प्रतिकूल समय शायद सभी के लिए खराब नहीं होता।
लगभग 16 फीसदी (अग्रिम और जमा दोनों में) की भागीदारी के साथ देश का सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अपनी भागीदारी में इजाफा कर और मुनाफा कमाना चाहता है।
इसका व्यापक ब्रांच नेटवर्क इस बुरे दौर में भी कारोबार भागीदारी में सुधार के प्रबंधन के स्वरूप को बरकरार रखेगा।
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों पर बैंक द्वारा ध्यान केंद्रित किया जाना इसे अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे बनाए रखेगा। एसबीआई का इसके संबद्ध बैंकों के साथ समेकन इसे दीर्घावधि निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प मुहैया कराता है।
गांवों पर पकड़
ग्रामीण और कृषि क्षेत्र बैंकिंग उद्योग की ओर से पूरी तरह प्रवेश किया जाना अभी भी बाकी है। गांवों में लगभग 13 फीसदी बैंक शाखाएं तो एसबीआई की ही हैं। एसबीआई की ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों में लगभग 7100 शाखाएं हैं।
बैंक ने 2010 तक ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी इलाकों में अपनी शाखाओं के नेटवर्क को बढ़ा कर लगभग 10,000 करने की योजना बनाई है।
भरी हुई तिजोरी
पिछले 5 वर्षों में बैंक की कुल ब्याज आय और शुद्ध मुनाफे में क्रमश: 12.5 फीसदी और 16.3 फीसदी की दर से इजाफा हुआ है। 2009 की पहली छमाही में इसका शुद्ध मुनाफा 29 फीसदी तक बढ़ा है जो पांच वर्षों के औसतन बढ़त से काफी अधिक है।
बैंक को समान अवधि में अपने संचालन खर्च में कम इजाफा होने के कारण यह बढ़त हासिल हुई है। इसकी अग्रिम राशि वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही में साल दर साल 37 फीसदी की दर से बढ़ी जो वित्त वर्ष 2008 की 23.5 फीसदी की तुलना में अधिक है।
एसबीआई की क्षमता बढ़ी है और लागत तथा आय का अनुपात भी सुधरा है। पिछले वित्त वर्ष में यह अनुपात 54 फीसदी था, जो इस साल पहली छमाही में 45 फीसदी पर आ गया है।
एसबीआई विस्तार के तहत अगले साल के दौरान लगभग 25,000 कर्मचारियों को शामिल करने और लगभग 1500 शाखाओं को जोड़ने की योजना बना रहा है जिससे अल्पावधि में इसके लागत और आय का अनुपात बढ़ सकता है।