बीते एक दशक के दौरान आवासीय प्रॉपर्टी की बिक्री कमजोर और कीमतें लगभग स्थिर रहने के बाद बाजार एक बार फिर वृद्धि की राह पर अग्रसर दिख रहा है। निवेशकों के सामने बड़ा सवाल यह है कि क्या इसे लंबी मंदी के बाद तेजी के दौर की शुरुआत माना जा सकता है और उन्हें अधिकतम लाभ के लिए अब इस परिसंपत्ति श्रेणी में निवेश करना चाहिए?
बिक्री और कीमतों में तेजी
आवासीय संपत्तियों की बिक्री में सुधार दिख रहा है। एनारॉक समूह के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार के अनुसार, ‘कैलेंडर वर्ष 2020 में जब कोविड-19 अपने चरम पर था, शीर्ष सात शहरों में 1.27 लाख नए मकान बने जबकि 1.38 लाख मकानों की बिक्री हुई। वर्ष 2021 में नए मकानों की संख्या बढ़कर 2.37 लाख (87 फीसदी की वृद्धि) हो गई और बिक्री 2.37 लाख मकान (72 फीसदी की वृद्धि) तक पहुंच गई। बाजार में तेजी की रफ्तार 2022 में भी बरकरार है। वर्ष 2022 की पहली छमाही के दौरान 1.7 लाख नए मकान बनाए गए जबकि 1.84 लाख मकानों की बिक्री हुई।’
संपत्ति पंजीकरण के आंकड़ों से भी बाजार में सुधार की झलक मिलती है। कोलियर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (परामर्श सेवा) शुभंकर मित्रा ने कहा, ‘अप्रैल से जून तिमाही के दौरान हैदराबाद में प्रॉपर्टी पंजीकरण में सालाना आधार पर 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर) में 15 फीसदी और पुणे में 10 से 12 फीसदी की वृद्धि हुई।’ अप्रैल-जून तिमाही में रिहायशी प्रॉपर्टी पर प्रॉपटाइगर रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष आठ शहरों में कीमतों में सालाना आधार पर औसतन 5 से 9 फीसदी के दायरे में वृद्धि हुई।
हाउसिंग डॉट कॉम की अनुसंधान प्रमुख अंकिता सूद ने कहा, ‘बाजार अब भी काफी हद तक वास्तविक खरीदारों पर निर्भर है। वर्ष 2010 के आसपास कीमतों में जो वृद्धि दर्ज की गई थी वह अब बीते दिनों की बात हो चुकी है। भविष्य में मूल्य वृद्धि की रफ्तार काफी सुस्त रहेगी।’
सूद ने कहा कि हाल में गुरुग्राम में प्रमुख जगहों पर तैयार अपार्टमेंट (रेडी-टु-मूव) की कीमतों में काफी तेजी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, ‘इन जगहों पर रेडी-टु-मूव अपार्टमेंट की इन्वेंट्री कम होने के कारण कीमतों में तेजी आई है। लेकिन निर्माणाधीन प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी की रफ्तार काफी सुस्त है।’
आकर्षक माइक्रो मार्केट
प्रॉपटाइगर रिसर्च के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही के दौरान माइक्रो मार्केट में जबरदस्त मांग दिखी थी। इसमें मुंबई में ठाणे पश्चिम, डोंबिवली, वसई एवं पनवेल, हैदराबाद में तेलपुर एवं कोकापेट, पुणे में रावेत, नोएडा में सेक्टर 79 एवं सेक्टर 150 और गुड़गांव में सेक्टर 89 एवं सेक्टर 106 शामिल हैं।
जगह और बुनियादी ढांचे पर दें ध्यान
निवेशक को लक्षित माइक्रो मार्केट के विकास चरण का अवश्य आकलन करना चाहिए। मित्रा ने कहा, ‘पता लगाएं कि वह अपने चरम पर पहुंच चुका है अथवा विकास के शुरुआती चरण में है और वृद्धि की गुंजाइश बाकी है।’
बुनियादी ढांचा भी मूल्य वृद्धि को निर्धारित करता है। कुमार ने कहा, ‘किसी परियोजना के लिए मौजूदा, आगामी और नियोजित फिजिकल एवं सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से भी वृद्धि की संभावनाएं निर्धारित होती हैं।’
राजमार्ग, फ्लाईओवर, मेट्रो रेल, हवाई अड्डा और यहां तक कि कार्यालय परिसर एवं आईटी पार्क से भी परियोजना क्षेत्र के प्रोफाइल में सुधार होता है। इन सब सुविधाओं के साथ परियोजना पूरी होने पर कीमतों में एकमुश्त तेजी दिख सकती है।
निवेश के समय बुनियादी ढांचा- कनेक्टिविटी, सामाजिक एवं स्वास्थ्य सुविधाएं- मौजूद होनी चाहिए। सूद ने कहा, ‘केवल ऐसे वादों पर भरोसा मत कीजिए कि बुनियादी ढांचा जल्द ही आ जाएगा। यदि आप यह सोचकर ऊंची कीमत पर खरीदारी करते हैं कि परियोजना पूरी होने पर कीमतों में वृद्धि होगी तो बुनियादी ढांचे के अभाव में आपको नुकसान हो सकता है।’
मित्रा ने कहा, ‘एक केंद्रीय व्यावसायिक जिले (सीबीडी) या एक शैक्षिक केंद्र से निकटता भी आसपास के आवास में सुधार करती है।’ निवेशक ऐसी प्रॉपर्टी से 3-4 फीसदी किराया भी कमा सकता है और कीमत बढ़ने पर वे उसे बेचने पर भी विचार कर सकते हैं।
डेवलपर की साख जांच लें
निवेश से पहले आपको सही परियोजना और सही डेवलपर पर गौर करना आवश्यक है। कुमार ने कहा, ‘सभी आवश्यक मंजूरियों के साथ-साथ रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण) में परियोजना का पंजीकरण भी आवश्यक है ताकि निष्पादन संबंधी जोखिम को दूर किया जा सके।’
डेवलपर के पास भूमि का स्पष्ट स्वामित्व होना चाहिए और अपार्टमेंट पर कोई भार नहीं होना चाहिए। मित्रा ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करें कि कहीं डेवलपर ने परियोजना को किसी ऋणदाता को गिरवी तो नहीं रखा है। यदि ऐसा है तो ऋण की अदायगी में चूक होने पर बैंक अपार्टमेंट पर कब्जा कर सकता है।’
खरीदारी से पहले डेवलपर की पृष्ठभूमि खंगालें। उसकी पिछली परियोजना के खरीदारों से जानकारी जुटाएं। उनसे पूछें कि क्या उन्हें समय पर कब्जा मिल गया था और वादे के मुताबिक सभी सुविधाएं दी गईं। सूद के अनुसार, यदि आप अभी किसी रिहायशी परियोजना में निवेश करना चाहते हैं तो तत्काल मुनाफे के बारे में न सोचें और लंबी अवधि के लिए निवेश करें।