ऑनलाइन गेम: आपका कौशल या किस्मत का खेल?

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:51 AM IST

पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से लाखों लोगों के लिए आभासी यानी वर्चुअल दुनिया ही असली दुनिया बन गई। मुंबई के एम लाल (बदला हुआ नाम) जैसे कई लोगों ने ज्यादातर समय ऑनलाइन गेम खेलकर बिताए। लाल कहते हैं, ‘मैं टूर-ट्रैवल में काम करता हूं मगर महामारी के कारण यह उद्योग पूरी तरह ठप हो गया है और अब भी उबर नहीं पाया है। ऐसे में घर बैठकर मैं ज्यादातर वक्त ऑनलाइन गेम खेलते हुए ही बिताता हूं। इनमें रमी, पोकर, क्रिकेट, क्विज और बैटलग्राउंड जैसे गेम भी हैं, जहां आपको मनोरंजन के साथ बढिय़ा कमाई भी हो सकती है।’
डेलॉयट इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार लॉकडाउन से पहले भारत के लोग गेम खेलने में जितना समय बिताते थे, वह लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में 23 फीसदी तक बढ़ गया था। इतना ही नहीं, ऑनलाइन गेम खेलने वालों की तादाद भी 30 करोड़ पार कर गई। लेकिन इन ऑनलाइन गेम से कमाई करने के साथ ही लोगों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ये गेम किन आयकर नियमों के दायरे में आते हैं। टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा कहते हैं, ‘ऑनलाइन गेम से प्राप्त रकम चाहे छोटी हो या बड़ी हो, उसका जिक्र आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय जरूर करना चाहिए।’
ऑनलाइन गेम और कौशल

हाल ही में इस बात पर विवाद छिड़ गया था कि फैंटेसी गेम्स से होने वाली कमाई पर किस तरह कर लगाया जाना चाहिए। वाधवा कहते हैं, ‘पूरा विवाद इस बात पर है कि ऑनलाइन गेम से मिलने वाली आय को क्या माना जाए? इसे ऐसे खेल से हुई कमाई माना जाए, जिसमें दिमाग लगाना पड़ता है या किस्मत के खेल से मिली रकम माना जाए।’ वाधवा कहते हैं कि जिस गेम में किसी खास तरह के कौशल की जरूरत नहीं होती है, उस पर आयकर अधिनियम की धारा 115बीबी के तहत कर वसूला जाता है। लेकिन अगर गेम में खिलाड़ी को कौशल का इस्तेमाल करना पड़ता है तो उससे होने वाली कमाई पर उस व्यक्ति की आयकर श्रेणी के हिसाब से ही कर वसूला जाता है। ऑनलाइन गेम के बारे में अदालतों के भी कई निर्देश आए हैं। उनका जिक्र करते हुए वाधवा कहते हैं, ‘ऑनलाइन गेम में शिरकत करने के लिए कौशल और संबंधित जानकारियों की जरूरत होती है। इसे जुआ नहीं माना जा सकता है। ऐसे गेम से प्राप्त आय पर सामान्य दरों से ही कर लगना चाहिए।’
जिन गेमों में सारा दारोमदार किस्मत पर ही होता है, उनसे हुई कमाई पर धारा 115बीबी के तहत कर वसूला जाता है। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘लॉटरी, क्रॉसवर्ड पजल, रेसिंग, घुड़दौड़, ताश, जुआ या सट्टा और ऑनलाइन गेम आदि से हुई आय पर कराधान का 115 बीबी में जिक्र है।’ ऐसी आय पर 30 फीसदी दर से कर वसूला जाता है और अधिभार एवं उपकर अलग से लगता है।
कौशल नहीं तो कटौती का लाभ भी नहीं

जिन मामलों में 115 बीबी लागू होता है उनमें अर्जित आय पर 30 फीसदी की दर से कर लिया जाता है। धारा 58(4) के अनुसार ऐसी कमाई करने में जो भी खर्च होता है, उस पर कर कटौती का फायदा नहीं मिल सकता। एन ए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल वोहरा कहते हैं, ‘करदाता ऐसी आय पर अपनी कर श्रेणी के अनुसार कर में किसी तरह की छूट का दावा नहीं कर सकते हैं। न ही उन्हें 80सी या 80डी के तहत कर देनदारी की गणना करते वक्त ऐसी आय पर कटौती का लाभ मिलेगा।’
टीडीएस भरना होगा

करदाताओं को ऑनलाइन गेम से अर्जित आय स्रोत पर कर काटकर यानी टीडीएस लेकर दी जाती है। होस्टबुक्स के संस्थापक एवं चेयरमैन कपिल राणा कहते हैं, ‘धारा 194 बी के अनुसार अगर कोई व्यक्ति लॉटरी, क्रॉसवर्ड पजल आदि जीतने वाले व्यक्ति को जीती रकम का भुगतान करता है और वह रकम 10,000 रुपये से अधिक होती है तो 30 फीसदी कर काटने के बाद शेष रकम ही दी जाएगी।’
जिन गेम में शिरकत करने के लिए जानकारी या कौशल की जरूरत होती है उनमें टीडीएस काटने की जरूरत नहीं भी हो सकती है। वाधवा कहते हैं, ‘हालांकि ऑनलाइन गेम किसी विवाद से बचने के लिए 30 फीसदी कर काट लेते हैं। अगर कोई सहभागी (खिलाड़ी) यह दावा करता है कि ऐसी आय पर सामान्य दर पर कराधान होगा तो वह रिफंड का दावा कर सकता है।’ टीडीएस का लेखा-जोख करदाता के फॉर्म 26एएस में मिलेगा। इस रकम के लिए क्रेडिट आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त लिया जाना चाहिए। वोहरा कहते हैं, ‘अपनी रकम पर नजर रखें, खासकर अगर ये 10,000 से कम हैं क्योंकि इससे कम रकम पर टीडीएस लागू नहीं होता है।’

First Published : May 13, 2021 | 8:54 PM IST