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किसानों के लिए आफत बनी बैमौसम बारिश, कम हुई गेहूं की गुणवत्ता

Published by
संजीब मुखर्जी
Last Updated- April 20, 2023 | 11:45 PM IST

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के नारायणपुर गांव के किसान बृजवासी मीणा ने अपने 20 एकड़ खेत में हुए अच्छी श्रेणी के गेहूं को बढ़िया कीमतों पर बिक्री करने की योजना बनाई थी। उन्हें लग रहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान इसकी अच्छी मांग थी इसलिए इसकी बिक्री आसानी से हो जाएगी।

लेकिन, उनकी उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया जब दो बदलाव आ गए। पहला, जब सरकार ने केंद्रीय पूल से अधिक गेहूं जारी करने का निर्णय लिया ताकि खाद्य महंगाई को कम किया जा सके। इसके बाद मार्च में हुई बेमौसम की बारिश ने गेहूं वाले क्षेत्र को बरबाद कर दिया।

मीणा ने फोन पर बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘जिन्होंने गेहूं की फसल को पहले काट लिया और इसे बारिश और ओलावृष्टि से बचा लिया उन्हें बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है क्योंकि इसमें नमी की मात्रा कम है।’

उन्होंने कहा कि जिनकी फसल की गुणवत्ता बारिश के कारण खराब हो गई उनके लिए कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम हो गई या उसके आसपास ही हैं। MSP वह कीमत है जिस पर सरकार केंद्रीय पूल के लिए खाद्यान्न की खरीद करती है और साल 2023-24 के लिए केंद्र ने 2,125 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय की है।

श्योपुर के आसपास वाले इलाकों में सामान्य या थोड़े खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की कीमत 2000 से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल है। इसकी तुलना में, अच्छी किस्म और कम नमी वाले गेहूं की अधिकतम कीमत 2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो सकती है।
मीणा ने दुखी होकर कहा, ‘बारिश की वजह से इन इलाकों में कीमतें 100 से 150 रुपये तक कम हो गई हैं। हमें भी अच्छी कीमत मिल सकती थी क्योंकि फसल अच्छी किस्म में विकसित हो रही थी।’

आईग्रेन इंडिया के जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि उत्तर प्रदेश में अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं और खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर रहता है। इसी तरह, मध्य प्रदेश की देवास मंडी में यह अंतर 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल तक हो जाता है। जबकि, राजस्थान की बूंदी मंडी में दोनों किस्म के गेहूं की कीमतों में यह अंतर 100 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक चला जाता है।

देश में गेहूं किसानों के लिए कुल मिलाकर यही स्थिति थी। किसान जबरदस्त मांग के बीच अच्छी कमाई की उम्मीद कर रहे थे मगर जबरदस्त उपज होने के बावजूद बेमौसम बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार मार्च में देश भर में हुई बारिश सामान्य से करीब 26 फीसदी अधिक थी।

कुछ सप्ताह पहले वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में IMD के निदेशक मृत्युजंय महापात्र ने कहा था, ‘मार्च के 31 दिनों में से 16 से 20 दिनों तक देश भर बारिश हुई और इस साल मार्च में 100 बार झमाझम बारिश हुई। इससे पहले मार्च 2022 में सिर्फ 12 बार बारिश हुई थी जबकि 2020 में 44 और 2018 में सिर्फ 36 बार ही वर्षा हुई थी।’

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महापात्र ने बताया कि इसका कारण मार्च में शुरू हुए सात पश्चिमी विक्षोभ थे। गेहूं की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर गिरावट आने के बाद किसानों को बेहतर रकम मिले इसको लेकर केंद्र सरकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है। सरकार ने खरीदारी के लिए जरूरी गुणवत्ता मापदंडों को कम कर दिया है ताकि गेहूं की किस्म में पहले से गिरावट का सामना कर रहे किसानों को एमएसपी से भी वंचित नहीं होना पड़े।

सबसे पहले सरकार की खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने मध्य प्रदेश को गुणवत्ता मापदंडों में थोड़ी ढील दी। इसने 10 फीसदी तक कम चमक वाले गेहूं की खरीद बिना कोई कटौती किए एमएसपी पर करने की अनुमति दी। अतिरिक्त नमी के कारण फसल अपनी चमक खो देती है और इसे तुरंत उपभोग करने की भी जरूरत होती है।

इसके बाद एक बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों के अनुरोध पर केंद्र ने गुणवत्ता मापडंदों में भी ढील दी है। अधिकारियों ने कहा कि नए दिशा निर्देशों के तहत अब दस फीसदी से अधिक चमकहीन गेहूं की खरीद में 5.31 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की जाएगी।नुकसान के आधार पर कीमतों में कटौती के लिए कई श्रेणियां बनाई गई हैं। कीमत इस बात से निर्धारित होगी कि गेहूं किस हद तक खराब हुए हैं।

First Published : April 20, 2023 | 11:44 PM IST