मिलेगा मीठा फल, लेकिन करना होगा इंतजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 1:41 AM IST

कुछ समय पहले मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में हुई प्रॉपर्टी प्रदशर्नी में कई खरीदार घर की चाह में पहुंचे, लेकिन उनमें से ज्यादातर निराशा ही हाथ में लेकर लौटे।


कारण वही पुराना, घर की कीमत का उनके बजट से काफी ज्यादा होना। और यहां तक कि बैंकों ने भी पिछले दिनों में सिर्फ चौथाई प्रतिशत छूट के अलावा कोई खास पेशकश नहीं दी।
रियल एस्टेट के चार भारी वर्षों, जब प्रॉपर्टी की कीमतें बुलंदियां छू रही थीं, के बाद इनके रुख में नरमी आनी शुरू हुई है।

और इसका सबसे पहला संकेत कुछ समय पहले मिला था, जब बिल्डर, जो दो से तीन बेडरूम वाले फ्लैटों को आसमान छूती कीमतों में बेच रहे थे, ने मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर सस्ते फ्लैट बनाने की बात कही थी। लगभग 1 महीना पहले, खरीदारी के मौसम के शुरू होने से पहले मुंबई में बिल्डरों ने एक बैठक में कहा था कि वे खरीदारों को नकद छूट की पेशकश भी देंगे। इस बात को अगर कोई एक साल पहले कहता तो उस पर विश्वास करना नामुमकिन था।

बिल्डरों की इस पूरी कवायद के पीछे उद्योग जगत से नकदी का गायब होना एक बड़ा कारण है। इसके अलावा प्रॉपर्टी की बिक्री में चल रही मंदी ने भी उद्योग जगत के माथे पर चिंता के बल डाल दिए हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कई बिल्डरों को बिक्री बढ़ाने के लिए या तो कीमतों में कमी करनी होगी या फिर उन्हें अपनी परियोजनाओं को ही रोकना होगा।

आईपीओ या निजी इक्विटी फंड के तहत जो रकम उगाही थी, उसे कई डेवलपरों ने महंगी कीमतों में अतिरिक्त जमीन खरीदने में लगा दिया है। इसके अलावा बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने मौजूदा स्थितियों को देखते हुए कर्ज देने से मुंह फेर लिया है। कई बैंकों ने बड़े डेवलपरों को उनकी अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कर्ज पर 21 से 36 प्रतिशत तक ब्याज दर वसूलना शुरू कर दिया है। इसमें हैरत की बात नहीं है कि आखिर रियल एस्टेट के शेयरों ने नीचे का रुख क्यों अपना लिया है।

सच तो यह है कि पिछले साल से ही रियल एस्टेट क्षेत्र पर दबाव बनने लगा था। चढ़ती कीमतों, बढ़ती ब्याज दरों ने कई खरीदारों के लिए प्रॉपर्टी को एक सपना बना दिया था। इसकी वजह से पिछले सीजन में बिक्री में 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

यहां तक कि इस साल खरीदार प्रदशर्नियों में पहुंचे, उन्होंने प्रॉपर्टी देखी, लेकिन प्रॉपर्टी के सौदे को अंतिम रूप देने में वे कामयाब नहीं रहे।अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, तो यह वक्त आपके लिए काफी अहम है। जहां प्रॉपर्टी की कीमतों में थोड़ा-बहुत सुधार हो रहा है, वहीं इस बात की भी अधिक संभावनाएं हैं इससे कहीं अधिक आपको मिल सकता है। साथ ही, अवासीय ऋण की दरें जो 11-113 प्रतिशत (फ्लोटिंग) हैं, में भी कुछ कमी आ सकती है। लेकिन इस सबमें अभी कुछ और वक्त लग सकता है।

