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देसी कंपनियां चलीं विदेशी बाजार, अमेरिकी ब्याज दर में गिरावट से अभी और बढ़ सकती है भारतीय फर्मों के बॉन्ड की संख्या

वित्त वर्ष 2025 में सितंबर तक भारतीय कंपनियों ने विदेशी बॉन्ड बाजार में 36 बॉन्ड जारी किए हैं। इन बॉन्ड के जरिये कंपनियों ने कुल 29,029 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

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सुब्रत पांडा   
अंजलि कुमारी   
Last Updated- October 17, 2024 | 11:06 PM IST

भारतीय कंपनियां आने वाले महीनों में विदेशी बॉन्ड बाजारों में बॉन्ड जारी करने में अधिक रुचि दिखा सकती हैं। अमेरिका में ब्याज दर में कमी, सुरक्षा प्रावधान (हेजिंग) पर शुल्क घटने और अधिक यील्ड (प्रतिफल) वाले बॉन्ड के प्रति बढ़ती चाहत के बीच भारतीय कंपनियां विदेशी बॉन्ड बाजार का रुख कर सकती हैं।

प्राइमडेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में सितंबर तक भारतीय कंपनियों ने विदेशी बॉन्ड बाजार में 36 बॉन्ड जारी किए हैं। इन बॉन्ड के जरिये कंपनियों ने कुल 29,029 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

वित्त वर्ष 2024 में भारतीय कंपनियों ने 45,000 करोड़ रुपये मूल्य के 18 बॉन्ड जारी किए थे। वित्त वर्ष 2023 में तीन बॉन्ड निर्गमों के जरिये 15,592 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में भारतीय कंपनियों विदेश में बॉन्ड जारी कर कुल 99,172 करोड़ रुपये जुटाए थे जबकि, वित्त वर्ष 2021 में यह रकम 65,988 करोड़ रुपये रही थी।

रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्ण श्रीनिवासन कहते हैं, ‘अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद आगे चलकर विदेशी बाजार में भारतीय कंपनियों के बॉन्ड की संख्या बढ़ सकती है। कंपनियां रकम जुटाने के स्रोतों का दायरा बढ़ा रही हैं ताकि घरेलू बॉन्ड बाजार में बॉन्ड यील्ड स्प्रेड पर असर न पड़े। इसे देखते हुए वे विदेशी बाजार में बॉन्ड जारी कर रकम जुटा रही हैं। मर्चेंट बैंकरों ने अब हेजिंग पर शुल्क भी कम कर दिए हैं।’

श्रीनिवासन ने कहा कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण विदेशी बाजार में भारतीय बॉन्ड की काफी मांग है। उन्होंने कहा, ‘कुछ क्षेत्र जैसे नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियां घरेलू बॉन्ड बाजार में रकम की कमी का सामना कर रही हैं जिसे देखते हुए वे विदेशी बॉन्ड बाजार का रुख कर रही हैं। एनबीएफसी को बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों पर जोखिम भार (रिस्क वेटेज) बढ़ने से पहले की तुलना में अब अधिक एनबीएफसी विदेशी बॉन्ड बाजार में दांव आजमा रही हैं।’

वैश्विक स्तर पर यील्ड में तेजी और अधिक हेजिंग शुल्क के कारण वर्ष 2023 में भारतीय कंपनियां विदेशी बॉन्ड बाजार से ज्यादातर दूर रही थीं। मगर 2024 में स्थिति अब पलटी है और कंपनियां देश से बाहर बॉन्ड जारी करने में उत्साह दिखा रही हैं। वैश्विक निवेशकों में ऊंची यील्ड की चाहत इसके पीछे एक बड़ा कारण रही है।

फिक्स्ड इनकम के जानकार अजय मंगलुनिया के अनुसार फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती और मुद्रा में स्थिरता से भारतीय कंपनियां विदेशी बॉन्ड बाजार में अपने बॉन्ड की कीमत निर्धारित करने के लिए अब बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, ‘ये बॉन्ड अमूमन परिवर्तित दरों पर जारी किए जाते हैं और मांग बढ़ने पर इनमें तब्दीली की जा सकती है। अमेरिका में ब्याज दर में कमी के बाद अल्प अवधि की दरें तेजी से कम हुई हैं और ज्यादातर उधारी 2 से 3 वर्षों के लिए ली जा रही है।’

First Published : October 17, 2024 | 11:06 PM IST