राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) ने बुधवार को घरेलू पूंजी बाजार से मध्यम से लेकर अल्प अवधि के बॉन्ड के जरिये 14,000 करोड़ रुपये जुटाए। यह उनके आमतौर पर दीर्घावधि बॉन्ड को प्राथमिकता देने के रुझान में बदलाव को दर्शाता है। दरअसल, दीर्घावधि बॉन्ड की अधिक आपूर्ति के कारण यील्ड ऊंची हो गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक अप्रैल और जून में नीतिगत दरों में कटौती करेगा। इस वजह से बॉन्ड जारीकर्ताओं ने अल्पावधि के बॉन्ड विकल्प को चुना है। उनका अनुमान है कि ब्याज दर में कटौती से दीर्घावधि के बॉन्ड की यील्ड एक बार घटने के बाद दीर्घावधि की उधारी की लागत अधिक मुनासिब हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक नाबार्ड ने बुधवार को 3.5 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड पर 7.48 फीसदी की कूपन दर पर 7,000 करोड़ रुपये जुटाए।