रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से अनिश्चितता बढ़ रही है। ऐसे में निर्यातकों के पास यूरोप से आने वाले निर्यात ऑर्डर घटने लगे हैं। यह रुझान पिछले एक सप्ताह के दौरान परिधान एवं इंजीनियरिंग उत्पादों में पहले ही नजर आने लगा है। यही रुझान जारी रहा तो आगामी महीनों में कुल निर्यात मांग पर असर पड़ सकता है क्योंकि भारत के लिए यूरोप सबसे बड़ा राष्ट्रीय निर्यात बाजार है।
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन नरेंद्र गोयनका ने कहा कि परिधानों का यूक्रेन और रूस को निर्यात बहुत ज्यादा नहीं होता है, लेकिन युद्ध का यूरोप से आने वाले ऑर्डरों पर भी असर पड़ रहा है।
गोयनका ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यूरोप की कंपनियां उस तरह से ऑर्डर नहीं दे रही हैं, जिस तरह वे युद्ध नहीं होने पर देतीं। इसलिए पिछले सप्ताह से ऑर्डर देने की रफ्तार सुस्त पड़ी है। हमें देखना होगा कि वे ऑर्डर देने में कितनी देरी करते हैं।Ó गोयनका ने कहा, ‘इस समय रूस के साथ हमारा जो कारोबार है, उसका भुगतान फंसा हुआ है। हमें देखना होगा कि आगे कैसी स्थितियां रहती हैं और सब कुछ ठीक होता है ताकि हम फिर से यूरोपीय ऑर्डर हासिल कर सकें। इस समय वे सतर्क हैं। अगर युद्ध लंबा खिंचता है और यूरोपीय देशों में फैलता है तो मुश्किलें पैदा होंगी और ऑर्डरों पर असर पड़ेगा।’
एक कपड़ा निर्यातक ने कहा कि यूरोपीय खरीदार गर्मियों के सीजन के लिए नए ऑर्डर टाल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारतीय कपड़ा निर्यातकों के लिए चीन से इतर गर्मी मुख्य सीजन है, जो गर्मी और सर्दी दोनों सीजन के कपड़ों का उत्पादन करता है। इसलिए अगर ऑर्डर रद्द हुए तो हम ज्यादा प्रभावित होंगे।’ इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात से जुड़े उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि खास तौर पर पूर्वी यूरोप से ऑर्डरों में मंदी आई है। शायद असर तत्काल नहीं दिखे मगर किसी भी निर्यातक के लिए वित्त वर्ष के आखिरी दो महीने बहुत अहम होते हैं क्योंकि इस अवधि को निर्यात के लिए सबसे तगड़ा सीजन माना जाता है। अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘इस अवधि में किसी तरह की अनिश्चितता शायद निर्यातकों के लिए ठीक नहीं रहे।’
रूस और यक्रेन के बीच युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। इससे वित्तीय बाजार लडख़ड़ा रहे हैं और वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो रही है। इस युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी कुछ असर पड़ सकता है। लेकिन जहां तक कारोबार का सवाल है, भारत का इन दोनों देशों के साथ कारोबार बहुत अधिक नहीं है।