उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि वह तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमाओं से लगी कई सड़कों पर विरोध कर रहे किसानों के गतिरोध को सुलझाने के लिए सरकार और किसान संगठनों के देश भर के प्रतिनिधियों वाली एक समिति बना सकता है क्योंकि यह ‘एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।’ हालांकि आंदोलन कर रहे किसानों ने इस सलाह को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून बनाने से पहले इस तरह की समिति बनाई जानी चाहिए थी और अब तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद ही कोई नया पैनल बनाया जाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस संकट के जल्द समाधान की उम्मीद जताते हुए कहा कि चल रहा विरोध प्रदर्शन अपवाद है और यह सिर्फ एक राज्य तक सीमित है। तोमर ने उद्योग निकाय एसोचैम द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘चल रहा विरोध एक अपवाद है और आंदोलन एक राज्य तक ही सीमित है। हम विचार.विमर्श और वार्ताएं कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इसका जल्द समाधान होगा।’
उच्चतम न्यायालय ने जब सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन किसान संगठनों के नाम दीजिए जिन्होंने दिल्ली सीमा को अवरुद्ध किया है, तब उन्होंने कहा कि वह सिर्फ उन लोगों के नाम बता सकते हैं जिनके साथ सरकार की वार्ता चल रही है। मेहता ने कहा, ‘वे भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों के सदस्य हैं जिनके साथ सरकार बात कर रही है। उन्होने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों जैसे कि भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठनों से बातचीत कर रही है और वह उनके नाम अदालत को बताया सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब ऐसा लगता है कि दूसरे लोगों ने किसान आंदोलन पर कब्जा कर लिया है।’ उन्होंने कहा कि किसान और सरकार बातचीत कर रहे हैं और सरकार उनके साथ बातचीत के लिए तैयार है। सोलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, ‘समस्या उनके (किसानों) इस नजरिये में है कि इन कानूनों को खत्म किए बगैर वे बात करने को तैयार नहीं हैं। वे बातचीत के दौरान हां या न के पोस्टर लेकर आए थे। उनके साथ मंत्रीगण बातचीत कर रहे थे और वे किसानों के साथ इस विषय पर चर्चा करना चाहते थे लेकिन किसान संगठनों के नेता कुर्सियां मोड़कर पीठ दिखाते हुए हां या न के पोस्टरों के साथ बैठ गए।’ इन बातों का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने विभिन्न पक्षकारों की ओर से पेश वकीलों से कहा कि वे क्या करने की सोच रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन के पीठ ने कहा, ‘हम इस विवाद को हल करने के लिए एक समिति गठित करेंगे। हम समिति में सरकार और किसानों के संगठनों के सदस्यों को शामिल करेंगे। इसमें देश के अन्य किसान संगठनों के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। आप समिति के लिए प्रस्तावित सदस्यों की सूची दीजिए।’
इस मामले में उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई है जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिए कहा गया है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरुद्ध कर रखी हैं जिसकी वजह से आने-जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा पैदा हो रहा है।
न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किए। वीडियो कॉन्फ्रें स के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने याचियों को निर्देश दिया कि वे विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को भी इसमें पक्षकार बनाएं। न्यायालय इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगी।