Economic Survey 2024: सरकार किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके साथ ही सरकार का मानना है कि खासकर छोटे किसानों की आय गेहूं, चावल, तिलहन व दलहन जैसी फसलों से ही नहीं बढ़ाई जा सकती है, बल्कि उनकी आय बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य वाली कृषि पर जोर देने की जरूरत है। साथ ही कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की भी आवश्यकता है।
वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। बीते 5 वर्षों के दौरान कृषि की सालाना औसत आर्थिक वृद्धि दर 4.18 फीसदी दर्ज देखी गई है। चावल, गेहूं या यहां तक कि बाजरा, दालें और तिलहन पैदा करके छोटे किसानों की आय नहीं बढ़ाई जा सकती।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशुपालन, डेरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों की क्षमता का दोहन करने पर ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए। किसानों को उच्च मूल्य वाली कृषि यानी फल और सब्जियां, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, डेरी और भैंस के मांस की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।
समीक्षा में कहा गया है कि एक बार जब छोटे किसानों की आय बढ़ जाती है, तो वे विनिर्मित वस्तुओं की मांग करेंगे, जिससे विनिर्माण क्रांति को बढ़ावा मिलेगा। 1978 और 1984 के बीच चीन में यही हुआ था, जब किसानों की वास्तविक आय केवल 6 वर्षों में दोगुनी हो गई थी। भारत इसका अनुकरण करने के लिए अच्छी स्थिति में है। तिलहन, दलहन और बागवानी की ओर फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि-बुनियादी ढांचे में निवेश, ऋण की सुलभता और उचित बाजार संस्थाओं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
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कृषि क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी, उत्पादन विधियों, विपणन बुनियादी ढांचे और कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी के लिए निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है। फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास पर ज्यादा ध्यान देने से बर्बादी/नुकसान कम हो सकता है। साथ ही भंडारण की अवधि बढ़ सकती है। जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है। निजी क्षेत्र सहित अधिक निवेश के माध्यम से उत्पादकता भी बढ़ाई जा सकती है।