शेयर बाजार की तेजी पर अनिश्चिताओं का साया

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:17 PM IST

बीएस बातचीत
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक प्रकाश कचोलिया ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि चूंकि बाजार लगातार तेजी की राह पर बढ़ रहे हैं, लेकिन निवेशकों को मिड-कैप और स्मॉल-कैप में बेहतर अवसर हासिल हो सकते हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या बाजार आर्थिक हालात और कोविड-19 टीके को लेकर ज्यादा उत्साहित हैं?
नवंबर में भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का पूंजी निवेश आश्चर्यजनिक है। एफपीआई प्रवाह में किसी तरह के दबाव से तेजी की चाल प्रभावित हो सकती है। निफ्टी का पिछला पी/ई अनुपात 37.20 है, जो 21 के ऐतिहासिक औसत से ऊपर है। एक साल में वैश्विक बाजार पूंजीकरण पहली बार 100 लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंचा है, और वह भी ऐसे समय में जब परिदृश्य धुंधला नजर आ रहा है। बाजार की तेजी पर फीयर ऑफ मिसिंग आउट (फोमो) की अनिश्चितता आर्थिक परिवेश को फीका बना रही है।
मौजूदा बाजार में आप अवसर कहां देख रहे हैं?
मैं बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), फार्मा और हेल्थकेयर, एग्रो ऐंड स्पेशियल्टी केमिकल्स, तथा ऑटो एंसिलियरी क्षेत्रों पर सकारात्मक रहना पसंद करूंगा। कुछ वर्षों तक कमजोर रहे रियल एस्टेट सेक्टर में अचानक तेजी आई है और पिछले 6 महीनों में इसमें लेनदेन की संख्या काफी बढ़ी है। भारत उत्पादन-आधारित रियायत (पीएलआई) योजना की घोषणा के बाद कई क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देख सकता है। जहां तक ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट प्रशासन) का सवाल है, आपको निवेश करते वक्त चयन पर जोर देना चाहिए, जिससे कि
निवेश से संबंधितकंपनी की गुणवत्ता सुरक्षित हो।

आप निवेशकों को कहां अवसर तलाशने की सलाह दे रहे हैं – मिड-कैप, स्मॉल-कैप या लार्ज-कैप?
लार्ज-कैप 2020 में अब तक तेजी से चढ़े हैं और मिड-कैप, स्मॉल-कैप में तेजी आ रही है। निवेशक भविष्य में मिड-कैप और स्मॉल-कैप में अच्छे अवसर पा सकते हैं। उन्हें इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों (भले ही किसी सेगमेंट के हों) को दीर्घावधि निवेश पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। प्रबंधन, कॉरपोरेट शासन, पूंजी आवंटन आदि की गुणवत्ता को किसी खास शेयर में निवेश के लिए आधार बनाना चाहिए।
क्या आप मानते हैं कि पूंजी सुरक्षित दांव से बाहर आएगी और उन क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है?
इक्विटी बाजारों में क्षेत्रवार बदलाव एक वास्तविकता है, फार्मा और आईटी में ताजा तेजी खास आर्थिक स्थिति की वजह से सक्षम थी। लेकिन निवेशकों का आईटी और फार्मा के प्रति रुझान बना हुआ है।

क्या संस्थागत निवेशकों और एफपीआई की चिंताएं क्या हैं?
मार्च में गिरावट के बाद घरेलू निवेशकों ने मुनाफावसूली पर जोर दिया। इसलिए, स्थानीय निवेशकों द्वारा ज्यादा सतर्कता बरतना तर्कसंगत है। इसके अलावा, म्युचुअल फंडों में कमजोर मासिक इक्विटी प्रवाह और रिडम्पशन ने घरेलू म्युचुअल फंडों को बाजार से दूर बनाए रखा। अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी, भारत में ऊंची मुद्रास्फीति, और घरेलू नकदी चक्र की वापसी ऐसे कारक हैं जो विदेशी निवेशकों की पसंद में बदलाव ला सकते हैं।

बाजार में वृहद परिदृश्य को लेकर क्या चिंताएं हैं?
वृहद परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस्पात, सीमेंट, और विभिन्न जिंसों की कीमतों में तेजी के साथ मुद्रास्फीति में बदलाव आ सकता है। मुद्रास्फीति आरबीआई की 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर है। राजकोषीय घाटे को लेकर यह स्पष्ट है कि राजकोषीय मानकों को पूरा नहीं किया जाएगा, और इस साल इस मोर्चे पर विफलता मिलेगी। लेकिन इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होगी, क्योंकि पूरे वर्ष कमजोर आर्थिक हालात रहे हैं।

क्या यह आशंका है कि बजट के बाद बाजार में तेजी गायब हो सकती है?
बजट महत्वपूर्ण है। बाजार की नजर हालात सामान्य होने की रफ्तार पर रहेगी, जिसका संकेत आगामी बजट में मिल सकता है। राजस्व बढ़ाने की सरकार की योजना पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी।

पिछले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी। फिलहाल वित्तीय क्षेत्र के प्रति निवेशकों का नजरिया कैसा
होना चाहिए?
पूंजी पर्याप्तता मानक पूरे करने के लिए कई पीएसबी में सरकार ने बड़ी मात्रा में पूंजी लगाई है और वे निवेशक के नजरिये से सफल साबित हो सकते हैं। जैसे ही आर्थिक चक्र में सुधार आएगा, कोष के लिए मांग भी बढ़ेगी। इन सब बदलावों को इस क्षेत्र के लिए शुभ संकेत माना जाना चाहिए।

First Published : December 13, 2020 | 11:55 PM IST