अमेरिका द्वारा भारत से आयातित 40 सामान पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के प्रस्ताव पर भारत द्विपक्षीय बातचीत की संभावनाएं तलाश रहा है। भारत की ओर से अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों पर डिजिटल सेवा कर (डीएसटी) लगाए जाने के जवाब में अमेरिका ने इस कर का प्रस्ताव किया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि भारत इस समय संबंधित हिस्सेदारों से मुलाकात कर रहा है। साथ ही प्रस्तावित करों के असर का अध्ययन किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘इस मसले पर हम सरकार से सरकार के स्तर पर भी बातचीत कर सकते हैं। यह शुल्क 6 देशों (ऑस्ट्रिया, भारत, इटली, स्पेन, तुर्की, ब्रिटेन) के खिलाफ लगाए जा रहे हैं, न कि सिर्फ भारत पर।’ उन्होंने कहा कि भारत इस प्रस्ताव का अन्य देशों पर पडऩे वाले असर और उनकी तरफ से उठाए जा रहे कदमों पर भी नजर बनाए हुए है।
पिछले महीने अमेरिका ने झींगा, बासमती चावल, सोना सहित कुछ अन्य भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत प्रतिकार कर लगाने का प्रस्ताव किया था। इस प्रतिकार शुल्कों के प्रस्ताव पर प्रतिक्रि या मांगी गई है। 10 मई को इस मसले पर सार्वजनिक सुनवाई होने वाली है। दोनों देशों के नेताओं ने संकेत दिए हैं कि वे व्यापार संबंध और बढ़ाने के मसले पर विचार करेंगे, उसके बाद यह प्रगति हुई है। अमेरिका की वाणिज्य मंत्री कैथरीन ताई, जिन्हें मार्च में अमेरिका का शीर्ष कारोबार वार्ताकार बनाया गया है, ने कहा था कि दोनों देश लंबित द्विपक्षीय मसलों को लेकर बातचीत को इच्छुक हैं।
26 मार्च को आयोजित एक कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, ‘मैंने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री कैथरीन ताई के साथ पहली बातचीत की है। कल हमारी पहली वार्ता बहुत बेहतर रही और हम हम अपनी चर्चा बहुत तेजी से बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। हम बेहतरीन आपसी समझौतों के साथ गैर शुल्क बाधाएं हटाकर अपना व्यापार बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का व्यापार हो सके।’ निर्यातकों ने कहा कि यह ऐसा वक्त नहीं है कि एक दूसरे का विरोध करें और प्रतिकारात्मक कदम उठाया जाए या मसलों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में ले जाया जाए।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक (डीजी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा कि बेहतर यह होगा कि मसलों का आपसी बातचीत के आधार पर समाधान निकाला जाए और अमेरिका के समक्ष यह साफ किया जाए कि डीएसटी विभेदकारी नहीं है।
सहाय ने कहा, ‘अमेरिका को लक्षित करना मकसद नहीं है। हमें इस मसले (डीएसटी) पर बहुपक्षीय सहमति बनानी चाहिए। यह मसला ओईसीडी के सामने भी रखा गया है। दुर्भाग्य से बैठक नहीं हो सकी। बेहतर यह होगा कि इस तरह के करों व वैश्विक रूप से आम राय बनाई जाए, जिसे इसे पूरी दुनिया में लागू किया जा सके। जब बहुपक्षीय स्तर पर फैसला होगा तो देशों को इससे कोई समस्या नहीं होगी।’
विशेषज्ञों का कहना है कि द्विपक्षीय विमर्श सबसे बेहतर तरीका होगा। व्यापार, नियमन और प्रशासन पर वैश्विक सार्वजनिक नीति थिंक और ऐक्शन टैंक, कट्स इंटरनैशनल के महासचिव प्रदीप एस मेहता ने कहा, ‘यह महत्त्वपूर्ण है कि पंचाट के बाहर राह निकाली जाए, जिसकी अनुमति डब्ल्यूटीओ समझौते में भी है। यह सबसे बेहतर रास्ता होगा। अब विवाद निपटान निकाय (डब्ल्यूटीओ में) अधर में है।’
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘इक्वलाइजेशन लेवी को पलटने का कोई सवाल ही नहीं है। जब तक डिजिटल कंपनियों पर कर लगाने को लेकर बहुपक्षीय समाधान नहीं हो जाता, यह आंतरिक कदम है। हकीकत यह है कि ये कंपनियां भारत से भारी मुनाफा कमाती हैं, लेकिन यहां पर किसी कर का भुगतान नहीं करती हैं। इक्वलाइजेशन लेवी सभी देशों के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा कि इस मसले का बहुपक्षीय समाधान समयबद्ध तरीके से निकाला जाए।’
उन्होंने कहा कि यह शुल्क एकतरफा कदम नहीं है और अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं करता, बल्कि सभी गैर प्रवासी इकाइयों पर लागू होता है, जो यहां पर कर नहीं दे रही हैं और यहां से मोटा मुनाफा कमा रही हैं। अधिकारी ने कहा, ‘इसके विपरीत अमेरिका एक देश को चिह्नित कर रहा है, जो विभेदकारी है। वाणिज्य विभाग इस सिलसिले में यूएसटीआर के साथ बातचीत कर रहा है।’
129 से ज्यादा देश बीईपीएस के तहत परंपरागत अंतरराष्ट्रीय कर व्यवस्था पर फिर से काम कर रहे हैं, जिससे कि डिजिटल फर्मों पर कर लगाया जा सके, चाहे उनकी देश में भौतिक उपस्थिति है या नहीं और वे उस देश से मुनाफा कमा रहे हैं।