अक्टूबर महीने में ज्यादातर दफ्तर निवेश घोषणापत्र (इनवेस्टमेंट डीक्लेरेशन फॉर्म) बांटते है।
इस फॉर्म में वेतनभोगियों से व्यक्तिगत तौर पर उनके निवेशों, आवासीय ऋण पर वित्त वर्ष 2008-09 में लगने वाले ब्याज के अभी तक किए जा चुके पुनर्भुगतान या आगे किए जाने वाले पुनर्भुगतान और मेडिकल इंशोरेंस के लिए प्रीमियमों का ब्योरा मांगा जाता है। इसके अनुसार कंपनियां करों को काटने का प्रावधान करती हैं।
हालांकि, यह देखा गया है कि कई लोग इस फॉर्म को उनकी ओर से किए जाने वाले निवेश के सही आंकड़ों के बिना ही भर देते है। और ऐसे में कर बचाते के लिए फरवरी और यहां तक कि मार्च में अस्त-व्यस्त तरीके से आखिरी क्षणों में निवेश किया जाता है।
केपीएमजी के कार्यकारी निदेशक विकास वसल का कहना है, ‘यही वजह है कि कर बचत वाली योजनाओं जैसे कि इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस) और यूनिट-लिंक्ड बीमा योजना (यूलिप) की सबसे ज्यादा बिक्री मार्च महीने में होती है।’
उनके अनुसार क्योंकि ज्यादातर साल के शुरु में ही करों की योजना के महत्व को नहीं समझ पाते, इसलिए अंत में उनके वित्त पर भारी बोझ पड़ता है। कर योजना के नए साल के साथ ही शुरू करना बेहद जरूरी है।
उदारहण के लिए अगर आप एक साल में 1 लाख रुपये आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत आने वाली किसी योजना में लगाना चाहते है, तो आपको हर महीने 8,333 रुपये लगाने होते हैं। और अगर अब तक आपने यह निवेश नहीं किया है और अब अक्टूबर में शुरू करना चाहते हैं, जहां अभी भी वित्त वर्ष के समाप्त होने में 6 महीने बाकी हैं तो आपके लिए यह एक अच्छा मौका है कि आप बेहतर तरीके से योजना बनाएं।
इक्विटी लिंक्ड बचत योजना : लंबे समय के लिहाज से देखा जाए तो संपत्ति की एक श्रेणी के मद्देनजर इक्विटी अन्य किसी भी कर बचत योजना के मुकाबले काफी बेहतर योजना है। लेकिन इससे अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करने के लिए सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिये लगातार निवेश करने की जरूरत है।
निवेशक की सबसे बड़ी भूल यह है कि वह एक साथ मार्च में अपना निवेश करता है। जैसा कि इक्विटी बाजार इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा हैं, निवेशक इस समय अधिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए बाजार में कदम रख सकते हैं।
एक सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर सजग सांघवी का कहना है, ‘अगर निवेशक ईएलएसएस में सिप के जरिये निवेश करता है, तो इस निवेश से न सिर्फ उसे अधिक शेयर मिलेंगे, बल्कि अगर आज जैसा संकट भविष्य में दोबारा कभी देखने को मिलता है तो उस वक्त वह अपने निवेश की असल कीमत को अच्छी तरह से संरक्षित रख सकता है।’
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) : फाइनैंशियल प्लानरों का कहना है कि डेट आधारित सभी उपलब्ध विकल्पों में सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) निवेश की बेहतरीन योजना है। पीपीएफ खाते से आपके निवेश पर आपको सीधे-सीधे 8 प्रतिशत रिटर्न मिलता है। लेकिन यह ब्याज आपको हर महीने की 1 और 4 तारीख पर मिलता है।
इसलिए बेहतर है कि सबसे अधिक ब्याज कमाने के लिए हर महीने के शुरुआती दिनों में ही निवेश किया जाए। बल्कि वित्त वर्ष के अंत मार्च में एक साथ पूरा पैसा पीपीएफ में लगाने से बढ़िया है कि आप वित्त वर्र्ष की शुरुआत अप्रैल महीने में ही अधिकतम सीमा 70,000 रुपये निवेश करें। इस तरीके से आपको पैसे पर साल भर ब्याज मिलेगा।
पीपीफ को निवेश के लिहाज से और भी अधिक आकर्षित बनता है, पूरी तरह से कर-मुक्त उसका रिटर्न। पीपीफ खाते की सबसे पहली अवधि 15 वर्ष तक की हो सकती है। इसके बाद इस खाते का आप तीन बार पांच-पांच महीनों के लिए नवीकरण करा सकते हैं। लेकिन पीपीफ में हर साल अधिक से अधिक 70,000 रुपये का निवेश किया जा सकता है।
आवासीय ऋण : यह आयकर कानून की धारा 24 के तहत आता है, जहां आपको 1 लाख रुपये तक के ब्याज के पुनर्भुगतान पर लाभ मिलता है। 1 लाख रुपये तक मूलधन के पुनर्भुगतान पर धारा 80सी के तहत लाभ मिलता है।
हालांकि मूलधन के मामले में, 1 लाख रुपये का पूरा कर लाभ सभी योजनाओं जैसे कंपनी भविष्य निधि योगदान, सार्वजनिक भविष्य निधि योगदान, जीवन बीमा प्रीमियम, राष्ट्रीय बचत पत्र और अन्य योजनाओं में है। अगर दूसरे घर के लिए आवासीय ऋण लिया जाता है तो पूरी ब्याज राशि के लिए निवेशक को छूट मिल सकती है।
अन्य योजनाएं: इसके अलावा तो योजनाएं धारा 80सी के तहत घोषित की गई है, उनमें पांच साल या उससे अधिक के लिए बैंक खाता और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) है। कर दाता अधिक से अधिक दो बच्चों की स्कूल फीस, 12,000 रुपये प्रति बच्चा, पर छूट का दावा कर सकता है।
साथ ही जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भी 1 लाख रुपये तक कर छूट के योग्य हैं। लेकिन अगर पॉलिसी की अवधि के दौरान दिए गए प्रीमियम कुल बीमा राशि के 20 प्रतिशत से अधिक है, तो छूट सिर्फ बीमा पॉलिसी की कुल राशि के 20 प्रतिशत तक ही प्रीमियम के भुगतान पर मिलेगी।