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रूस से व्यापार असंतुलन रहेगा मुद्दा, पीएम मोदी और पुतिन की अहम वार्ता

प्रधानमंत्री मोदी 8 और 9 जुलाई को दो दिवसीय दौरे पर जा रहे मॉस्को, पुतिन के साथ होगी वार्ता

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श्रेया नंदी   
Last Updated- July 07, 2024 | 10:13 PM IST

रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार दूसरे वर्ष बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2023-24 में 57 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसी के साथ यह भारत के लिए कच्चा तेल निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। रूस अब चीन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात साझेदार भी हो गया है। इससे पहले वर्ष 2022-23 में यह चौथे और 2021-22 में 19वें नंबर था। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक रूस के साथ व्यापार घाटा भी चीन के बाद सबसे उच्च स्तर पर है।

यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण तमाम वैश्विक प्रतिबंध झेल रहे रूस के लिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत और रूस के बीच लगातार बातचीत के बावजूद भारत से निर्यात में खास वृद्धि नहीं हुई है। रूस के लिए निर्यात में 35.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। यद्यपि पूंजी की बात करें तो यह निर्यात केवल 4.26 अरब डॉलर का ही रहा।

दूसरी ओर, रूस से आयात 61.24 अरब डॉलर का दर्ज किया गया। यह वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 14 गुना अधिक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में रूस से भारत के आयात में इससे एक साल पहले के मुकाबले 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

रूस से होने वाले कुल आयात में एक तिहाई हिस्सेदारी कच्चे तेल की है। अब सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की 8और 9 जुलाई को होने वाली रूस यात्रा पर टिकी हैं, जहां वह राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मिलेंगे। दो साल पहले यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद मोदी की यह पहली क्रेमलिन यात्रा है।

प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान रूस के पक्ष में व्यापार असंतुलन समेत आर्थिक, गैर-टैरिफ बाधाएं, भुगतान तथा लॉजिस्टिक संबंधी कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। आधिकारिक दौरे से पहले विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि द्विपक्षीय बातचीत में असंतुलित व्यापार प्रमुख मुद्दा रहेगा।

क्वात्रा ने बीते शुक्रवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था, ‘भारत और रूस के द्विपक्षीय व्यापार में वित्तीय वर्ष 2023-24 में तेज वृद्धि हुई है और यह अब 65 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसा भारत और रूस के बीच ठोस ऊर्जा साझेदारी के कारण संभव हुआ है। भारत का निर्यात 4 अरब डॉलर का है जबकि आयात 60 अरब डॉलर का है। इस प्रकार यह बड़ा व्यापार असंतुलन है, जो द्विपक्षीय बातचीत में विचार-विमर्श का मुख्य मुद्दा रहेगा।’

निर्यातकों का कहना है कि लॉजिस्टिक का मुद्दा हल होने और लोकल करेंसी में भुगतान व्यवस्था होने से भारत से रूस के लिए निर्यात में तेजी से वृद्धि होगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय ने कहा कि आधार कमजोर होने के बावजूद रूस के लिए निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘निर्यातकों के समक्ष सबसे बड़ी बाधा लॉजिस्टिक की है। प्रतिबंधों के डर से रूस को सामान भेजने की सीधी व्यवस्था नहीं है, लेकिन चाबहार से आवाजाही शुरू होने से निर्यातकों को कुछ राहत मिल सकती है।’ सहाय ने यह भी कहा कि दोनों देश चेन्नई-व्लादीवोस्तोक समुद्री गलियारे को स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘रूस और भारत के बीच रुपये में भुगतान की योजना के नतीजे मिलने शुरू हो गए हैं। यदि इस समय (मुक्त व्यापार समझौता) एफटीए संधि हो जाती है तो रूस के बाजारों तक हमारी पहुंच आसान हो जाएगी और व्यापार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।’

यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन- रशियन फेडरेशन, कजाखस्तान, बेलारूस, अर्मीनिया और किर्गिस्तान के साथ एफटीए को लेकर बाचतीत पिछले कुछ समय से चल रही है। हालांकि अभी इसे आधिकारिक मुहर लगनी बाकी है। निर्यातकों का कहना है कि यूरेशियाई देशों के साथ एफटीए लागू होने का बहुत अधिक फायदा होगा, क्योंकि ये देशों के औद्योगिक खिलाड़ी आपस में प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं।

First Published : July 7, 2024 | 10:13 PM IST