उत्तर भारत में बुधवार से जहरीली धुंध की चादर छाई हुई है, जिससे तापमान में गिरावट, विजिबिलिटी में कमी और वायु प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि देखी जा रही है। आज (15 नवंबर) सुबह 9 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 428 तक पहुंच गया, जो इस सीजन का सबसे खराब स्तर है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत पूरे इंडो-गैंगेटिक प्लेन्स (IGP) में धुंध और जहरीला धुआं छाया हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों ने प्रदूषण के इस गंभीर हालात को और उजागर किया है।
NASA वैज्ञानिक ने बताए खराब हवा के कारण
नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एरोसोल रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिक हिरेन जेतवा ने वायु क्वालिटी खराब होने के पीछे थर्मल इनवर्जन और पराली जलाने को मुख्य कारण बताया है।
जेतवा ने NDTV से बातचीत में बताया, “थर्मल इनवर्जन तब होता है जब गर्म हवा ठंडी हवा के ऊपर रहती है। इससे प्रदूषकों का वर्टिकल मिक्सिंग (ऊपर की ओर फैलाव) नहीं हो पाता और जमीन के करीब प्रदूषक 200 मीटर के दायरे में फंसे रहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि थर्मल इनवर्जन जितना मजबूत होगा, प्रदूषण उतना ही ज्यादा सतह के पास फंसा रहेगा।
पराली जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण
सैटेलाइट तस्वीरों में यह साफ दिखा कि पराली जलाने से उठने वाला धुआं बादलों के साथ मिलकर थर्मल इनवर्जन को और बढ़ा रहा है। इससे प्रदूषण और भी खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है।
किसान निगरानी से बचने के लिए बदल रहे समय
जेतवा ने बताया कि पंजाब में किसान नासा की सैटेलाइट निगरानी से बचने के लिए दोपहर 2 बजे के बाद पराली जलाते हैं। यह साउथ कोरियन जियोस्टेशनरी सैटेलाइट से पता चला है, जो हर पांच मिनट में क्षेत्र की तस्वीर लेता है। नासा के सैटेलाइट्स दोपहर 2 बजे से पहले क्षेत्र की निगरानी करते हैं, लेकिन उसके बाद जलने वाली आग सैटेलाइट के दायरे से बाहर हो जाती है।
दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती हवा
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में वायु क्वालिटी गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी है। जहरीली धुंध का यह संकट मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
पराली जलाना: प्रदूषण का स्थायी कारण
हालांकि वायु क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग (CAQM) ने पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 71% की कमी के लिए तारीफ की है, लेकिन सैटेलाइट डेटा कुछ और ही कहानी बता रहा है। सोमवार को अकेले पंजाब में 7,000 से अधिक खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं।
नासा वैज्ञानिक हिरेन जेतवा ने बताया, “पिछले दो हफ्तों में प्रदूषण का स्तर पिछले दशक में कभी नहीं देखा गया। पराली जलाना खासकर दोपहर 2 बजे के बाद जारी है, जब नासा सैटेलाइट्स क्षेत्र से गुजर चुकी होती हैं।”
सैटेलाइट डेटा में पराली जलाने की घटनाएं
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा साझा किए गए सैटेलाइट डेटा के अनुसार:
पंजाब में 5 घटनाएं।
हरियाणा में 11 घटनाएं।
उत्तर प्रदेश में 202 घटनाएं आज दर्ज की गईं।
पिछले सालों का डेटा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं:
2022: 49,922
2021: 71,304
2020: 76,590
2019: 55,210
2018: 50,590
संगरूर, मंसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में हर साल पराली जलाने के मामलों की संख्या लगातार ज्यादा रही है। पराली जलाना उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
प्रदूषण संकट: दिल्ली में AQI खतरनाक स्तर पर
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वाहनों के धुएं, निर्माण गतिविधियों और पराली जलाने से हालात बिगड़ रहे हैं। मंगलवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 334 था, जो बुधवार को बढ़कर 418 हो गया। धुंध और जहरीली हवा के कारण इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ानों का संचालन बाधित हुआ, जबकि विजिबिलिटी खतरनाक स्तर तक गिर गई।
लाहौर बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर
सीमा पार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी हालात खराब हैं। लाहौर पर घनी धुंध की चादर छाई हुई है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैली है। लाहौर ने 1,136 AQI दर्ज किया, जिससे यह दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया।
यूनिसेफ की चेतावनी
11 नवंबर को जारी यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 5 साल से कम उम्र के 1.1 करोड़ बच्चे जहरीली हवा के संपर्क में हैं। यूनिसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल ने कहा, “जहरीली हवा ने पंजाब में 1.6 करोड़ बच्चों की पढ़ाई बाधित कर दी है।”
आपातकालीन उपाय नाकाफी
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने निर्माण कार्यों पर रोक और BS-III पेट्रोल व BS-IV डीजल वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध जैसे कड़े नियम लागू किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर 18 नवंबर को त्वरित सुनवाई का आदेश दिया है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन जैसे जड़ कारणों का समाधान किए बिना अस्थायी उपाय, जैसे स्मॉग टावर, पर्याप्त नहीं होंगे। दिल्ली और पड़ोसी क्षेत्रों में प्रदूषण का यह संकट न केवल स्वास्थ्य बल्कि जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहा है।