और ऐसे में इंतजार ही बेहतर है। अगर आप अपना पहला घर खरीद रहे हैं, तब भी यह उतना ही सही है। प्रॉपर्टी की कीमतें अभी नहीं तो कुछ समय बाद लेकिन कम जरूरी होंगी। ऐसी परिस्थितियों में बेहतर यह होगा कि आप किसी भी प्रॉपर्टी को लेकर भावुक न हो जाएं और सोचें कि आप कोई मौका गंवा सकते हैं।

हो सकता है कि अगले कुछ महीनों में और बेहतर मौके मिलें। याद रखें कि शेयर बाजार में रोजमर्रा का उतार-चढाव काफी आम बात है। लेकिन रियल एस्टेट बाजार में चीजें धीमें होती हैं, लेकिन टिकती लंबे समय के लिए हैं। इसलिए बाद का समय खरीद के लिहाज से आसान होगा।

हालांकि अगर आपको प्रॉपर्टी खरीदनी ही है तो कुछ साफ-साफ दिशा-निर्देशों पर चलें। बिल्डर के साथ जबरदस्त मोल-भाव करें। इसके लिए आप प्रॉपर्टी की कीमत बिल्डर की ओर से लगाई गई कीमत से 20 से 30 प्रतिशत कम कर के भी सौदे की शुरुआत कर सकते हैं।

लेकिन प्रॉपर्टी के साथ मिलने वाली मुफ्त की चीजों जैसे स्टैम्प डयूटी से छूट, मुफ्त कार पार्किंग आदि के झांसे में न आएं। कीमतों में कटौती की बात करें या नकद छूट की। सिर्फ दो साल पहले, ये प्रॉपर्टी बेचने वालों का बाजार था, लेकिन आज यह खरीदारों का बाजार है।

आज की स्थितियां आपके फायदे में हैं। साथ ही कम कीमतों से आपके घर के ऋण की ईएमआई भी कम हो जाएगी।इसके अलावा एक और रणनीति है कि आप बिल्डर को ज्यादा रकम नकद में देने का प्रस्ताव रखें। आज बाजार में सभी को नकद चाहिए और इससे आपको बेहतर सौदा मिल सकता है।

सबसे अहम, पहले की तरह अब वक्त नहीं है, जब अधूरी परियोजनाओं में हाथ डालना बहुत अच्छा माना जाता था, क्योंकि पहले इस बात की संभावना होती थी कि परियोजना के पूरा होने तक प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़कर दोगुनी हो जाएंगी, लेकिन आज चीजें काफी बदल गई हैं।

जहां सच में बहुत बड़े बिल्डर अपनी परियोजनाओं को टालने का जोखिम उठा सकते, वहां कुछ ऐसे भी हैं, जो नकदी सकंट में फंस सकते हैं। ऐसे अनिश्चितता से घिरे वक्त में, बेहतर यही है कि पूरी हो चुकी या एक महीने के बीच में पूरी होने वाली परियोजनाओं को चुना जाए।

अंत में, बैंकों से पहले ही मंजूरी हासिल कर चुकी परियोजनाओं को चुने। किसी को भी आवासीय ऋण लेने में मदद मिलेगी। साथ ही बैंक सीधे ही परियोजनाओं के पूरा होने की गारंटी नहीं देते, बल्कि वे बिल्डर की साख और परियोजना पर पूरा शोध कार्य करते हैं।

हम यहां जो कहना चाहते हैं वह बेहद आसान है। समय मुश्किलों से घिरा हुआ है। अगर आप इंतजार कर सकें तो इससे बेहतर कुछ नहीं। और अगर नहीं तो पूरी छानबीन और अच्छे-खासे मोल-भाव के बाद ही प्रॉपर्टी खरीदें।

रणनीति

20 से 30 प्रतिशत तक छूट के लिए मोल-भाव करें
जितनी हो सके, उतनी राशि नकद में देने का प्रस्ताव रखें
ऐसी परियोजनाओं में निवेश करें जो या तो पूरी हो चुकी हों या एक महीने के भीतर पूरी होने वाली हों
प्रॉपर्टी के साथ मुफ्त की चीजों के आकर्षण से बचें

First Published : October 26, 2008 | 10:22 PM IST