भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के अध्यक्ष के रूप में देवाशिष पांडा की अंतिम बोर्ड बैठक में कमलेश गोयल और प्रेम वत्स के निवेश वाली फर्म वैल्यू एटिक्स रीइंश्योरेंस के लिए आर2 लाइसेंस को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही वह सार्वजनिक क्षेत्र की रीइंश्योरेंस कंपनी जीआईसी आरई के बाद निजी क्षेत्र की पहली भारतीय रीइंश्योरेंस कंपनी बन गई है।
बीमा नियामक ने आज जारी एक बयान में कहा, ‘प्राधिकरण ने वैल्यू एटिक्स रीइंश्योरेंस के आर2 आवेदन की समीक्षा करने के बाद उसे मंजूरी दे दी है। इससे वह सार्वजनिक क्षेत्र की रीइंश्योरेंस कंपनी जीआईसी आरई के बाद निजी क्षेत्र की पहली रीइंश्योरेंस कंपनी बन गई है। यह रीइंश्योरेंस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’
आर2 मंजूरी मिलने के साथ ही कंपनी अपना रीइंश्योरेंस कारोबार शुरू करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गई है। मगर वह आवश्यक शुरुआती पूंजी की व्यवस्था करने जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद ही कारोबार शुरू कर पाएगी।
वैल्यू एटिक्स रीइंश्योरेंस का स्वामित्व ओबेन वेंचर्स एलएलपी के पास है जो गोयल और एफएएल कॉरर्पोरेशन द्वारा प्रवर्तित कंपनी है। एफएएल कॉरपोरेशन में फेयरफैक्स फाइनैंशियल होल्डिंग्स के साथ वत्स का निवेश है। वे गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस और गो डिजिट लाइफ इंश्योरेंस के प्रवर्तक भी हैं।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह 210 करोड़ रुपये की शुरुआती चुकता पूंजी के साथ अपना कारोबार शुरू करेगी। भारत में सरकारी स्वामित्व वाली जीआईसी आरई एकमात्र घरेलू रीइंश्योरेंस कंपनी है जो 1972 से ही इस कारोबार में मौजूद है। साल 2021 में बीमा उद्योग के उदारीकरण के बाद जीआईसी आरई को पहले इनकार करने के अधिकार का फायदा मिला। जीआईसी आरई के कारोबार में 31 दिसंबर, 2024 तक घरेलू बाजार से बाध्यकारी कारोबार का हिस्सा 39 फीसदी और गैर-बाध्यकारी कारोबार का हिस्सा 61 फीसदी था।
अभी देश में वैश्विक रीइंश्योरेंस कंपनियों द्वारा स्थापित 13 विदेशी रीइंश्योरेंस शाखाएं (एफआरबी) भी हैं। इनमें म्यूनिख आरई, स्विस आरई, लॉयड्स ऑफ लंदन के भारतीय कारोबार शामिल हैं। साल 2016 में आईटीआई आरई को रीइंश्योरेंस कारोबार के लिए बीमा नियामक से मंजूरी मिली थी। मगर उसने परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण कारोबार शुरू किए बिना मंजूरी वापस कर दी थी। दिसंबर 2018 में बीमा नियामक ने आईटीआई आरई के अधिग्रहण संबंधी गो डिजिट के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। आईटीआई आरई की स्थापना द इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के निवेश के साथ सुधीर वालिया ने की थी।