मुनाफे की राह पर चल निकली सुजलॉन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 12:16 AM IST

पिछले एक साल में सुजलॉन एनर्जी के शेयरों ने बाजार में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।
साल भर में कंपनी के शेयर 80 फीसदी तक गिर चुके हैं, जबकि सेंसेक्स में कुल मिलाकर 33 फीसदी की ही गिरावट देखने को मिली है।
हैरत इस बात की है कि पिछले एक महीने में सुजलॉन के शेयरों में 65 फीसदी तक का इजाफा हो चुका है। मजे की बात यह है कि सेंसेक्स में सिर्फ 32.4 फीसदी का इजाफा देखने को मिला।
इसकी बड़ी वजह रही नए ऑर्डरों का मिलना, जिंसों की कम कीमत, विदेशी कर्जों की पुनर्संरचना की चर्चा और शेयर की आकर्षक कीमतें। जहां तक ऑर्डरों की बात है, तो पिछले 45 दिनों में सुजलॉन को 2,200-2,500 करोड़ रुपये या 400 मेगावॉट के ऑर्डर मिल चुके हैं।
कंपनी को अमेरिका की डयूक एनर्जी से रिपीट ऑर्डर मिला है, जो इसे जुलाई तक पूरा करना है। साथ ही, ऑस्ट्रेलिया की एजीएल एनर्जी की तरफ से भी 132.3 मेगावॉट का ऑर्ड मिला है। साथ ही, इसे चीन में भी 100 मेगावॉट का ऑर्डर मिला है, जिसके लिए पैसे विश्व बैंक दे रहा है।
इनसे कंपनी के अमेरिकी कारोबार को लेकर भी बाजार में अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। दरअसल, ब्लेड्स की टूटने की घटनाओं को लेकर इसकी काफी आलोचना हो रही थी। इस वजह से कंपनी को काफी नुकसान भी हुआ था।
मौजूद हैं जोखिम
कंपनी इस वक्त दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी विंड टरबाइन निर्माता है। वैश्विक बाजार के करीब 13 फीसदी पर इसी का कब्जा है। घरेलू बाजार के 55 फीसदी कारोबार पर इसका कब्जा है। वैसे, इसे सबसे ज्यादा कमाई अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों से होती है। इसकी कमाई का 55 फीसदी हिस्सा इन्हीं बाजारों से आता है।
पिछले पांच सालों में दुनिया में पवन ऊर्जा से बिजली की उत्पादन क्षमता में हर साल 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। आज पवन ऊर्जा से 1.20 लाख मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। हालांकि, मंदी और कर्ज की तंगी की वजह से इसने अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में अपनी विकास दर कम करनी पड़ी है।
साथ ही, अमेरिका से इसके ब्लेड्स के टूटने और इसके उपकरणों की क्वालिटी को लेकर काफी शिकायतें आ रही हैं। अगर कंपनी इन दोनों बाजारों पर अपनी बादशाहत कायम करनी है, तो इन शिकायतों को उसे दूर करना होगा।
पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में इस वजह से कंपनी के ऑर्डर बुक में 42.5 फीसदी की गिरावट से दो-चार होना पड़ा। इसके पास ऑर्डर बैकलॉग भी काफी कम है, जो कंपनी के लिए आगे चलकर मुसीबत का सबब बन सकता है। सुजलॉन जैसी कंपनी के लिए ऑर्डर बैकलॉग, नए ऑर्डर मिलने जितना ही अहम होता है। यह उसकी मौजूदा हालत और कमाई के स्तर के बारे में बताता है।
हालांकि, कंपनी को नए ऑर्डर तो अब मिलने शुरू हो गए हैं, लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक ऑर्डर बैकलॉग की हालत पतली ही बनी हुई है। बड़ी बात यह है कि कंपनी अब पहली छमाही में 600 मेगावॉट के नए ऑर्डर जुटाने में लगी हुई है। अगर ऐसा हो गया, तो वह कंपनी के लिए राहत की बात होगी।

First Published : April 13, 2009 | 7:03 PM IST