म्युचुअल फंडों के साथ बीमा में निकासी प्रभार अपेक्षाकृत ज्यादा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:41 AM IST

आजकल, कुछ म्युचुअल फंड कंपनियां योजनाबध्द निवेश योजनाओं (सिप) के साथ बीमा की पेशकश कर रही हैं। मैं यह जानना चाहता हूं कि इस प्रकार की पेशकशें किस प्रकार लाभकारी हैं।  – योगेश, मुंबई



कुछ फंड हाउस हैं जो विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं के योजनाबध्द निवेश योजनाओं (सिप) के तहत बीमा के लाभ उपलब्ध करा रहे हैं।


फंड हाउस द्वारा निवेशकों को म्युचुअल फंड की तरफ  आकर्षित करने का यह एक नया तरी का है। इसकी शुरुआत डीएसपी मेरिल लिंच परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ने वर्ष 2005 में की थी, और इस योजना का नाम सुपर सिप था।



कुछ अन्य म्युचुअल फंड कंपनियां जैसे बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंडख् कोटक एएमसी और रिलायंस म्युचुअल फंड ने इसी आधार पर कुछ नयापन के साथ नए फंड लॉन्च किए हैं।


बिड़ला सन लाइफ  के सेंचुरी सिप में बीमा के खर्चों का वहन परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के द्वारा किया जाएगा। सामान्यतया, ऐसी योजनाओं वाली परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां परिपक्वता से पहले निकासी करने पर अपेक्षाकृत अधिक निकासी प्रभार लेती हैं।


कुछ पांच सितारों की रेटिंग वाले फंडों की रेटिंग अब तीन सितारों की हो गई है और बराबरी के फंडों की तुलना में उनके प्रतिफल भी काफी कम हो गए हैं।


मैंने सिप के माध्यम से ऐसे ही दो फंडों में निवेश किया है- रिलायंस विजन और मैग्नम ग्लोबल में। जून महीने में अपने इन निवेशों का मुझे नवीकरण करना है। मेरी नीति क्या होनी चाहिए? क्या इन्हीं फंडों के सिप का मुझे नवीकरण करवाना चाहिए क्योंकि इनके प्रदर्शन पहले अच्छे रहे हैं या मुझे किसी दूसरे 5 सितारों की रेटिंग वाले फंड का चयन करना चाहिए?  कृपया मुझे यह सलाह भी दें कि मुझे इन फंडों से बाहर कब होना चाहिए। – डॉ पुरायिल, चेन्नई


म्युचुअल फंडों की रेटिंग जोखिम और प्रतिफल के संयुक्त आधार पर की जाती है। सितारों वाली रेटिंग में कमी आने के मुख्यत: दो वजहें होती हैं।


एक तो यह हो सकता है कि फंड का प्रदर्शन लगातार बद से बदतर होती जाए और दूसरा यह कि फंड का प्रदर्शन औसत हो जबकि बराबरी के अन्य फंडों का प्रदर्शन उससे कहीं बेहतर हो।



रिलायंस विजन एक लार्ज-कैप ओरियेंटेड फंड है। पिछले 9 महीने में प्रदर्शन की दृष्टि से यह औसत से अच्छे फंड की जगह केवल एक औसत प्रदर्शन करने वाला फंड बन कर रह गया है।


इसकी रेटिंग इसके प्रदर्शन का आईना है। यह अक्टूबर 2002 से लगातार 5 सितारों वाले रेटिंग के दर्जे में रहा है।



सितंबर 2005 में इसकी रेटिंग 5 सितारों से घट कर 4 सितारों की हो गई। यद्यपि हालिया दिनों में इस फंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है लेकिन इसके पिछले प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाना चाहिए। 6 जून 2008 के अनुसार इसने पिछले 5 और 10 वर्षों में क्रमश: 44.52 प्रतिशत और 32.58 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है।



मैग्नम ग्लोबल ने पिछले पांच वर्षों में 55.86 प्रतिशत का वार्षिक प्रतिफल दिया है (श्रेणी का औसत प्रतिफल 40.92 प्रतिशत रहा है)। मार्च 2008 में इसकी रैंकिंग पांच सितारा से घट कर चार सितारों की हो गई है।



इस बात की सलाह हमेशा दी जाती है कि कभी भी अल्पावधि के प्रदर्शन के आधार पर निवेश संबंधी निर्णय नहीं लेना चाहिए।


 पोर्टफोलियों में बदलाव करते समय इस बात की तस्दीक स्वयं कर लें कि क्या आपका निवश आपके मन मुताबिक प्रतिफल अर्जित कर रहा है।


पोर्टफोलियो में फंडों का बदलाव करने से पहले अन्य पहलूओं को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे अल्पावधि का पूंजीगत अभिलाभ कर और प्रभार। क्योंकि आप अपने पोर्टफोलियो का नवीकरण कर रहे हैं इसलिए अन्य पांच सितारों की रेटिंग वाले फंड जैसे एचडीएफसी टॉप 200 और एचएसबीसी इक्विटी पर भी विचार कर सकते हैं।


मैं आर्बिट्रेज फंड, इक्विटी डेरिवेटिव फंड और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी फंडों के  कर प्रावधानों (अल्पावधि और दीर्घावधि) के बारे में जानना चाहता हूं।  -दीपांकर दत्ता


कर दायित्वों की गणना करते समय आर्बिट्रेज फंडों को इक्विटी फंडों के समकक्ष ही रखा जाता है। इसलिए एक साल से अधिक अवधि के लिए निवेश बनाए रखने पर कर संबंधी दयित्व नहीं होता है।
इक्विटी डेरिवेटिव फंड आर्बिट्रेज फंड जैसे थीम के अनुसार ही काम करते हैं और अर्बिट्रेज अवसरों के माध्यम से आय अर्जित करते हैं।



इक्विटी डेरिवेटिव फंडों की परिसंपत्तियों का आवंटन उनके निवेश के उद्देश्यों के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं।


कुछ फंड इक्विटी और इक्विटी डेरिवेटिव्स में अधिक निवेश करते हैं जबकि अन्य ऋण बाजार को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए उनके कर दायित्व भी भिन्न-भिन्न होते हैं।



आईसीआईसीआई इक्विटी और डेरिवटिव फंड के कर प्रावधान इक्विटी ओरियेंटेड फंडों के समान ही हैं जबकि जेएम फाइनैंशियल इक्विटी ऐंड डेरिवेटिव फंड और बेंचमार्क डेरिवेटिव फंडों पर ऋण फंडों की तरह कर लगाया जाता है।



अंतरराष्ट्र्रीय इक्विटी फंड अपने कोष का महत्वपूर्ण हिस्से का निवेश मूलत: विदेशी बाजारों में करते हैं। अगर विदेशी बाजारों में किया जाने वाला निवेश 65 प्रतिशत से अधिक होता है तो कर प्रावधान ऋण फंडों के जैसा ही होता है।

First Published : July 6, 2008 | 11:42 PM IST