वित्त-बीमा

ग्राहकों के अधिक ऋण लेने से माइक्रोफाइनैंस सेक्टर पर दबाव

अनियंत्रित ऋण वृद्धि और फर्जी दस्तावेजों के कारण माइक्रोफाइनेंस में ग्राहकों की भुगतान क्षमता प्रभावित

Published by
सुब्रत पांडा   
Last Updated- October 18, 2024 | 11:16 PM IST

मोतीलाल ओसवाल ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में मौजूदा दबाव अनियंत्रित ऋण वृद्धि और फर्जी मतदाता प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करके ग्राहकों को कई ऋण दिया जाना है। इसकी वजह से उधारी लेने वालों को इतना ऋण मिल गया है, जिसको चुका पाने की उनकी क्षमता नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि व्यापक रूप से देखें तो उद्योग ने अपने लिए खुद चुनौतियां पैदा की हैं।

इसके अलावा रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि एमएफआई में यह तनाव पूरे वित्त वर्ष 2025 में बना रहेगा और वित्त वर्ष 2026 में यह सेक्टर सामान्य की ओर बढ़ना शुरू कर देगा। इसमें कहा गया है, ‘हमारी जांच से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही पूरे वित्त वर्ष की सबसे चुनौतीपूर्ण तिमाही होगी और वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में ऋण की लागत उच्च स्तर पर बनी रहेगी।’माइक्रोफाइनैंस सेक्टर पिछले 5-6 महीनों से चुनौतियों और बाधाओं से जूझ रहा है, जिसके कारण संपत्ति की गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

सा-धन के आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान माइक्रो फाइनैंस पोर्टफोलियो की संपत्ति की गुणवत्ता कम हुई है। जून 2024 के अंत में 90 दिन से ज्यादा समय तक का बकाया भुगतान (डीपीडी) बढ़कर 1.2 प्रतिशत हो गया है जो जून 2023 में 0.9 प्रतिशत था।

जून 2024 में 30 दिन से अधिक डीपीडी वाला कर्ज बढ़कर 2.70 प्रतिशत हो गया है, जो मार्च 2024 में 2.30 प्रतिशत और जून 2023 में 2 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कई एनबीएफसी और एमएफआई (स्माल फाइनैंस बैंक और कुछ बैंकों सहित) ने कहा था कि लू चलने और चुनावों के कारण व्यवधान आया है। इसकी वजह से परिचालन संबंधी चुनौतियां हो सकती हैं, जिसमें ईएमआई के भुगतान में देरी शामिल है, लेकिन इससे ग्राहकों की भुगतान की मंशा या उनकी क्षमता पर असर नहीं पड़ता है।’

First Published : October 18, 2024 | 11:16 PM IST