वित्त वर्ष 2020-21 और आकलन वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है, जिसमें बमुश्किल दो हफ्ते से भी कम समय बचा है। इसलिए जिन करदाताओं ने रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की है, उन्हें फौरन यह काम शुरू कर देना चाहिए। इसमें पहला कदम होता है सही आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म चुनना।
मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी – एडवोकेट्स, सॉलिसिटर्स ऐंड कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर निखिल वर्मा कहते हैं, ‘कौन सा आईटीआर फॉर्म इस्तेमाल करना है, यह करदाता की आय की मात्रा तथा प्रकृति पर निर्भर करता है।’ कर विभाग ने आकलन वर्ष 2021-22 के लिए सभी आईटीआर फॉर्म (एक से सात) मामूली बदलाव के साथ अधिसूचित कर दिए हैं। इन सात फॉर्म में से चार – आईटीआर-1 से आईटीआर-4 – व्यक्तिगत करदाताओं के काम के हैं।
आईटीआर-1
अगर आप वेतनभोगी हैं अथवा पेंशन पाते हैं, भारत के सामान्य निवासी हैं और वित्त वर्ष 2021 में आपकी कुल आय 50 लाख रुपये तक ही थी तो आईटीआर-1 आपके लिए एकदम सही फॉर्म है। यदि आपको अन्य स्रोतों जैसे बैंक जमा से ब्याज अथवा आवासीय संपत्ति से आय होती है तो भी आईटीआर-1 का इस्तेमाल कर सकते हैं। 5,000 रुपये तक की कृषि आय वाले भी आईटीआर-1 का प्रयोग कर सकते हैं।
आईटीआर-2
जिस करदाता की वेतन से आय 50 लाख रुपये से अधिक है, उसे आईटीआर-2 या 3 इस्तेमाल करना होता है। हिंदू अविभाजित परिवार के करदाताओं को भी इसी फॉर्म का प्रयोग करना होगा।
प्रिवी लीगल सर्विस एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर मोइज रफीक कहते हैं, ‘जिनको अंतरराष्ट्रीय आय होती है, उन्हें तो अपने रिटर्न आईटीआर-2 में ही दाखिल करने चाहिए।’
जिन्हें एक से अधिक आवासीय संपत्ति से पूंजीगत लाभ या हानि हुए हैं, उनके लिए भी आईटीआर-2 या 3 हैं। इसी प्रकार आवासीय संपत्ति से नुकसान को अगले साल लाने वाले यानी कैरी फॉरवर्ड करने वाले भी इन्हीं फॉर्मों का प्रयोग करेंगे।
जिन करदाताओं के पास पिछले वित्त वर्ष में किसी भी समय गैर सूचीबद्घ कंपनियों के शेयर रहे हों, वे भी इन्हीं का प्रयोग करें। ये फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए भी लागू होते हैं, जो किसी कंपनी में निदेशक थे।
यदि खेती से आपकी आय 5,000 रुपये से अधिक है और आप ऐसे हिंदू अविभाजित परिवार हैं, जो आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म इस्तेमाल करने के योग्य नहीं हैं तो भी आप इसी फॉर्म का इस्तेमाल करें। यदि आपकी ‘व्यापार अथवा व्यवसाय से लाभ अथवा हानि’ के मद में कोई आय नहीं है तो भी यह फॉर्म आपके लिए है।
विक्टोरियम लीगलिस – एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा बताते हैं, ‘यदि जीवनसाथी और बच्चों की आय ऊपर बताई गई आय श्रेणियों में आती है तो उसे भी करदाता की आय के साथ जोड़ा जा सकता है।’
आईटीआर-3
यह फॉर्म उन लोगों के लिए लागू होता है, जो सामान्य निवासी नहीं हैं और अप्रवासी व्यक्ति हैं तथा कारोबार अथवा व्यवसाय से जिनकी आय धारा 44एडी, 44एडीए और 44एई के तहत आती है। यह सामान्य निवासी एवं अप्रवासी व्यक्ति के लिए नहीं है।
यदि आप किसी फर्म में साझेदार हैं और आपको वेतन, बोनस, कमीशन अथवा मुनाफे में हिस्सा मिलता है तो आपको आईटीआर-3 इस्तेमाल करना होगा। आईटीआर-2 के तहत पात्र आय मद इस फॉर्म में भी लागू होते हैं।
आईटीआर-4
यह बुनियादी तौर पर भारत के उन निवासियों के लिए है, जिनकी कारोबार अथवा व्यवसाय से होने वाली आय की गणना धारा 44एडी, 44एडीए अथवा 44एई के तहत की जाती है। हिंदू अविभाजित परिवार भी आईटीआर-4 का प्रयोग कर सकते हैं।
गलती सुधारने का मौका
यदि करदाता ने गलत फॉर्म इस्तेमाल कर लिया है तो आयकर अधिकारी उसके रिटर्न को आयकर अध्ािनियम की धारा 139(9) के तहत त्रुटिपूर्ण मान सकता है। करदाता को तय समयसीमा के भीतर संशोधित रिटर्न भरकर गलती सुधारने का विकल्प दिया जाता है। यदि वह तय समय में गलती नहीं सुधारता है तो उसके रिटर्न को अवैध माना जा सकता है और यह मानकर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है कि उसने रिटर्न भरा ही नहीं।
यदि करदाता 31 दिसंबर तक रिटर्न दाखिल करने से चूक जाता है तो वह विलंब शुल्क के साथ देर से रिटर्न भर सकता है। वर्मा कहते हैं, ‘यह काम अंतिम तिथि के तीन महीने बाद तक कर लेना चाहिए। हां, यदि ऐसी कर देनदारी है, जो चुकाई ही नहीं गई है तो देर से रिटर्न भरने पर करदाता को ब्याज भरना पड़ सकता है।’