अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप | फाइल फोटो
अमेरिका द्वारा प्रवासी नागरिकों के धनप्रेषण पर प्रस्तावित 5 प्रतिशत ‘उत्पाद शुल्क’ से भारतीय प्रवासियों, नीति निर्माताओं और कर विशेषज्ञों को भेदभाव की चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ‘द वन, बिग, ब्यूटीफुल बिल’ में यह प्रस्ताव शामिल है। यह विधेयक अगर पारित हो जाता है तो अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा, जो अपने परिवारों को या भारत में निवेश करने के लिए धन भेजते हैं।
Also Read: विदेशी मुद्रा भंडार में 4.55 अरब डॉलर की बढ़ोतरी, सोने की चमक से बढ़ा भरोसा
विधेयक में प्रवासी नागरिकों द्वारा किए गए सभी सीमा पार धनप्रेषण पर कर लगाने का प्रस्ताव है, जिसमें एच-1बी, एल-1, और एफ-1 वीजा धारकों के साथ ग्रीन कार्ड धारक शामिल हैं। अमेरिकी नागरिकों और वहां के मूल निवासियों को इससे छूट दी गई है। प्रावधान के अनुसार धन प्रेषण करने वालों से यह कर वसूला जाएगा और हर तिमाही ट्रेजरी सचिव को कर भुगतान करने की जिम्मेदारी उनकी होगी। अमेरिका से धनप्रेषण से मिलने वाले धन का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत है। वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका रहने वाले नागरिकों ने 32.9 अरब डॉलर भारत भेजे थे। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में धनप्रेषण से आने वाले कुल धन में अमेरिका से आने वाले धन की हिस्सेदारी 27.7 प्रतिशत है। प्रवासियों के धनप्रेषण से विश्व में सबसे ज्यादा धन भारत में आता है, जो 2010-11 के 55.6 अरब डॉलर से दोगुने से ज्यादा बढ़कर 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर हो गया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन ने कहा कि यह आय पर कर नहीं है, इसलिए यह दोनों देशों के बीच हुए दोहरे कराधान से बचाव समझौते के दायरे में नहीं आ सकता है, जिससे गैर अमेरिकी नागरिकों को टैक्स क्रेडिट से वंचित किया जा सकेगा।
Also Read: DigiYatra: भारत की डिजिटल उड़ान को नई पहचान देने वाला नवाचार
उन्होंने कहा, ‘यह विभेदकारी शुल्क है, जिसमें गैर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया गया है। मुझे उम्मीद है कि भारत इस मसले को अमेरिका के समक्ष उचित तरीके से उठाएगा। अमेरिका ने भेदभाव करने को आधार बनाकर भारत से इक्वलाइजेशन लेवी वापस लेने को कहा है। इस 5 प्रतिशत धनप्रेषण शुल्क से विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आ सकती है।’ भारत सरकार के अधिकारी इस मसले पर सतर्क रुख अपना रहे हैं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह सिर्फ प्रस्ताव है। इस पर हम लोग तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं करना चाहते। देखते हैं कि आगे क्या होता है।’नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि यह प्रस्ताव ग्रीन कार्ड धारकों, वर्क वीजा धारकों और प्रवासी विदेशियों सहित लाखों वैध प्रवासियों को असमान रूप से प्रभावित करता है, जिनमें से कई अपने गृह देशों में निरंतर वित्तीय दायित्व बनाए रखते हैं। अमेरिका के आईटी सेवा उद्योग में काम कर रहे तमाम भारतीयों के लिए यह चिंता का विषय है। इस कर से चिंतित न्यू जर्सी में एक भारतीय आईटी सेवा कंपनी में काम कर रहे भारतीय ने कहा, ‘हम पहले से कर का भुगतान कर रहे हैं, ऐसे में यह अनुचित होगा कि धन खर्च करने के हमारे तरीके पर कर वसूला जाए।’