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रुपया-रूबल में व्यापार को मंजूरी!

Last Updated- December 14, 2022 | 6:32 PM IST

सरकार जल्द ही रूस और भारत के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार की अनुमति दे सकती है। मामले के जानकार कई लोगों ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्घ के बीच यह कदम उठाया जा रहा है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार में किसी तरह की बाधा न आए।
वाणिज्य मंत्रालय ने इस बारे में एक प्रस्ताव की अनुशंसा की है जिस पर आर्थिक मामलों के विभाग और वित्तीय सेवाओं के विभाग के साथ विचार-विमर्श के बाद वित्त मंत्रालय द्वारा घोषणा की जाएगी।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वित्त मंत्रालय दोनों मुद्राओं के साथ किस तरह से कारोबार किया जा सकता है, उस बारे में निर्णय लेगा।’
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस के कई बैंकों पर रोक लगा दी है और उन्हें स्विफ्ट से भी बाहर कर दिया गया है। इससे निर्यातकों का करीब 40 करोड़ डॉलर का भुगतान फंसने की आशंका है। इस हफ्ते की शुरुआत में वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने उनकी चिंताओं को समझने के लिए निर्यातकों के साथ चर्चा की थी। कई खरीदारों ने अन्य विदेशी मुद्रा या तीसरे पक्ष या देश से भुगतान करने में असमर्थता जताई थी। उन्होंने रूस की मुद्रा रूबल में भुगतान करने की इच्छा जताई थी। मामले के जानकार एक शख्स ने बताया कि सरकार रूबल में भुगतान करने और रूबल में भुगतान प्राप्त करने पर सभी निर्यात लाभ की मंजूरी देने की संभावना का मूल्यांकन कर रही है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक भी जल्द ही इस बारे में योजना ला सकता है और इस बारे में भारत के बैंकों से जानकारियां जुटाई गई हैं।
बीते समय में भी भारत ने रुपया-रूबल में व्यापार की व्यवस्था को लागू किया था। ऐसी व्यवस्था से पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का असर नहीं पड़ेगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘यह व्यवस्था निर्णायक होगी और इसे जल्द लागू किया जा सकता है। सरकार इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर रहा है।’ अधिकारी ने कहा कि 2014 में भी ऐसा ही हुआ था। ऐसे बैंक का चयन किया गया था जिसका अमेरिका में ज्यादा कारोबार नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘ईरान पर जब प्रतिबंध लगाया था तब यूको बैंक को इस तरह की व्यवस्था के लिए चुना गया था क्योंकि अमेरिका में उसका ज्यादा निवेश या कारोबार नहीं था। इसी तरह म्यांमार पर प्रतिबंध के दौरान यूनाइटेड बैंक को सिंगापुर के जरिये यूरो में व्यापार के लिए चुना गया था।’ हालांकि इसमें चुनौती यह है कि रूबल के दाम में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भू-राजनीतिक तनाव के बीच निर्यात तथा कच्चे तेल के दाम में तेजी को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने सूरजमुखी तेल और उर्वरकों के आयात को लेकर भी चिंता जाहिर की थी क्योंकि इस इलाके से इन उत्पादों का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है।

First Published - March 2, 2022 | 11:16 PM IST

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