अंतरराष्ट्रीय

India-China standoff: लद्दाख सीमा से सैनिकों की वापसी शुरू

भारत-चीन सीमा पर टकराव वाले बिंदुओं से सेनाओं की वापसी की प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना

Published by
भाषा   
Last Updated- October 25, 2024 | 10:17 PM IST

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कुछ दिन पहले दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर समझौता हुआ था, जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में बड़ी सफलता है।

सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव वाले दोनों बिंदुओं पर गश्त शुरू होगी और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों को हटाकर अस्थाई ढांचों को नष्ट कर देंगे। उन्होंने कहा कि अंतत: गश्त का स्तर अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर पहुंच सकता है। सैन्य सूत्रों ने बताया कि समझौता रूपरेखा पर पहली बार राजनयिक स्तर पर सहमति बनी थी और फिर सैन्य स्तर की वार्ता हुई।

उन्होंने कहा कि कोर कमांडर स्तर की बातचीत में समझौते के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर काम हुआ। दोनों पक्षों के बीच समझौतों का पालन करते हुए भारतीय सैनिकों ने इन क्षेत्रों से साजो-सामान वापस लाना शुरू कर दिया है। जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था। यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि पिछले कुछ सप्ताह में हुई बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया और इससे 2020 में सामने आए मुद्दों का समाधान निकलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर अपनी द्विपक्षीय बातचीत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर हुए समझौते का समर्थन किया था। पूर्वी लद्दाख के विवाद को लेकर भारत के सतत रुख का जिक्र करते हुए मिस्री ने द्विपक्षीय बैठक के बाद कजान में मीडियाकर्मियों से कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन चैन बहाल होने से द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य होने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह बैठक 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों के समाधान और सैन्य वापसी तथा गश्त समझौते के तुरंत बाद हुई है।’

मालूम हो कि मई-जून 2020 में गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों में झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के लगभग 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी चार जवानों की मौत की बात कही गई थी, लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी। उस घटना के बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर आमने-सामने डटी थीं।

लगातार वार्ताओं ने दिखाया समझौते का रास्ता

उत्तरी सैनय कमांडर लेफि्टनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव वाले बिंदुओं पर विवाद का अंत सैन्य और राजनयिक स्तर पर लगातार संवाद की वजह से हुआ है। अब दोनों देश 2020 से पहले के स्थान पर ही गश्त करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन वार्ताओं के दौरान जिन मुद्दों पर आपसी सहमति बनी थी, उनमें गश्त के साथ-साथ अपने पारंपरिक चरागाहों तक पहुंच का मामला भी शामिल था।

लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘यह महत्त्वपूर्ण है कि बीते 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपने बयान में कहा था कि पिछले कई सप्ताह के दौरान भारतीय और चीनी राजनयिक तथा और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर आपसी बातचीत करते रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इन वार्ताओं का ही परिणाम है कि गश्त संबंधी समझौता अमल में आया और विवाद सुलझने की दिशा में कदम आगे बढ़े।’

मालूम हो कि लद्दाख में सीमा पर 2020 में उभरे टकराव वाले बिंदुओं पर आपसी सहमति से मामले को सुलझाने के लिए भारत और चीन राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘ इन वार्ताओं के कारण ही एक व्यापक आपसी समझ बनी जिसने समझौते की राह दिखाई और जमीनी स्तर पर हालात को सामान्य बनाने में मदद मिली।’

सेना के कमांडर ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान इस मुद्दे को सुलझाने के लिए रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास के महत्त्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम उत्तरी क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए कई एजेंसियां मिलकर आधारभूत ढांचा विकसित करने के अभियान में जुटी हैं, ताकि सीमा पर दूरदराज के क्षेत्रों तक सैन्य पहुंच आसान हो जाए।’

उन्होंने यह भी कहा कि अपने सैन्य बेड़े को मजबूती प्रदान करने के लिए अलग-अलग तरह के हथियार और उपकरण खरीदे जा रहे हैं। साथ ही अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सैन्य साजो-सामान को उन्नत बनाने और उनकी मरम्मत करने का काम चल रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सेना का मेक इन इंडिया पहल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

First Published : October 25, 2024 | 10:17 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)