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चीन ने ‘निगेटिव इमोशंस’ के खिलाफ किया युद्ध का ऐलान, इंटरनेट से हटाएगा ‘बैड वाइब्स’

चीनी साइबरस्पेस प्रशासन ने दो महीने की मुहिम शुरू की; कंटेंट क्रिएटर्स, सोशल मीडिया ऐप्स और यूजर्स पर सख्ती। लक्ष्य — ऑनलाइन स्पेस को ‘पॉजिटिव’ बनाना

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अभिजित कुमार   
Last Updated- September 26, 2025 | 4:26 PM IST

क्या हो जब कोई सरकार नागरिकों की भावनाओं तक को नियंत्रित करने लगे? चीन ने अब तय किया है कि उसके इंटरनेट पर “उदासी” की कोई जगह नहीं होगी। “बेकार पढ़ाई” जैसे मजाक से लेकर असमानता पर गुस्से भरे लाइवस्ट्रीम तक, सब पर कार्रवाई होगी।

चीनी साइबरस्पेस प्रशासन (CAC) ने “निगेटिव इमोशंस को सुधारने” और “एक सभ्य और तार्किक ऑनलाइन वातावरण बनाने” के लिए दो महीने का विशेष अभियान शुरू किया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब निराशा और हताशा भरी पोस्ट्स पर रोक लगेगी।

आर्थिक दबाव और युवाओं की हताशा

यह कदम ऐसे समय आया है जब चीन आर्थिक संकटों से जूझ रहा है — रियल एस्टेट संकट, बढ़ती बेरोजगारी और नौकरियों व शिक्षा में कड़ी प्रतिस्पर्धा। युवा पीढ़ी के बीच मोहभंग बढ़ रहा है। कई युवा घर लौट आए हैं क्योंकि नौकरी नहीं मिल रही, कुछ ने थका देने वाली वर्क कल्चर से किनारा कर “लाइ फ्लैट” (आरामपसंद) जीवनशैली अपना ली है, जबकि कुछ खुद को “फुल-टाइम बच्चे” कहते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ये भावनाएं गहरी संरचनात्मक समस्याओं से जुड़ी हैं, जिन्हें सिर्फ कैंपेन से हल करना मुश्किल है।

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इन्फ्लुएंसर्स और ऐप्स पर कार्रवाई

युवाओं की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए प्रशासन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और कंपनियों पर भी सख्ती कर रहा है।

कंटेंट क्रिएटर हू चेनफेंग की सभी पोस्ट बिना स्पष्टीकरण हटा दी गईं। उन्होंने हाल ही में एक वायरल लाइवस्ट्रीम में लोगों और वस्तुओं को “Apple” और “Android” श्रेणी में बांटा था, जिसे कुछ ने मजाक माना तो कुछ ने सामाजिक विभाजन भड़काने वाला बताया।

ऑनलाइन ट्यूटर झांग शुएफेंग, जिनके लाखों फॉलोअर्स हैं, भी निशाने पर आए। वे छात्रों को सपनों के बजाय व्यावहारिक विकल्प चुनने की सलाह देते रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने मजाक में कहा था कि अगर बीजिंग ताइवान पर हमला करता है तो वे 100 मिलियन युआन दान करेंगे। इसके बाद उनके अकाउंट पर नए फॉलोअर्स जोड़ने पर रोक लगा दी गई।

सिर्फ इन्फ्लुएंसर्स ही नहीं, ऐप्स को भी चेतावनी दी गई है। शाओहोंगशू, कुआइशो और वीबो जैसे प्लेटफॉर्म्स को कहा गया है कि “सिलेब्रिटी गॉसिप” और “तुच्छ जानकारी” को रोकें, वरना कड़ी सजा मिलेगी।

विशेषज्ञों की चेतावनी

CAC का कहना है कि “साफ और स्वस्थ साइबरस्पेस जनता के हित में है।” लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन शिकायत करना या गुस्सा निकालना समाज से भागना नहीं है। यदि लोगों को यह रास्ता भी बंद कर दिया गया तो मानसिक स्वास्थ्य पर उल्टा असर पड़ सकता है।

First Published : September 26, 2025 | 3:51 PM IST