वित्त-बीमा

डिजिटलीकरण से वित्त व्यवस्था में आ रही क्रांति, आम लोगों तक किफायती सेवाओं की पहुंच हो रही बेहतर

दास ने कहा कि डिजिटलीकरण से साइबर सुरक्षा, डेटा की गोपनीयता, डेटा पूर्वग्रह, वेंडर व तीसरे पक्ष के जोखिम और ग्राहक सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां सामने आई हैं।

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- July 29, 2024 | 10:53 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट में कहा कि डिजिटलीकरण से पारंपरिक वित्त व्यवस्था में क्रांति आ रही है और इससे आम लोगों तक किफायती सेवाओं की पहुंच बेहतर हो रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे मानव संसाधन की चुनौतियां भी खड़ी होती हैं, जिसके लिए लोगों को रणनीतिक रूप से कौशल को बढ़ाने और नए सिरे से कुशल बनाने की जरूरत होती है।

दास ने कहा, ‘डिजिटलीकरण से साइबर सुरक्षा, डेटा की गोपनीयता, डेटा पूर्वग्रह, वेंडर व तीसरे पक्ष के जोखिम और ग्राहक सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां सामने आई हैं। परस्पर संबंध में वृद्धि से प्रणालीगत जोखिम भी बढ़ सकता है। इसके अलावा उभरती तकनीकों से कंपनियां ऐसे जटिल उत्पाद और बिज़नेस मॉडल पेश कर सकती हैं जिनमें जोखिम हो सकता है और जिनको इस्तेमाल करने वाले शायद पूरी तरह समझ न पाएं।

इनमें धोखाधड़ी वाले ऐप्स का प्रसार और डार्क पैटर्न के माध्यम से गलत बिक्री शामिल हो सकती है। डिजिटलीकरण से वित्तीय क्षेत्र में मानव संसाधनों के समक्ष चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। ऐसी स्थिति कौशल बेहतर (अपस्किलिंग) और पुन: कौशल (रीस्किलिंग) में रणनीति निवेश करना अनिवार्य हो जाता है।’

इसके अतिरिक्त, उभरती प्रौद्योगिकियां जटिल उत्पादों और व्यापार मॉडलों को पेश कर सकती हैं, जिनमें जोखिम हो सकते हैं, जिन्हें उपयोगकर्ता पूरी तरह से समझ नहीं सकते हैं, जिसमें धोखाधड़ी वाले ऐप्स का प्रसार और डार्क पैटर्न के माध्यम से गलत बिक्री शामिल है। डिजिटलीकरण से मानव संसाधन की चुनौतियां भी खड़ी होती हैं, जिसके लिए लोगों को रणनीतिक रूप से कौशल को बढ़ाने और नए सिरे से कुशल बनाने की जरूरत होती है।

दास के मुताबिक तेजी से बदलती तकनीक के माहौल में वित्तीय स्थायित्व का संतुलन बनाए रखना, उपभोक्ता संरक्षण और प्रतिस्पर्धा प्रमुख नीतिगत चुनौती बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि नियामकीय व पर्यवेक्षी ढांचे को बेहतर बनाया जाना चाहिए। यह ढांचा इन जटिलताओं से निपटने और भविष्य के वित्तीय सिस्टम को दोषरहित बनाने के लिए अधिक उन्नत होना चाहिए। इस क्रम में लक्ष्य यह है कि सुरक्षित, मजबूत व भरोसेमंद माहौल में वित्तीय नवाचारों को बढ़ावा देने के साथ ही प्रभावी नियमन का संतुलन बना रहे।

दास ने रेखांकित किया कि भारत वैश्विक डिजिटल क्रांति में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। भारत अपने मजबूत डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे, तेजी से हो रहे संस्थागत समझौतों, और बढ़ती तकनीक पसंद जनसंख्या की बदौलत अग्रणी के रूप में उभर रहा है।

भारत वैश्विक स्तर पर बायोमेट्रिक आधारित पहचान (आधार) और तत्काल भुगतान में मात्रा के लिहाज से पहले स्थान पर है। भारत टेलीकॉम उपभोक्ताओं के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है और स्टार्टअप ईकोसिस्टम के मामले में तीसरे स्थान पर है।

दास ने कहा कि भारत का महत्त्वपूर्ण भुगतान प्लेटफॉर्म एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन को तेज और अधिक सहज बना रहा है। यह डिजिटल करेंसी का दौर है और इसलिए आरबीआई भी ई-रुपया और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के पायलट परीक्षण की बदौलत इस मामले में अग्रणी है। दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में तकनीक अपनाने से अगली पीढ़ी की बैंकिंग का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। तकनीक की वजह से किफायती कीमत पर वित्तीय सेवाओँ तक पहुंच बढ़ रही है और प्रत्यक्ष हस्तांतरण का असर भी बढ़ रहा है।

प्रत्यक्ष हस्तांतरण के जरिये किफायती तरीके से लक्षित लाभार्थियों को धन पहुंचाया जा रहा है। फिलहाल खुदरा ऋण को ऑनलाइन भुगतान और नवोन्मेषी ऋण आकलन मॉडल से सक्षम बनाया गया है। इससे खुदरा ऋण का तत्काल भुगतान किया जा रहा है और वित्त सुविधा मिलने के साथ ई-कॉमर्स को भी तेजी से बढ़ावा मिला है।

First Published : July 29, 2024 | 10:53 PM IST