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सरल हुए निवेश संबंधी नियम

Last Updated- December 11, 2022 | 4:22 PM IST

भारतीय कंपनियां, जो वित्तीय गतिविधि में शामिल नहीं है, अब किसी विदेशी वित्तीय सेवा फर्म जैसे ब्रोकरेज, संपत्ति प्रबंधन करने वाले फंडों, क्रेडिट कार्ट में ऑटोमेटिक रूट से निवेश कर सकती हैं। हालांकि बैंकों व बीमा फर्मों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसके पहले इस तरह का निवेश प्रतिबंधित था।

वित्त मंत्रालय की ओर से सोमवार को अधिसूचित ओवरसीज डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (ओडीआई) के नए नियमों में यह सुविधा दी गई है। इसका मकसद उन घरेलू फर्मों के लिए नियम सरल करना है, जो विदेश की किसी इकाई में निवेश करना चाहती हैं। इस कदम से कई कंपनियों के लिए दरवाजे खुल सकते हैं, जो विदेश में वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश करने को इच्छुक थीं। अब अगर कंपनी का 3 साल के मुनाफे का रिकॉर्ड अच्छा है तो वे अपने मुनाफे का 3 गुना निवेश कर सकती हैं।

खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर मोइन लाढा ने कहा, ‘वित्तीय गतिविधियों में शामिल नहीं रहने वाली भारतीय इकाइयों को वित्तीय सेवा में निवेश की अनुमति देने से निश्चित रूप से अतिरिक्त धन को लगाने के लिए एक जगह मिलेगी। इसके साथ ही उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र के विविधीकरण में मदद मिलेगी। इसके लिए 3 साल के मुनाफे और ओडीआई से जुड़ी अन्य शर्तों का पालन करना होगा।’

हालांकि अगर कोई इकाई बीमा क्षेत्र से नहीं जुड़ी है, तो वह जनरल और स्वास्थ्य बीमा में ओडीआई मार्ग अपना सकती है, जहां इस तरह का बीमा कारोबार इस तरह की भारतीय इकाई की विदेश में स्थित प्रमुख गतिविधियों को समर्थन करता है। इस तरह की राहत गिफ्ट  सिटी में निवेश के लिए दी गई है, जहां गैर वित्तीय सेवा इकाई इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर में पंजीकृत विदेशी इकाई में निवेश कर सकती है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वित्तीय सेवा गतिविधि में लगी हो। पीडब्ल्यूसी में पार्टनर भाविन शाह ने कहा, ‘वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश को गैर वित्तीय इकाइयों के लिए खोलने और गिफ्ट सिटी में निवेश में राहत देने से भारत से नियंत्रित होने वाले फंडों और फिनटेक स्टार्टअप को मौका मिलेगा।
 

First Published - August 23, 2022 | 9:48 PM IST

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