन्होंने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि जम्मू कश्मीर के घटनाक्रम में पाकिस्तान भी एक साझेदार है बल्कि उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान को इस मामले में इसी तरह शामिल करना चाहिए जैसे कि वह अन्य देशों के साथ संलग्न है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वास बहाली के लिए कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए। गृहमंत्री अमित शाह ने जेल में बंद लोगों के बारे में तथ्य और आंकड़े दिए। उन्होंने जेल में बंद लोगों के मामलों की समीक्षा के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। लेकिन उन्होंने कहा कि कई कैदियों को हत्या, बलात्कार, आतंकी गतिविधियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया था। शाह ने लोकतंत्र में केंद्र की आस्था को दोहराते हुए कहा कि वहां चुनाव कराए जाएंगे लेकिन चुनाव कराने के लिए परिसीमन एक जरूरी कदम था।
सभी दलों ने उपराज्यपाल की भूमिका की तारीफ की जिन्होंने एक प्रेजेंटेशन जम्मू-कश्मीर के विकास से जुड़े कार्यों के बारे में दिया जो अभी जारी हैं और कुछ पाइपलाइन में हैं। इन परियोजनाओं में श्रीनगर और बाकी भारत के बीच अगले साल तक रेल संपर्क कायम करने की परियोजना, जम्मू-कश्मीर का औद्योगिक विकास, सभी जिलों का शत-प्रतिशत विद्युतीकरण और अधिकांश में पेयजल और व्यापक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा तैयार करना शामिल है। यहां दो एम्स संस्थान और मेडिकल कॉलेजों की योजना भी पाइपलाइन में है। इसके अलावा कई ऑक्सीजन संयंत्र भी लगाए गए हैं। साथ ही कोविड-19 टीकाकरण का काम भी रफ्तार से जारी है।
पूर्ण राज्य का दजा्र बहाल हो
कांग्रेस ने बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने, चुनाव कराने और कश्मीरी पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने की मांग की। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के मुताबिक, कांग्रेस की ओर से यह मांग भी उठाई गई कि जमीन एवं रोजगार के मामलों में राज्य के डोमेसाइल की गारंटी दी जाए तथा राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए। इस सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से आजाद, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद शामिल हुए। प्रधानमंत्री के आवास पर हुई बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा, ‘इस बैठक में हमने पांच मुद्दे उठाए हैं। पहला यह कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। दूसरा, वहां चुनाव कराये जाएं।’ उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में बहुत लंबे समय से राज्य के डोमेसाइल के नियम रहे हैं। हमारा यह कहना है कि केंद्र सरकार को गारंटी देनी चाहिए कि जमीन एवं रोजगार को लेकर डोमेसाइल होगा।’ आजाद ने कहा, ‘कश्मीरी पंडित पिछले तीन दशक से बाहर हैं। यह जम्मू-कश्मीर के हर नेता का मौलिक कर्तव्य है कि कश्मीर के पंडितों की वापसी हो। हमसे जो हो सकेगा हम उसमें मदद करेंगे।’ उन्होंने बताया, ‘पांच अगस्त, 2019 के फैसले के बाद जिन राजनीतिक लोगों को बंदी बनाया गया था, उनको सबको रिहा कर दिया जाना चाहिए। यह मांग भी हमने की है।’
कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वचनबद्ध हैं, लेकिन पहले परिसीमन होने दीजिए। परिसीमन के बाद चुनाव भी होंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।’ भाषा