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PM मोदी पहुंचे चीन, SCO समिट में दिखेगी दोनों देशों के बीच गर्मजोशी; जिनपिंग संग मुलाकात पर टिकी दुनिया की नजरें

मोदी की यह चीन यात्रा सात साल बाद हो रही है। 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले इस सम्मेलन में कुल 10 सदस्य देशों के नेता शामिल होंगे।

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ऋषभ राज   
Last Updated- August 30, 2025 | 4:43 PM IST

PM Modi China Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन शहर पहुंच चुके हैं। यहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की दो दिन चलने वाली समिट में हिस्सा लेंगे। मोदी की यह चीन यात्रा सात साल बाद हो रही है। 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले इस सम्मेलन में कुल 10 सदस्य देशों के नेता शामिल होंगे। इस दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भी तय है। इस मुलाकात पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि हाल ही में भारत और चीन के रिश्तों में थोड़ी गर्मजोशी देखने को मिली है।

यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत और अमेरिका के बीच कुछ तनातनी चल रही है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं। हालांकि, अमेरिका भारत का अहम रणनीतिक साझेदार है, लेकिन दिल्ली अब बीजिंग से बातचीत का रास्ता भी खुला रखना चाहती है। इसकी वजह साफ है कि भारत अपने विकल्प बढ़ाना चाहता है।

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भारत-चीन रिश्तों में बदलाव

भारत और चीन के रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव चरम पर था। लेकिन अब धीरे-धीरे बातचीत से भरोसा बहाल करने की कोशिशें हो रही हैं। तनाव के बावजूद चीन अभी भी भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। भारत की मैन्युफैक्चरिंग योजनाएं काफी हद तक चीनी सामान और कच्चे माल पर निर्भर रहती हैं।

SCO समिट भी अपने आप में काफी अहम है। इस संगठन की शुरुआत आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए हुई थी। लेकिन अब यह 10 देशों का ऐसा मंच बन गया है, जो पश्चिमी देशों के संगठनों के विकल्प की तरह खड़ा है। भारत इस समिट में शामिल होकर यह संदेश दे रहा है कि वह किसी एक गठबंधन पर पूरी तरह निर्भर नहीं है। बल्कि वह अलग-अलग मंचों पर अपनी मौजूदगी बनाए रखना चाहता है।

हालांकि, भारत और चीन के बीच अब भी कई मुद्दों पर शक-संशय बने हुए हैं। चीन के पाकिस्तान से गहरे सैन्य रिश्ते भारत के लिए चिंता की वजह हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी भी भारत को परेशान करती है। दूसरी तरफ, चीन को लगता है कि भारत से अच्छे रिश्ते अमेरिका के नेतृत्व वाले घेरेबंदी प्रयासों को कमजोर कर सकते हैं। ऐसे में भारत की रणनीति साफ है कि वह पश्चिमी देशों और बीजिंग, दोनों के साथ संतुलन रखकर अपनी ‘बहुपक्षीय नीति’ को और मजबूत करना चाहता है।

First Published : August 30, 2025 | 4:43 PM IST