मुश्किल हैं कई राह में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 3:11 AM IST

बढ़ते बाजार को ध्यान में रखते हुए दो बहुरराष्ट्रीय दवा कंपनियां नोवार्टिस एजी और फाइजर भारत में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाने के लिए सहयोगी सूचीबद्ध कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाने जा रही हैं। इसके लिए दोनों कंपनियां ओपन ऑफर का रास्ता अपना रही हैं।
अगर यह सफल हो जाता है तो नोवार्टिस की हिस्सेदारी बढ़कर 90 फीसदी हो जाएगी वहीं फाइजर की हिस्सेदारी 75 फीसदी पर पहुंच जाएगी। खबरों के मुताबिक वित्तीय संस्थानों ने अपनी हिस्सेदारी बेचने में दिलचस्पी नहीं ली है। ऐसे में आखिर व्यक्तिगत निवेशकों को क्या करना चाहिए? दोनों कंपनियों के मौजूदा भाव, हालिया प्रदर्शन और विकास संभावनाओं के लिए आगे पढ़िए।
डीलिस्टिंग योजना
नोवार्टिस और फाइजर जैसी बहुरराष्ट्रीय दवा कंपनियां दुनिया भर में 100 फीसदी सहयोगी कंपनियों द्वारा परिचालन करती हैं। पर पहले के नियमन की वजह से वे भारत में सूचीबद्ध कंपनी के तौर पर कारोबार कर रही हैं। दोनों कंपनियों की 100 फीसदी स्वामित्व वाली सहयोगी भारत में हैं।
फार्मेसिया इंडिया और फाइजर फार्मास्युटिकल फाइजर की सहयोगी कंपनियां हैं। जबकि नोवार्टिस हेल्थकेयर इंडिया और सैंडोज नोवार्टिस एजी की सहयोगी कंपनियां हैं। हालांकि, दोनों कंपनियों ने इस बात का संकेत दिया है कि ओपन ऑफर का मकसद परिचालन में मजबूती और अधिक लचीलापन लाना है और मौजूदा आकर्षक भाव का इस्तेमाल हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए करना है।
विश्लेषकों का मानना है कि ये फैसला सर्राफा बाजार से डीलिस्ट करने की दिशा में पहला कदम है। हिस्सेदारी बढ़ जाने से कंपनियों का परिचालन पर पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा।  अभी 26 फीसदी या उससे ज्यादा वोटिंग क्षमता वाले नॉन-प्रमोटर शेयरधारक कई फैसलों को रोक सकते हैं।
अगर बढ़ी हुई हिस्सेदारी के साथ कंपनियों का परिचालन जारी भी रहता है तो छोटे शेयरधारकों के लिए नए उत्पाद का लान्च ही अहम रहेगा।
नए उत्पाद और विकास
फाइजर इंडिया ने पहले ही ये संकेत दिया है कि वह अपनी सहयोगी कंपनियों के जरिए पेटेंट वाले उत्पाद लॉन्च करेगा।  नोवार्टिस एजी भी अपने 100 फीसदी स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनियों के जरिए आंखों के लिए लुसेंटिस, स्किन केयर के लिए इलिडेल और मधुमेह रोधी गैल्वस लॉन्च करने जा रही है।
ये बड़ी स्विस कंपनी उस वक्त मुश्किलों का सामना करना पड़ा जब कैंसर रोधी दवा गैल्विक के पेटेंट के लिए लिए अल्फा और क्रिस्टल फार्म के आवेदन खारिज कर दिए गए। वहीं पिछले एक साल में फाइजर इंडिया ने सात नए उत्पाद लॉन्च किए हैं।
इनमें धूम्रपान रोधी चैम्पिक्स, रक्तस्राव रोकने वाली दवा साइक्लोकैपरोन, रक्त चाप नियंत्रित रखने वाली दवा एक्युपिल और सांस संबंधी संक्रमण से बचाव वाली दवा ट्रूलिमैक्स शामिल है। ये सभी सूचीबद्ध सहयोगी कंपनियों के उत्पाद हैं।
प्रदर्शन
नोवार्टिस इंडिया अपने उत्पादों को चार कारोबारी क्षेत्र में बेचती है। ये हैं- फार्मास्युटिकल, जेनरिक, ओटीसी और पशु स्वास्थ्य। पिछले दो वित्तीय वर्ष में नोवार्टिस की बिक्री में बहुत अच्छी बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसकी वजह नए उत्पादों की कमी है।
कंपनी को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। दिसंबर में खत्म हुए इस वित्त वर्ष के नौवें महीने तक कंपनी के दवा कारोबार में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसमें वोवरैन, मेथार्जिन और सैंडिम्युन न्यूरल के साथ नए उत्पादों की अहम हिस्सेदारी रही। पेटेंट पंजीकरण और मूल्यों को लेकर अभी समस्याएं आने वाली हैं।
अगर कंपनी इन समस्याओं को सुलझा लेती है और सूचीबद्ध सहयोगी का इस्तेमाल नए उत्पादों के लॉन्च के लिए करती है तो बिक्री में बढ़ोतरी हो सकती है। फाइजर नए उत्पादों के लॉन्च के मामले में ज्यादा आक्रामक है। कंपनी ने सूचीबद्ध सहयोगियों के जरिए 2008 में 7 नए उत्पाद लॉन्च किया।  कंपनी के कुल कारोबार में दवा कारोबार की हिस्सेदारी 80 फीसदी है।
लाइसेंसिंग डील और 2009 में दो नए उत्पादों के जरिए कंपनी के कारोबार में बढ़ोतरी की उम्मीद है। फरवरी 2009 में समाप्त हुए तिमाही में कंपनी की बिक्री तो 22 फीसदी बढ़ गई लेकिन परिचालन मुनाफे में 220 आधार अंकों की कमी आ गई। इसकी वजह कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी रही।
फाइजर के लिए चिंता की वजह कफ सिरप कोरेक्स बना हुआ है। यह देश के बड़े दवा ब्रांडों में से एक है। पर इसे बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोडियल फॉस्फेट की आपूर्ति को लेकर बनी अनिश्चितता की वजह से इसकी बिक्री प्रभावित हो सकती है।
भाव
फाइजर इंडिया और नोवार्टिस इंडिया के शेयरों के दाम में तेजी देखी जा रही है। कंपनियों ने जो ओपन ऑफर दाम तय किए हैं उसके मुकाबले फाइजर इंडिया के शेयर में 6 फीसदी और नोवार्टिस इंडिया के शेयर में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दोनों कंपनियां वित्त वर्ष 2010 के अनुमान से 10 से 11 गुना पर कारोबार कर रही हैं और उनका प्रति शेयर लाभ क्रमश: 71 रुपये और 39 रुपये बढ़ गया है।  मजबूत ब्रांडों, कई अच्छे उत्पादों की योजना, वितरण क्षेत्र बढ़ने और घरेलू बाजार की हालत को देखते हुए इनकी विकास दर 10 से 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
चुभने वाली बात बस एक ही है कि नए उत्पादों को शत फीसदी स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनियों के जरिए उतारा जा रहा है। अगर आप अस्थिरता को बचा सकते हैं तो आप अपने निवेश को बनाए रख सकते हैं।

First Published : April 27, 2009 | 9:04 PM IST