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India-China: सेना के ड्रोन में नहीं लगेंगे चीन के कलपुर्जे

भारत इस समय अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है, जिससे मानव रहित क्वाडकॉप्टर, लॉन्ग इंड्यूरेंस सिस्टम व अन्य स्वायत्त प्लेटफॉर्मों का ज्यादा इस्तेमाल हो सके।

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एजेंसियां   
Last Updated- August 08, 2023 | 10:34 PM IST

भारत ने मिलिट्री ड्रोन बनाने वाले घरेलू विनिर्माताओं को चीन में बने कलपुर्जों के इस्तेमाल से रोक दिया है। रॉयटर्स द्वारा देखे गए दस्तावेजों और रक्षा व उद्योग से जुड़े चार अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक सुरक्षा संबंधी चिंता के कारण हाल के महीनों में ऐसा किया गया है।

परमाणु अस्त्रों से संपन्न पड़ोसी देशों भारत व चीन में तनाव के बीच यह फैसला लिया गया है। भारत इस समय अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है, जिससे मानव रहित क्वाडकॉप्टर, लॉन्ग इंड्यूरेंस सिस्टम व अन्य स्वायत्त प्लेटफॉर्मों का ज्यादा इस्तेमाल हो सके। भारत का उभरता उद्योग सेना की जरूरतों को पूरी करना चाहता है।

वहीं रक्षा व उद्योग के मुताबिक भारत की सुरक्षा से जुड़े दिग्गज इस बात से चिंतित थे कि ड्रोन से कम्युनिकेशन में अगर चीन के बने कैमरों, रेडियो ट्रांसमिशन और ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर जैसे कलपुर्जों का इस्तेमाल होता है तो इससे खुफिया जानकारी एकत्र करने में चूक की संभावना है।

उपरोक्त उल्लिखित अधिकारियों में से तीन व अन्य छह सरकारी अधिकारियों व उद्योग के दिग्गजों ने रॉयटर्स से बातचीत में यह जानकारी देते हुए मामले की संवेदनशीलता के कारण अपना नाम सार्वजनिक करने से इनकार किया। इस सिलसिले में रक्षा मंत्रालय ने रॉयटर्स के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत 2020 से ही चरणबद्ध तरीके से निगरानी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा रहा है और इसे सैन्य निविदाओं के माध्यम से लागू किया जा रहा है।

ड्रोन टेंडरों के बारे में बात करने के लिए फरवरी व मार्च में हुई बैठक में भारतीय सेना के अधिकारियों ने निविदा में शामिल होने वालों से कहा कि भारत की भौगोलिक सीमा से जुड़े देशों के उपकरण या कलपुर्जों को सुरक्षा कारणों से स्वीकार नहीं किया जाएगा। रॉयटर्स ने इस बैठक का ब्योरा देखा है।

इस ब्योरे में सेना के उन अधिकारियों का उल्लेख नहीं किया गया है।  एक निविदा दस्तावेज के मुताबिक जिन प्रणालियों में सुरक्षा संबंधी खामियां हो सकती हैं, जिसमें महत्त्वपूर्ण सैन्य आंकड़ों के साथ समझौता हो सकता है उन वेंडरों से कहा गया है कि वे कल-पुर्जों के मूल देश का खुलासा करें।

रक्षा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि पड़ोसी देश का परोक्ष रूप से मतलब चीन से ही है। उन्होंने कहा कि साइबर हमलों की चिंता के बावजूद भारत का उद्योग दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था पर निर्भर हो गया है। वहीं चीन ने साइबर हमलों में शामिल होने से इनकार किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कथित खतरों को विफल करने के लिए भारत की ड्रोन क्षमता बढ़ाने को कहा है। विवादित सीमा पर चीन के साथ हाल के वर्षों में सैन्य भिड़ंत भी हो चुकी है। भारत ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए 2023-24 में 1.6 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया है, जिसमें से 75 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए आरक्षित है।

सरकार व उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि चीन के कल पुर्जों पर प्रतिबंध के कारण विनिर्माताओं को अन्य जगहों से कलपुर्जे मंगाने के विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं। बेंगलूरु स्थित न्यूस्पेस रिसर्च ऐंड टेक्नोलॉजिज के संस्थापक समीर जोशी ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में 70 प्रतिशत वस्तुएं चीन में बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में अगर हम किसी पोलिश व्यक्ति की बात करें तो उसके पास भी चीन से कलपुर्जे आ रहे हैं।’ जोशी ने कहा कि अगर गैर चीनी कलपुर्जों का इस्तेमाल होता है तो लागत नाटकीय रूप से बहुत ज्यादा हो जाएगी।

 

First Published : August 8, 2023 | 10:34 PM IST