भारतीय रेलवे यात्रियों की संख्या महामारी के पूर्व स्तर पर करने की पूरी तैयारी में है। हालांकि राजस्व कम रहने का अनुमान लगाया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 23) के बजट अनुमान के मुताबिक रेलवे इस साल 8.6 अरब यात्रियों की यात्रा की उम्मीद कर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में रेलवे ने इतने ही यात्रियों का अनुमान लगाया था।
वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान के मुताबिक रेलवे ने वित्त वर्ष 22 में 3.5 अरब यात्रियों की यात्रा का लक्ष्य रखा था। ज्यादा लोगों की यात्रा इस पर निर्भर है कि महामारी खत्म होने के बाद यात्रा बहाल हो जाए। वित्त वर्ष 22 का बजट तैयार किया गया था तो यह एक व्यापक धारणा थी, लेकिन महामारी की दूसरी लहर ने स्थिति खराब कर दी।
राजस्व अनुमान के हिसाब से रेलवे ने यात्री किराये से 61,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। संशोधित अनुमान के हिसाब से देखें तो वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर यह 44,375 करोड़ रुपये रह गया है। वित्त वर्ष 23 में यात्री किराये से राजस्व 58,500 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। यह वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान की तुलना में 2,500 करोड़ रुपये कम है।
पिछले साल के बजट में रेलवे ने उपनगरीय इलाकों के यात्रियों, खासकर मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क से 3,746.02 करोड़ रुपये आने की उम्मीद लगाई थी। इस सेग्मेंट से इस साल के बजट में यात्रियों की संख्या में कमी आए बगैर 2,623.2 करोड़ रुपये आने का अनुमान लगाया गया है।
पिछले साल के बजट के मुताबिक रेलवे को लंबी दूरी के यात्रियों से 57,253.98 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी। लेकिन इस साल के बजट में इसे यात्रियों की संख्या में कमी किए बगैर घटाकर 55,876.8 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
सूचना एवं प्रचार के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह राजस्व अनुमान लगाया गया है। इसे अंतिम नहीं माना जा सकता है।’
रेलवे अब स्पेशल ट्रेन खत्म कर रहा है और महामारी के पहले वाले किराये पर आ रहा है, जिसकी वजह से किराया कम आने का अनुमान है।
पिछले साल नवंबर में रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को तत्काल प्रभाव से मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से स्पेशल का टैग हटाने और किराये का ढांचा महामारी के पूर्व की तरह करने का निर्देश दिया था।
उम्मीद की गई थी कि करीब 1,700 ट्रेनों का किराया पहले के स्तर पर बहाल किया जाएगा। इससे उन मार्गों पर किराये में 15 से 30 प्रतिशत की कमी आएगी, जहां स्पेशल का टैग लागू था।
महामारी के दौरान ज्यादा किराया लेने के लिए रेलवे को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। अधिकारियों ने यह कहकर इसका बचाव किया था कि महामारी के दौरान अनावश्यक यात्राएं कम करने के लिए ऐसा किया गया है।