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Golden Dome: ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक मिसाइल तक… हर हमले का जवाब, जानें ट्रंप के मिसाइल डिफेंस सिस्टम की 10 खास बातें

Golden Dome System: राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि उनके टीम ने इस फ्यूचरिस्टिक डिफेंस सिस्टम की रूपरेखा (architecture) को फाइनल कर लिया है।

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मानसी वार्ष्णेय   
Last Updated- May 21, 2025 | 10:35 AM IST

Golden Dome: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने मंगलवार को अपने नए मिसाइल डिफेंस सिस्टम “Golden Dome” के प्लान की डिटेल्स शेयर कीं। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब $175 बिलियन बताई गई है। ट्रंप ने कहा कि ये सिस्टम अमेरिका की पहली ऐसी हथियार प्रणाली (Weapon System) होगी जो स्पेस में तैनात की जाएगी, और अगले तीन साल में ये ऑपरेशनल हो जाएगी – यानी उनके कार्यकाल के अंत तक।

राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि उनके टीम ने इस फ्यूचरिस्टिक डिफेंस सिस्टम की रूपरेखा (architecture) को फाइनल कर लिया है। उन्होंने इसका ऐलान जनवरी में व्हाइट हाउस लौटने के कुछ ही दिनों बाद किया था। तब उन्होंने कहा था कि ये सिस्टम रूस और चीन जैसे देशों से आने वाले “next-generation” खतरे, जैसे कि बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज़ मिसाइलों, से अमेरिका को बचाने के लिए बनाया जाएगा।

ट्रंप ने इस प्रोजेक्ट के लिए US Space Force के जनरल Michael Guetlein को प्रोग्राम मैनेजर नियुक्त किया है। उन्हें राष्ट्रपति के सैन्य प्लानिंग का भरोसेमंद व्यक्ति माना जा रहा है।

इस “Golden Dome” को तैयार करने का टारगेट ट्रंप ने अपने कार्यकाल के अंत तक रखा है, ताकि अमेरिका को एयर से आने वाले खतरों से पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।

व्हाइट हाउस की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, “Golden Dome हमारे देश की सुरक्षा करेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि कनाडा ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है और उसका हिस्सा बनने की बात कही है।

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के ऑफिस की तरफ से बताया गया कि वो और उनके मंत्री अमेरिका के साथ एक नई सिक्योरिटी और इकनॉमिक रिलेशनशिप पर चर्चा कर रहे हैं।

पीएमओ ने ये भी कहा, “इन बातों में NORAD को मजबूत करना और इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स जैसे Golden Dome को भी शामिल किया गया है।”

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जानें Golden Dome System के बारे में-

Golden Dome System एक ऐसा मिसाइल सुरक्षा प्रणाली होगी जो ज़मीन और अंतरिक्ष दोनों जगह से काम करेगी। इसका उद्देश्य दुश्मन के मिसाइलों को पहचानना, उनका पीछा करना और उन्हें नष्ट करना है – चाहे वह मिसाइल उड़ान भरने वाला हो या पहले से हवा में हो।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह सिस्टम अमेरिका की सुरक्षा और अस्तित्व के लिए बहुत ज़रूरी है। जब यह पूरी तरह बन जाएगा, तब यह दुनिया के किसी भी कोने से छोड़े गए मिसाइल को रोक सकेगा – चाहे वह अंतरिक्ष से ही क्यों न छोड़ा गया हो।

Golden Dome का लक्ष्य बहुत बड़ा है। ट्रंप ने बताया कि यह सिस्टम ज़मीन, समंदर और अंतरिक्ष में अगली पीढ़ी की तकनीक का उपयोग करेगी, जिसमें अंतरिक्ष से निगरानी करने वाले सेंसर और मिसाइल रोकने वाले इंटरसेप्टर शामिल होंगे।

अमेरिका के रक्षा प्रमुख पीट हेगसेथ ने बताया कि Golden Dome का डिज़ाइन पहले से मौजूद ज़मीनी सुरक्षा प्रणालियों के साथ जोड़ा जाएगा। इसका मकसद अमेरिका को क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक मिसाइल और ड्रोन जैसे खतरों से बचाना है – चाहे वे पारंपरिक हों या परमाणु हथियार वाले।

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जानें ‘Golden Dome’ Defense से जुड़ी 10 जरूरी बातें…

1. कितनी आएगी लागत?

इस सिस्टम की कुल लागत $500 अरब डॉलर से ज़्यादा हो सकती है, ऐसा Congressional Budget Office का अनुमान है। ट्रंप ने अभी तक शुरुआत में $25 अरब डॉलर देने की बात कही है और आगे चलकर यह योजना लगभग $175 अरब डॉलर तक पहुँच सकती है।

2. यह कब तक पूरा होगा?

ट्रंप का कहना है कि यह सिस्टम तीन साल में, यानी उनके कार्यकाल के अंत तक चालू हो जाएगा। लेकिन Forbes के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का खर्च अगले 20 सालों में धीरे-धीरे किया जाएगा।

3. इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कौन करेगा?

अमेरिका की Space Force के General Michael Guetlein इस पूरे मिशन की कमान संभालेंगे। वो एक चार-स्टार जनरल हैं और 2021 से Space Force में हैं। इससे पहले उन्होंने 30 साल तक Air Force में काम किया।

4. Golden Globe का मकसद क्या है?

यह सिस्टम अमेरिका को मिसाइल और ड्रोन हमलों से बचाने के लिए बनाया जा रहा है। ट्रंप के अनुसार, कनाडा भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होने की इच्छा रखता है क्योंकि वे भी सुरक्षा चाहते हैं।

5. Golden Globe नाम क्यों रखा गया?

इसका नाम Israel के Iron Dome सिस्टम से प्रेरित है, जो 2011 से शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स को रोकने में सक्षम है। लेकिन अमेरिका के सामने जो खतरे हैं, वे ज्यादा बड़े और दूर तक मार करने वाले हथियारों से जुड़े हैं।

6. मिसाइल खतरे कहां से हैं?

अमेरिका को सबसे बड़ा खतरा रूस और चीन से बताया गया है। 2022 की Missile Defence Review में इन दोनों देशों की बढ़ती ताकत पर चिंता जताई गई थी।

7. क्या कोई इस योजना का विरोध कर रहा है?

हां, रूस और चीन दोनों ने इस सिस्टम को लेकर विरोध जताया है और इसे दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।

8. विरोध का कारण क्या है?

रूस और चीन का कहना है कि यह प्रोजेक्ट स्पेस को एक जंग का मैदान बना देगा और अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगा।

9. अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर?

इस सिस्टम की वजह से अमेरिका और उसके विरोधी देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है, खासकर अगर इसे offensive हथियार के रूप में देखा गया।

10. भविष्य की तैयारी?

अमेरिका इस सिस्टम के ज़रिए अपनी सुरक्षा को मजबूत करना चाहता है, लेकिन इसे संतुलन में रखना जरूरी है ताकि वैश्विक स्थिरता बनी रहे।

First Published : May 21, 2025 | 10:25 AM IST