विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक बहुपक्षीय प्रणाली ‘गतिरोध’ का सामना कर रही है और राष्ट्रों के गठजोड़ नई वास्तविकता को गढ़ेंगे। जयशंकर ने रायसीना डॉयलॉग की पैनल परिचर्चा में कहा कि व्यापार से जुड़े वैश्विक नियमों में गड़बड़ियां हुई हैं। जयशंकर ने सालाना बहुपक्षीय भूराजनीतिक कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘कई देशों ने अपने लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रणाली का इस्तेमाल किया है। इससे हमारे समक्ष आजकल कई चुनौतियां खड़ी हुई हैं।’
जयशंकर ने बहुपक्षीय प्रणाली और संयुक्त राष्ट्र में सुधार के मुद्दे पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय 50 देश थे लेकिन आज इसमें देशों की संख्या चार गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में सुधार हो। मंत्री ने कहा कि बहुपक्षवाद में ‘सामान्य मुद्दों पर सबसे कम ध्यान’ दिया जाता है और देशों अपने राष्ट्रीय हितों के अनुकूल जोड़-तोड़ व प्रतिस्पर्धाएं करते रहेंगे।
मंत्री ने कहा कि बीते दशक में अनेक देशों के समूहों और वैश्विक भागीदारी की शुरुआत की गई लेकिन इनसे बहुपक्षवाद कमजोर हुआ है। उदाहरण के दौर पर भारत विभिन्न क्षेत्रों में 36 विभिन्न वैश्विक गठजोड़ और समूहों का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, ‘वहां पर गतिरोध पैदा हो गया है। लिहाजा हरेक अपने हिसाब से काम कर रहा है, अपने दोस्तों को ढूंढ़ रहा है, अपना समूह बना रहा है, अपने ही मुद्दों को उठा रहा है और नई वास्तविकताएं गढ़ रहा है। लिहाजा वहां कम संयम व अनुशासन होगा। वह कई हिस्सों में बंटा होगा लेकिन कारगर होगा।’
मंत्री ने कहा कि देशों को धीरे-धीरे करके समूह बनाने होंगे और इनसे बदलाव आएगा। उन्होंने कहा, ‘आपको कई मुद्दों पर अलग देशों के समूह मिलेंगे और आपको लंबे समय तक एक बिंदु पर पहुंचने तक उनके साथ रहना होगा और इस दौरान निरंतर आगे बढ़ते रहना होगा।’
तंजानिया के विदेश मंत्री यूसुफ मकाम्बा ने कहा कि भारत द्वारा वृद्धिशील समझौते किए जाने से नया सिस्टम बनाने में मदद मिलेगी और यह ग्लोबल साउथ के लिए कार्य करेगा।
उन्होंने कहा, ‘इनसे उचित परिणाम मिल रहे है और हमारे (ग्लोबल साउथ) लिए कारगर भी हैं। हो सकता है कि नया सिस्टम नए ब्लॉक बनाएगा जो उचित होगा।’
इस परिचर्चा में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर बिन गर्गश ने कहा कि यूक्रेन संकट के दौरान कई वीटो का इस्तेमाल हुआ। यह आम सहमति में अभाव को दर्शाता है और प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए वैश्विक प्रणालियां कारगर नहीं होंगी। उन्होंने कहा, ‘इस सिस्टम का क्षरण हो चुका है। कुछ नया करने की हमारी क्षमता कम हो रही है।’
नीदरलैंड के विदेश मंत्री हैंके ब्रुइन्स स्लॉट ने भी ऐसी ही राय व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में और देशों को शामिल करने का आह्वान किया।
बोलीविया के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज क्विरोगा ने कहा कि दक्षिण अमेरिका के साथ कारोबार के संबंध में अमेरिका और यूरोप के दरवाजे बंद हैं। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी संसद के माध्यम से व्यापार समझौता नहीं कर सकते हैं।
अब ट्रंप नहीं हैं लेकिन यह अमेरिकी की संसद कांग्रेस का काम करने का तरीका है। हमने दक्षिण अमेरिका में यूरोप से व्यापार समझौते के लिए मानवता के इतिहास में सबसे अधिक समय 25 वर्ष तक बातचीत की है। यह अभी भी नहीं हो पाया है। चीन व्यापार के लिए तैयार है। चीन दक्षिण अमेरिका से ऊर्जा और खाद्य सामग्री खरीद रहा है।’
जयशंकर ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद भी रूस के साथ घनिष्ठ संबंध पर कहा कि भारत को अमेरिका के साथ साझा आधार नहीं मिल सकता है। जयशंकर ने कहा, ‘आज के इस मुद्दे से हर कोई सहमत होगा कि कुछ कल्पना है। प्रतिस्पर्धा वास्तविक तथ्य है। कैम्प पॉलिटिक्स असलियत है।’