अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.1 फीसदी कर दिया। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023 की मार्च तिमाही में उम्मीद से बेहतर वृद्धि रफ्तार का हवाला देते हुए यह पहल की है।
IMF ने अप्रैल में जारी अपने विश्व आर्थिक परिदृश्य के ताजा अपडेट में कहा कहा है, ‘वित्त वर्ष 2024 में भारत की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है जो अप्रैल के अनुमान के मुकाबले 0.2 फीसदी अधिक है। यह वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में दमदार घरेलू निवेश के कारण उम्मीद से बेहतर वृद्धि रफ्तार को दर्शाती है।’
वित्त वर्ष 2023 की मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.1 फीसदी पर विश्लेषकों की उम्मीद से बेहतर थी। उस दौरान विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में विस्तार ने सबको अचंभित कर दिया। अनुमान जाहिर करने वाले अधिकतर पेशेवरों ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 से 6.5 की वृद्धि दर्ज करेगी।
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आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को संशोधित करते हुए 6 फीसदी कर दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 फीसदी होगी।
IMF ने भी 2023 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी अपने वृद्धि परिदृश्य को 20 आधार अंक बढ़ाकर 3 फीसदी कर दिया है। साथ ही अमेरिका के लिए 20 अंकों और ब्रिटेन के लिए 70 आधार अंकों का संशोधन किया गया है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में अब संकुचन की आशंका नहीं है, मगर जर्मनी एकमात्र ऐसी प्रमुख अर्थव्यवस्था है जो 0.3 फीसदी अनुमानित संकुचन के साथ मंदी से जूझ रही है।
IMF ने आगाह किया कि मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है। उसने कहा है कि यदि यूक्रेन युद्ध में तेजी, खराब मौसम आदि के झटके आगे भी जारी रहेंगे तो इसमें वृद्धि भी हो सकती है। IMF का मानना है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में अप्रैल 2023 के अनुमान से अधिक वृद्धि करेगा और 2024 में वह करीब 5.6 फीसदी की ऊंचाई तक पहुंच सकती है।
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चीन के बारे में IMF ने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था सुधार सुधार के बाद अपनी रफ्तार खो रही है। मगर IMF ने उसके लिए अपने वृद्धि अनुमान को 5.2 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। IMF ने कहा है कि विश्व व्यापार की वृद्धि 2022 में 5.2 फीसदी थी जो घटकर 2023 में 2 फीसदी रहने और 2024 में बढ़कर 3.7 फीसदी होने की उम्मीद है।
यह 2000 से 2029 के बीच औसत 4.9 फीसदी से काफी कम है। IMF ने कहा है कि 2023 में गिरावट से न केवल वैश्विक मांग के रुख का पता चलता है बल्कि अमेरिकी डॉलर में मजबूती के प्रभाव, बढ़ती व्यापार बाधाएं आदि की झलक मिलती है।