फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष बेन एस बर्नान्के ने भी आखिरकार यह मान लिया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है और यह कभी भी इसकी चपेट में आ सकती है।
यह बयान इस मायने से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बर्नान्के की ओर से यह बयान पहली बार आया है जिसमें उन्होंने माना है कि मकानों के निर्माण, बेरोजेगारी और उपभोक्ता निवेश की स्थिति और भी बदतर हो सकती है। बर्नान्के ने कांग्रेस की संयुक्त आर्थिक समिति को बताया कि, ”अब ऐसा लगने लगा है कि सकल घरेलू उत्पाद में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी। 2008 के पहली छमाही में तो जीडीपी में और भी गिरावट के संकेत हैं।”
हालांकि बर्नान्के ने अब भी उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ा है और उन्होंने कहा कि 2009 में आर्थिक विकास दर वापस से पटरी पर आ सकती है। फेडरल के अध्यक्ष के इस बयान पर नॉर्थ कैरोलीना में वाचोवीया कॉरपोरेशन के प्रमुख अर्थशास्त्री जॉन सिल्विया ने कहा, ”तीन या छह महीने पहले फेडरल ने अर्थव्यवसायियों को लेकर जो मूल्यांकन किया था उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार केंद्रीय बैंक ने काफी निराशाजनक बयान दिया है।”
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फेडरल और पूंजी बाजार को भी यह उम्मीद नहीं होगी कि अर्थव्यवस्था में इतनी तेज गति से गिरावट देखने को मिलेगी। जब बर्नान्के से यह सवाल पूछा गया कि बेयर स्टनर्स के सौदे पर उन्होंने कर दाताओं का पैसा जोखिम में डाल दिया है तो उन्होंने बड़े विश्वास से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि फेडरल को किसी तरह का नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि वह पहले भी बता चुके हैं कि पहले एक अरब डॉलर तक का कोई भी नुकसान जेपी मॉर्गन को ही उठाना पड़ेगा। बर्नान्के ने कहा, ”मुझे पूरा विश्वास है कि हम पूरे मूलधन को वापस पाने में सफल होंगे और साथ ही संभावना है कि ब्याज की कुछ रकम भी हमें वापस हो जाएगी।”
महंगाई की चिंता
बर्नान्के ने साथ ही महंगाई पर भी चिंता जताई और कहा कि कमोडिटी की ऊंची कीमतों और कमजोर डॉलर अपने आप में परेशानी का सबब है। हालांकि एफओएमसी के बयान को ही दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में महंगाई की दर थोड़ी कम जरूर हो सकती है।उन्होंने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में लगी आग के थोड़ी ठंडी पड़ने और वैश्विक विकास की कमजोर दर की वजह से महंगाई पर काबू पाना कुछ आसान हो जाएगा।