भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा है कि वित्त-तकनीक (फिनटेक) क्षेत्र की कंपनियां भरोसा बनाने वाला पर्याप्त ट्रैक रिकार्ड तैयार नहीं कर सकी हैं। शंकर ने कहा कि इनके विपरीत बैंक, गैर-बैंकिंग कंपनियां (एनबीएफसी) और म्युचुअल फंड हैं जिन्हें लाइसेंस मिला होने और नियमन में होने से भरोसा बढ़ता है। शंकर ने गुरुवार को यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि फिनटेक कंपनियां के बड़े हिस्से को नियामक से न लाइसेंस मिला है और न ही उनका नियमन है। शंकर ने कहा कि इस वजह से इन कंपनियों के लिए यह साबित करना और भी कठिन हो जाता है कि वे जिम्मेदारी से कारोबार कर रही हैं और उनमें लोगों का भरोसा है।
शंकर ने कहा, ‘सामान्य वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों से तुलना करें तो फिनटेक इकाइयों ने ऐसा कोई पर्याप्त ट्रैक रिकॉर्ड नहीं विकसित किया है जो यह बताए कि वह कितनी भरोसेमंद है। यह ऐसी चीज है जिसमें समय लगता है। यह भी कि कोई इकाई या उद्योग लगातार ऐसे तरीके से व्यवहार करे जिससे भरोसा पैदा हो। ‘ उन्होंने कहा कि फिनटेक उद्योग के स्व-नियामकीय संगठनों (एसआरओ) को इसमें अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
इस सप्ताह के शुरू में आरबीआई ने फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट (फेस) को एक स्व-नियामकीय संगठन (एसआरओ) का दर्जा दिया था।
आरबीआई को फिनटेक एसआरओ के लिए तीन आवेदन मिले थे। शेष दो आवेदनों में एक आरबीआई ने लौटा दिया है, हालांकि इसे दोबारा सौंपे जाने की गुंजाइश है मगर इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होगी। तीसरे आवेदन पर विचार चल रहा है।
शंकर ने इस बात पर जोर दिया कि एक एसआरओ को प्रतिस्पर्द्धा के अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए सतर्कता और निरंतरता के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाजार साख का सबसे बड़ा संकेतक कीमत दक्षता है। फिनटेक उद्योग की दो सबसे बड़ी पहचान हैं जिनमें एक सस्ती लागत और दूसरी तेज सेवा प्रदान करने की है।
शंकर ने कहा, ‘लागत दक्षता तकनीक आधारित होनी चाहिए, न कि नुकसान उठाने की क्षमता। नई तकनीक के पास बेशक कारोबारी रणनीतियां होती हैं जो परंपरागत कारोबार से अलग होती हैं।’
उन्होंने कहा कि एसआरओ को फिनटेक उद्योग को इस तरह बढ़ावा देना होगा कि ऐसी रणनीतियों से स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा बनी रहे। शंकर ने कहा कि तकनीक के माध्यम से एसआरओ मौजूदा वित्तीय बाजार में कमजोरी दूर करने में भी भूमिका निभा सकते हैं।
एसआरओ को उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता और अनुभव देने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। शंकर ने कहा, ‘फिनटेक कंपनियां बाजार में सकारात्मक बदलाव लाने में कामयाब रही हैं। इसका कारण यह है के वे ग्राहकों को गुणवत्ता पूर्ण सेवा देती हैं।
हालांकि, कुछ ऐसे कारोबारी व्यवहार भी सामने आए हैं, जिनके बारे में आप लोग जानते हैं। डार्क पैटर्न जैसी चीजों से फिनटेक कंपनियों को दूर रहना होगा। एसआरओ ऐसी परिपाटियों का पहले ही पता लगा सकते हैं और कंपनियों को आगाह कर सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि फिनटेक इकाइयों को सामाजिक एवं वृहद आर्थिक हितों और प्राथमिकताओं को लेकर भी सजग रहना होगा और इन्हें अपने बिजनेस हितों में शामिल करने से बचना होगा। उन्होंने कहा, ‘केवल एसआरओ ही फिनटेक कंपनियों में यह संस्कृति पैदा कर सकते हैं। तकनीक का लाभ लेकर पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कारोबार करना चाहिए।’