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BS Manthan 2025: चालू खाते का घाटा नियंत्रण में रखने की जरूरत : उदय कोटक

भारत का चालू खाते का घाटा इस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत है।

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सुब्रत पांडा   
अंजलि कुमारी   
Last Updated- February 27, 2025 | 11:31 PM IST

कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और निदेशक उदय कोटक ने गुरुवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड के मंथन समिट में कहा कि चालू खाते के घाटे का जवाब घरेलू प्रतिस्पर्धा ही है और भारत को खर्च किए गए समय पर प्रतिफल (रोटी) में बढ़ोतरी लाने की जरूरत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पांच वर्षों में एक वैश्विक उपभोक्ता ब्रांड बन जाएगा, जिसे किसी भी देश के ग्राहक पहचान सकेंगे, जैसा अमेरिका का ऐपल है। उन्होंने कहा कि भारत को अपना चालू खाते का घाटा नियंत्रित रखने पर जोर देना चाहिए क्योंकि देश अनिश्चितता के समय पैदा होने वाले दबाव को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

भारत का चालू खाते का घाटा इस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत है। जहां भारत अमेरिका के साथ करीब 40 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष की स्थिति में है वहीं चीन के साथ उसे 80 अरब डॉलर से ज्यादा के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
कोटक ने कहा, ‘सवाल यह है कि अगर अमेरिका समानता चाहता है तो हम अपने चालू खाते को लेकर क्या करने जा रहे हैं? चालू खाते के घाटे का जवाब आखिरकार घरेलू प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।’ उन्होंने कहा कि भारत को दो चीजों पर खास ध्यान देने की जरूरत होगी और इनमें से एक है उत्पादकता।

उन्होंने कहा कि भारत को खर्च किए गए समय पर प्रतिफल (रोटी) में बड़ा सुधार लाना होगा और अपने उद्योगों की प्रतिस्पर्धा में सकारात्मक बदलाव करना होगा क्योंकि वे लंबे समय तक संरक्षणवाद में रहे हैं। इसके अलावा, कोटक ने आगाह किया कि विदेशी धन को भारत से बाहर जाने (जब भी ऐसा हो) से रोकने के लिए देश के पास ठोस रणनीति होनी चाहिए। कोटक के अनुसार ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी डॉलर एक सक्शन पंप की तरह काम कर रहा है और जब यह वैक्यूम पंप दूसरी ओर बढ़ेगा तो विभिन्न देशों में दबाव पैदा होना तय है।

कोटक ने कहा, ‘भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश की बेहद सकारात्मक आवक होती रही है। आज बाजार मूल्य पर एफपीआई आवक 800 अरब डॉलर के आसपास होगी। सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध शेयरों में एफडीआई की वैल्यू एक लाख करोड़ डॉलर के करीब होगी। भारत की बाह्य वाणिज्यिक उधारी करीब 700 अरब डॉलर हैं। इसलिए, अगर आप यहां से निकलने लायक कुल पूंजी परिसंपत्तियों को लें, जिसे भारत ने आकर्षित किया है, तो यह लगभग 2.5 लाख करोड़ डॉलर है।’ उन्होंने कहा कि भारत का शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार 550-600 अरब डॉलर के स्तर पर बेहद अनुकूल है। इसलिए, हम इसका मुकाबला करने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में हैं।

कोटक ने कहा, ‘अहम सवाल यह है कि यदि अमेरिकी ब्याज दरें लंबे समय तक 4.5 फीसदी के आसपास बनी रहती हैं और ट्रंप के कार्यकाल में डॉलर लगातार मजबूत होता है तो भारत के पास ऐसी मजबूत कार्य योजना होनी चाहिए कि यदि 2.5 लाख करोड़ डॉलर का एक छोटा हिस्सा भी बाहर चला जाए, तो नीतिगत दृष्टिकोण से हमारे पास क्या उपाय होंगे?’भारत के पास विकल्प यह है कि वह या तो अपने भंडार का इस्तेमाल करे या फिर बाजार को अपना स्तर तय करने दे। कोटक ने कहा कि अगर भारत अपने भंडार का इस्तेमाल करने का फैसला करता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके पास पर्याप्त घरेलू तरलता हो।

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय बाजार आखिरकार उस बिंदु पर पहुंच जाएंगे जहां मूल्यांकन बहुत आकर्षक होंगे, जिससे पूंजी बाजार में वापसी का महत्त्वपूर्ण अवसर मिलेगा। कोटक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम एक ऐसे मोड़ पर पहुंचेंगे जहां भारतीय मूल्यांकन बहुत आकर्षक दिखने लगेंगे और मुझे नहीं पता कि कब ऐसा होगा। इसलिए मैं स्तरों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन उस समय हम आगे बढ़ने के साथ पूंजी बाजारों में वापस आने के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर देखेंगे।’

(डिस्क्लेमर: बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक फैमिली के नियंत्रण वाली इकाइयों की बहुलांश हिस्सेदारी है)

First Published : February 27, 2025 | 11:15 PM IST