Donald Trump vs Harvard University: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने देश की मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार (14 अप्रैल) को हार्वर्ड ने साफ कर दिया कि वह ट्रंप प्रशासन की उन मांगों का पालन नहीं करेगा, जिनका उद्देश्य कैंपस में ऐक्टिविज्म को सीमित करना है। इसके बाद सरकार ने यूनिवर्सिटी को मिलने वाली 2.2 अरब डॉलर से ज्यादा के ग्रांट और कॉन्ट्रैक्ट्स पर रोक लगा दी।
शुक्रवार को हार्वर्ड को भेजे गए एक पत्र में ट्रंप प्रशासन ने व्यापक सरकारी और नेतृत्व सुधारों की मांग की। साथ ही, यह भी कहा गया कि यूनिवर्सिटी को “मेरिट-आधारित” एडमिशन और हायरिंग पॉलिसी लागू करनी होगी और साथ ही छात्रों, फैकल्टी और नेतृत्व से जुड़ी विविधता पर उनके विचारों को लेकर एक ऑडिट भी कराना होगा।
इन मांगों में, जो पहले भेजे गए पत्र का अपडेटेड संस्करण हैं, फेस मास्क पहनने पर प्रतिबंध लगाने की बात भी शामिल है — जो स्पष्ट रूप से फिलिस्तीनी का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाती दिखती है। इसके अलावा, सरकार ने यूनिवर्सिटी पर यह दबाव भी डाला है कि वह किसी भी ऐसे छात्र समूह या क्लब को मान्यता या फंडिंग न दे, जो आपराधिक गतिविधियों, गैरकानूनी हिंसा या अवैध उत्पीड़न को बढ़ावा देता हो या उसका समर्थन करता हो।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट एलन गार्बर ने सोमवार को हार्वर्ड समुदाय को लिखे एक पत्र में कहा कि ये मांगे यूनिवर्सिटी के फर्स्ट अमेंडमेंट (प्रथम संशोधन) के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं और “Title VI के तहत सरकार की कानूनी सीमाओं से परे जाती हैं।” जो छात्रों के साथ उनके नस्ल, रंग या राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव करने पर रोक लगाता है।
हार्वर्ड प्रेसिडेंट एलन गार्बर ने लिखा, “कोई भी सरकार—चाहे सत्ता में कोई भी पार्टी हो—यह तय नहीं कर सकती कि निजी विश्वविद्यालय क्या पढ़ाएं, किसे दाखिला दें या नियुक्त करें, और वे किन विषयों पर अध्ययन और शोध करें।” उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी ने यहूदी-विरोधी (Antisemitism) से निपटने के लिए व्यापक सुधार किए हैं।
उन्होंने आगे लिखा, “इन लक्ष्यों को केवल शक्ति प्रदर्शन के जरिए, कानून से परे जाकर हार्वर्ड की शिक्षण व्यवस्था और संचालन के तौर-तरीकों को नियंत्रित करके हासिल नहीं किया जा सकता। अपनी कमियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारना, अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना और अपनी मूल्यों को जीना— यह हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व है, जिसे हमें मिलकर परिभाषित और पूरा करना है।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)