रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने आज कहा कि ऑफिस प्रॉपर्टी में ऑक्यूपेंसी एवं रिक्तता स्तर पर रियल एस्टेट सलाहकारों द्वारा साझा किए गए निजी आंकड़ों और सूचीबद्ध रीट्स/ कंपनियों द्वारा उपलब्ध आंकड़ों में काफी विसंगतियां पाई गई हैं।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘इंडिया रेटिंग्स द्वारा रेटेड सूचीबद्ध रीट एवं कंपनियों के आंकड़े स्पष्ट तौर पर चिंताओं को बढ़ाने वाले हैं जबकि रियल एस्टेट सलाहकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े काफी भद्दी तस्वीर पेश करते हैं।’
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत के शीर्ष आठ शहरों में ऑफिस रिक्तता का स्तर वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2021 के दौरान 15 फीसदी पर लगभग स्थिर रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 24.4 फीसदी, वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 23.5 फीसदी), मुंबई महानगरीय क्षेत्र (18.9 फीसदी, 18.6 फीसदी), पुणे (9.1 फीसदी, 8.1 फीसदी) और हैदराबाद (6.4 फीसदी, 5.8 फीसदी) के आंकड़ों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। दूसरी ओर बेंगलूरु (वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 6.9 फीसदी, वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 7.9 फीसदी), चेन्नई (5.8 फीसदी, 5.9 फीसदी), कोलकाता (26.4 फीसदी, 29.4 फीसदी) और अहमदाबाद (46.7 फीसदी, 52.6 फीसदी) के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई।
जेएलएल इंडिया के अनुसार, भारत के शीर्ष सात शहरों में रिक्तता का स्तर वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में मामूली वृद्धि के साथ 14.9 फीसदी हो गया जो वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 13.1 फीसदी रहा था। हालांकि, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट या रीट्स ने आंकड़ों में भारी गिरावट की सूचना दी है।
करीब 3.23 करोड़ वर्ग फुट के पट्टा पोर्टफोलियो वाले एम्बैसी रीट ने बताया है कि मार्च के अंत में ऑक्यूपेंसी स्तर एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 390 आधार अंक घटकर 88.9 फीसदी रह गया। जबकि 2.39 करोड़ वर्ग फुट की तैयार परिसंपत्ति के आधार पर माइंडस्पेस रीट का ऑक्यूपेंसी स्तर दिसंबर तिमाही में 350 आधार अंक घटकर 81.8 फीसदी रह गया।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि लोगों के घर से काम करने के कारण भी ऑफिस स्पेस बाजार को तगड़ा झटका लगा है।