वित्त-बीमा

ब्याज दरों में भारी कटौती की तैयारी! नीतिगत दरों में 100 बेसिस प्वाइंट तक कटौती संभव, सस्ती हो सकती हैं EMI

RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने इस साल फरवरी में रेपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, जो पिछले पांच वर्षों में पहली बार हुआ था।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- April 04, 2025 | 9:56 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ‘रिसिप्रोकल’ यानी जवाबी टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है। इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में 75 से 100 बेसिस प्वाइंट (bps) तक की कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर में ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका नहीं है, इसलिए RBI इस कदम पर विचार कर सकता है।

RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने इस साल फरवरी में रेपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, जो पिछले पांच वर्षों में पहली बार हुआ था। अब उम्मीद की जा रही है कि RBI अगले हफ्ते होने वाली अपनी बैठक में एक और 25 bps की कटौती कर सकता है।

अमेरिकी टैरिफ से भारत की वृद्धि दर पर असर

गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर 30 bps का असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिका की GDP ग्रोथ में गिरावट और सेवा निर्यात में सुस्ती के कारण अतिरिक्त 20 bps का नुकसान हो सकता है। इस तरह, कुल मिलाकर 50 bps की गिरावट संभव है।

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, 2025 में भारत की महंगाई दर 4% से नीचे रहने की संभावना है। इसी को देखते हुए वे उम्मीद कर रहे हैं कि RBI इस साल कुल 100 bps की रेपो रेट कटौती कर सकता है, जिसमें दूसरी और तीसरी तिमाही में 25-25 bps की कटौती शामिल हो सकती है।

भारत पर कम टैरिफ, लेकिन असर बाकी

अमेरिका ने भारत पर 26% का जवाबी टैरिफ लगाया है, जो 9 अप्रैल से लागू होगा। हालांकि, यह दर कई अन्य एशियाई देशों की तुलना में कम है, जिससे भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन इससे एक नई समस्या भी खड़ी हो सकती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर टैरिफ अपेक्षाकृत कम होने के कारण कई अन्य देश भारत में सस्ते दामों पर सामान बेच सकते हैं, जिससे देश में महंगाई दर कम बनी रहेगी।

UBS की रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में 25 bps की कटौती के बाद, RBI आगे भी 50 bps तक की कटौती कर सकता है। इसमें नीतिगत दरों में लचीलापन बनाए रखने और वित्तीय बाजार में स्थिरता लाने के लिए RBI को मौद्रिक नीति में नरमी लाने की जरूरत होगी।

आर्थिक मंदी की आशंका और RBI की भूमिका

विशेषज्ञों का कहना है कि RBI को वैश्विक आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए आगे और कदम उठाने होंगे। Emkay Global की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की 6.5% वृद्धि दर के लक्ष्य पर दबाव बढ़ सकता है। अगर अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आती है, तो इसका असर भारतीय उद्योगों पर भी दिखेगा।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अगर वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतें गिरती हैं और बाजार में अधिक आपूर्ति होती है, तो भारतीय उद्योगों को इससे झटका लग सकता है। हालांकि, RBI को अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं (EM Asia) के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा।

RBI ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में कुल 250 bps की बढ़ोतरी की थी, लेकिन अब वैश्विक स्थिति को देखते हुए इसमें कटौती की संभावना बढ़ रही है। आगामी बैठक में RBI क्या फैसला लेता है, इस पर बाजार की नजर बनी रहेगी।

First Published : April 4, 2025 | 9:44 PM IST