महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को परेशान कर दिया है। इसलिए लोगों को राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले बुधवार को एक बार फिर खुदरा कर्जदारों के लिए कुछ उपायों का ऐलान किया। इस पैकेज के तहत उन लोगों को तो राहत मिलेगी ही, जिन्होंने पिछले साल के राहत पैकेज का फायदा नहीं उठाया था। साथ ही पिछले साल फायदा उठाने वाले भी इस साल दोबारा इसका लाभ ले सकते हैं।
अगर आपने व्यक्तिगत तौर पर कर्ज लिया है और पिछले साल अगस्त से दिसंबर तक चली कर्ज राहत योजना के तहत आपने अपने कर्ज का पुनर्गठन नहीं कराया तो इस बार आपके पास मौका है। आप इस साल 30 सितंबर तक अपने कर्ज का पुनर्गठन करा सकते हैं। लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें हैं। पैसाबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी और सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा कहते हैं, ’31 मार्च, 2021 को ऋण खाता ‘मानक’ खातों की श्रेणी में होना चाहिए और उस पर बकाया कर्ज ज्यादा से ज्यादा 25 करोड़ रुपये होना चाहिए।’
दूसरी बार ले रहे राहत
जिन कर्जदारों ने पिछली बार राहत ले ली थी, उनके पास भी दोबारा राहत पाने का मौका है। यदि पिछली साल आए राहत पैकेज के तहत उन्होंने 2 साल से कम अवधि के लिए मॉरेटोरियम (कर्ज की किस्त अदा करने में छूट) लिया था तो इस बार उनकी मॉरेटोरियम अवधि बढ़ाई जा सकती है या उन्हें कुछ समय के लिए और छूट दी जा सकती है ताकि कुल मिलाकर 2 साल की अवधि पूरी हो जाए।
इसे ऐसे समझते हैं। मान लीजिए कि पिछले साल आपने 10 महीने के लिए मॉरेटोरिय का फायदा उठाया था। मियाद पूरी होते-होते आपके कर्ज का पुनर्गठन कर दिया गया और छह महीने के लिए आपका मॉरेटोरियम बढ़ गया। इस तरह आपने कुल मिलाकर 16 महीने के लिए मॉरेटोरियम का फायदा उठा लिया है। बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘इसका मतलब है कि इस मामले में आपकी मॉरेटोरियम अवधि में आठ महीने का इजाफा और हो सकता है यानी आपको इस साल भी आठ महीने का मॉरेटोरियम मिल सकता है।’
क्या है समाधान का ढांचा?
पिछले साल जो समाधान ढांचा पेश किया गया था, उसमें ऐसा कोई भी व्यक्ति कर्ज पुनर्गठन की अर्जी डाल सकता था, जिसका 1 मार्च, 2020 को 30 दिन से अधिक का बकाया नहीं था। पुनर्गठन के तहत उसे मॉरेटोरियम मिल सकता था, कर्ज की शर्तें नए सिरे से तय की जा सकती थीं या कर्ज को किसी अन्य तरह की ऋण सुविधा में तब्दील किया जा सकता था।
मॉरेटोरियम का मतलब है कि कर्जदार को मासिक किस्त नहीं चुकानी पड़ती। जो किस्त वह नहीं चुकाता है, उसे उसके मूलधन में जोड़ दिया जाता है और इस तरह मूलधन बढ़ जाता है। जब वह किस्तें दोबारा चुकाना शुरू करता है तो उसकी कर्ज चुकाने की अवधि (कुछ मामलों में मासिक किस्त की रकम भी) बढ़ जाती है।
अवधि नए सिरे से तय करने यानी रीशेड्यूलिंग का मतलब यह है कि ग्राहक मासिक किस्त घट जाएगी और चुकाने की अवधि बढ़ जाएगी। तीसरे विकल्प के तहत कर्ज को किसी अन्य तरह के कर्ज में तब्दील कर दिया जाता था। जैसे आवास ऋण के थोड़े हिस्से को पर्सनल लोन में बदला जा सकता था। इस बार की समाधान प्रक्रिया का ब्योरा अभी तक बताया नहीं गया है।
फिर आप क्या करें?
सबसे पहले देखिए कि आपके पास कितनी नकदी आ रही है और उसके बाद तय कीजिए कि आपको राहत कार्यक्रम का फायदा उठाना है या नहीं। डिजिटल होम लोन ब्रोकर फर्म स्विचमी के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी आदित्य मिश्र कहते हैं, ‘शहरी आबादी के बड़े हिस्से को टीका लगने में छह से नौ महीने का वक्त लग जाएगा। उतने महीनों तक लोगों की आय भी बिगड़ सकती है। इसलिए उतने समय के लिए ही राहत मांगें।’
मगर ध्यान रहे कि आपको इस राहत की कीमत भी अदा करनी होगी। सेबी में पंजीकृत निवेशल सलाहकार पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव की राय है, ‘अगर आपके पास आने वाली नकदी कम हुई है और आपके पास कोई और उपाय नहीं है तो कर्ज चुकाने में चूक करने के बजाय इस योजना का फायदा उठा लें। लेकिन ध्यान रहे कि कर्ज पर आपका कुल ब्याज इससे बढ़ जाएगा।’ मगर समाधान प्रक्रिया को पिछले साल मार्च से अगस्त के बीच में मिली मॉरेटोरियम सुविधा समझने की भूल न कर बैठें। उस सुविधा पर उच्चतम न्यायालय ने ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक दिया है।
अंत में कुछ मामलों में कर्ज देने वाली संस्था आपके आवास ऋण के कुछ हिस्से को पर्सनल लोन में तब्दील कर सकती है। मिश्र कहते हैं, ‘ऐसा होने पर आपको अधिक दर से ब्याज देना पड़ेगा, इसलिए जहां तक संभव हो, इससे बचिए।’