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Patanjali misleading ad case: बाबा रामदेव को झटका, SC ने खारिज किया माफीनामा

Supreme Court ने बाबा रामदेव से कहा कि वह 'अदालत की अवमानना की कार्यवाही को हल्के में ले रहे हैं।'

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- April 10, 2024 | 2:16 PM IST

Patanjali misleading ad case: पतंजलि के विवादित विज्ञापन केस को लेकर एक बड़ी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामों को  खारिज कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने बाबा रामदेव से कहा कि वह ‘अदालत की अवमानना की कार्यवाही को हल्के में ले रहे हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम आपके हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। हम मानते हैं कि आपने जो किया है वह जानबूझकर किया है और साथ ही हमारे आदेशों का बार-बार उल्लंघन किया है।”

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने पतंजलि से कहा कि आपने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इसलिए कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

विवादित विज्ञापन केस में पतंजलि की तरफ से 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में माफीनामा जमा किया गया था। बेंच ने साफ कहा कि यह माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। इसके बाद कोर्ट ने आज (10 अप्रैल) सुनवाई की तारीख तय की थी।

इसके बाद, बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने 9 अप्रैल को एक और एफिडेविट फाइल किया। इस एफिडेविट में बाबा रामदेव ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए इसे दोबारा नहीं दोहराने का वादा किया था।

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IMA ने लगाए थे पतंजलि आयुर्वेद पर आरोप

IMA ने पतंजलि आयुर्वेद पर आरोप लगाए 2022 में आरोप लगाए थे कि रामदेव की कंपनी एलोपैथी (Allopathy) मेडिकल प्रैक्टिस के खिलाफ गलत सूचना फैला रही थी। IMA की तरफ से वकालत कर रहे सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया (PS Patwalia) ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद ने योग की मदद से मधुमेह (diabetes) और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था।

Coronil के प्रचार में भी फंसी थी पतंजलि आयुर्वेद

जब कोविड-19 महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया में फैल रहा था, तब योग गुरु बाबा रामदेव ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की उपस्थिति में इस बात का दावा किया था कि उनकी कंपनी की तरफ से बनाई गई दवा कोरोनिल (coronil), स्वासारी औऱ अणु तेल के सेवन से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस किट की कीमत करीब 500 रुपये तय की गई थी।
हालांकि बाद में काफी सवाल खड़े हुए और आयुष मंत्रालय ने पाया कि ऐसे दावे सही नहीं हैं और फटकार लगाते हुए इस तरह से प्रमोशन करने से रोक लगाया।

First Published : April 10, 2024 | 12:49 PM IST