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समिति ने संशोधित वक्फ विधेयक स्वीकारा

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों को नष्ट कर देगा और इसके कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप का रास्ता बना देगा।

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भाषा   
Last Updated- January 29, 2025 | 11:33 PM IST

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार कर लिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं। विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक करार दिया और आरोप लगाया कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बरबाद कर देगा।

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षत वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करने वाला है, जबकि विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला और वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करार दिया।

समिति की 38वीं बैठक के बाद, पाल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पेश की जाएगी और शुक्रवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में इसे सदन के पटल पर रखा जाएगा। विपक्ष की एक प्रमुख चिंता वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति थी। उनका दावा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो नागरिकों को धार्मिक और परमार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थानों की स्थापना और रखरखाव सहित अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता देता है।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, ‘आपने संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत दिए गए हमारे अधिकारों का उल्लंघन किया है। आपने समान नागरिक संहिता के बारे में बात की, लेकिन ‘हिंदू एंडोमेंट बोर्ड’, सिख बोर्ड, ईसाई बोर्ड में गैर-हिंदू, गैर-सिख और गैर-ईसाई सदस्य नहीं हैं। लेकिन यह मुसलमानों के लिए क्यों नहीं होता? यह वक्फ बोर्डों को बरबाद करने का एक प्रयास है।’

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों को नष्ट कर देगा और इसके कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप का रास्ता बना देगा।

First Published : January 29, 2025 | 11:33 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)