सब-प्राइम संकट की वजह से दुनिया भर के वित्त बाजार में मची तबाही ने बड़े-बड़े निवेश बैंकों की हालत खस्ता कर दी है। ऐसे में छोटे निवेशकों के साथ-साथ बड़े निवेशक भी संपत्ति या इक्विटी में निवेश करने के बजाय अपने पास नकद रखने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
हालांकि कुछ समय पहले तक हालात ऐसे नहीं थे और लोग अपने पैसे इक्विटी, ऋण बाजार, कमोडिटीज और अचल संपत्ति में लगाना चाहते थे। अब जबकि लगभग सभी संपत्तियों में गिरावट का रुख है, तो प्रमुख सवाल यह है कि अपने पैसे को आखिर किस जगह लगाएं कि वह सुरक्षित रहे
निवेशक इन दिनों शेयर बाजार से दूरी बनाए रखना ही बेहतर समझ रहे हैं, क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि आने वाले कुछ महीनों में शेयर बाजार में तेजी लौटेगी।
एक वित्त प्रबंधक का मानना है, ‘लोग शेयर बाजारों में पैसे लगाने से हिचक रहे हैं, लेकिन जिन लोगों ने पैसे लगाए हैं, वे बाजार से बाहर भी नहीं निकल रहे। दरअसल, वे नुकसान नहीं उठाना चाहते।
हालांकि शेयर बाजारों में जैसे ही थोड़ी तेजी दिखेगी, निवेशकों में अपने पैसे निकालने की होड़ मच सकती है।’ इस साल अब तक बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ समय में इससे राहत मिलने की गुंजाइश नहीं है।
हालांकि शेयर बाजारों को लेकर उम्मीद पूरी तरह से अब भी खत्म नहीं हुई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि छोटे निवेशक अब भी शेयर बाजारों का रुख कर रहे हैं, पर सीधे नहीं बल्कि एसआईपी के जरिए इक्विटी म्युचुअल फंडों के जरिए।
और अमीर निवेशक बाजार में उन कंपनियों के शेयरों पर दांव खेलने में लगे हुए हैं, जिनके दाम काफी गिर चुके हैं। अब ऐसे लार्ज कैप शेयर उनकी पसंद बन कर उभरे हैं, जिनके भाव काफी गिर चुके हैं।
मॉर्गन स्टैनली में एशिया इकाई के वेल्थ मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक लेसली मेंकेस कहते हैं, ‘अमीर निवेशक मौके की नजाकत को भांपते हुए इक्विटी से पैसे निकालना चाह रहे हैं और अब वे अपने पास नगद पैसा रखना बेहतर समझ रहे हैं।
कुछ निवेशक ऐसे भी हैं जो बाजार के स्थिर होने के इंतजार में चुपचाप बैठे हैं।’ निजी बैंकों के अधिकारियों की मानें तो ऐसे समय में जब शेयर बाजरों में उथल-पुथल मची हुई है तो निवेशक जोखिम से बचने के लिए फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और 30 से 90 दिनों के शॉर्ट टर्म पेपर में निवेश करना बेहतर समझ रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 29 अगस्त को समाप्त हुए महीने में फिक्स्ड डिपॉजिट्स में 35,403 करोड़ रुपये की तीव्र बढ़ोतरी देखी गई है। एमफी (एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया) के आंकड़ों के अनुसार एफएमपी के तरफ भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है और लिक्विड और मनी मार्केट स्कीमों में अगस्त में 2,85,267 करोड़ रुपये की तेजी देखी गई है।
इधर, रियल एस्टेट की कीमतों में गिरावट आई है और ऊपर से ब्याज दरें भी अधिक हैं, ऐसे में निवेशक मकानों और जमीनों में भी अपना पैसा लगाने से कतराने लगे हैं।
कमोडिटी में निवेश अब भी भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय नहीं हुआ है। हालांकि वित्तीय प्रबंधकों का कहना है कि देर से ही सही पर अब निवेशक सोने में निवेश को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखने लगे हैं और इसकी शुरुआत भी कर चुके हैं।