बीएस बातचीत
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति में बाहरी सदस्य के तौर पर शामिल जयंत आर वर्मा का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि मुद्रास्फीति जब आपूर्ति पक्ष के संचालित हो तब मौद्रिक नीति अप्रभावी हो जाती है। एमपीसी में असहमति रखने वाले एकमात्र सदस्य वर्मा ने मनोजित साहा के साथ बातचीत मेें रिजर्व बैंक के उदार रुख के खिलाफ अपने मत के बारे में चर्चाकी। पेश हैं मुख्य अंश:
टिकाऊ आधार पर वृद्घि में सुधार होना अभी बाकी है और मुद्रास्फीति में मौजूदा स्तर से तेजी से कमी आने की उम्मीद है, ऐसे में मौद्रिक समिति के उदार रुख के खिलाफ मत देने की मुख्य वजह क्या है?
मुद्रास्फीति और वृद्घि दोनों मोर्चों पर उच्च स्तर की अनिश्चितता है और जिस तरह से दोनों छोर को संतुलित किया जा रहा है उसमें मुझे जोखिम नजर आता है। इस तरह की परिस्थिति में यह स्वाभाविक है कि नीतिगत रुख निष्पक्ष रखा जाना चाहिए। मैं आज दरों को कम रखने का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन मेरे विचार से भविष्य में भी दरों को कम रखने की प्रतिबद्घता जताना बुद्घिमानी नहीं है। हमें चुपचाप रहकर वृद्घि और मुद्रास्फीति के क्षेत्र में उठने वाले झटकों पर प्रतिक्रिया देने की अपनी क्षमता को बाधित नहीं करना चाहिए।
क्या आप इस बारे में कुछ कहेंगे कि आपने क्यों कहा कि महामारी के बुरे असर के बारे में निरंतर बात करते रहने का नकारात्मक असर हुआ है?
महामारी की स्थिति होने की वजह से मौद्रिक नीति को 2019 में आरंभ हुई कारोबारी चक्र में सुस्ती से निपटना पड़ा है। महत्त्वपूर्ण बात यह समझने की है कि हम इस चक्र में कहां खड़े हैं। क्या हम चक्रीय वृद्घि की रिकवरी के मुहाने पर हैं या हम विस्तारित अवधि के लिए गर्त में रहने जा रहे हैं? इसी तरह क्या मुद्रास्फीति एक क्षणिक स्थिति है या फिर लंबे वक्त तक रहने वाली है? इनके लिए गहराई से विश्लेषणात्मक विचार की आवश्यकता है लेकिन महामारी पर ही लगातार ध्यान देने से इन मुश्किल प्रश्नों पर से ध्यान भटकता है और यथास्थिति को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति अनुमान पर एकराय से एमपीसी सदस्यों द्वारा स्वीकृत तथ्य पर आपकी क्या राय है?
मेरे लिए फैन चार्ट का मुख्य हासिल 4.2 फीसदी या 4.5 फीसदी का बिंदु अनुमान न होकर उसकी बड़ी चौड़ाई है। अनिश्चितता इतनी बड़ी है कि बिंदु अनुमान का बहुत अधिक मतलब नहीं है। विश्लेषकों से रिजर्व बैंक के अनुमानों और अधिक युद्घकारी अनुमानों के बीच का जो अंतर मैंने पाया वह किसी और के अंदाजे से बहुत कम महत्त्वपूर्ण है।
क्या आपको लगता है कि यदि मुद्रास्फीति के स्रोत आपूर्ति पक्ष की तरफ से हैं तो मौद्रिक नीति पूरी तरह से अप्रभावी हो जाती है?
बिल्कुल नहीं। आपूर्ति झटकों का समायोजन संबंधित कीमतों में होना चाहिए और मौद्रिक नीति का काम सामान्य कीमत स्तर को इनसे प्रभावित होने से रोकना है। फिलहाल, आपूर्ति झटकों से सेवाओं से अधिक वस्तुओं पर असर पड़ रहा है। संबंधित कीमतों में बदलाव जो सेवाओं को सस्ती करती हैं, से कमी वाले वस्तुओं से प्रचुर सेवाओं की तरफ मांग को मोडऩे में मदद करते हैं और इस प्रकार अर्थव्यवस्था दोबारा से संतुलित हो जाती है। इसकी वजह से मुद्रास्फीति में बदलाव होने का कोई कारण नहीं है।
सकारात्मक ब्याज दरों की किस सीमा से आप सहज होंगे
यह वृद्घि और मुद्रास्फीति के परिणामों पर निर्भर करता है और मौजूदा चरण में मैं उसके बारे में सटीक नहीं बोलना चाहता।
यूक्रेन में रूस के आक्रमण से भूराजनीतिक तनाव गहरा गया है। क्या इसका आपके विचार पर असर पड़ेगा।
मेरा वक्तव्य इसके साथ शुरू हुआ था कि भूराजनीतिक तनाव अब महामारी से अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं और इनकी वजह से मुझे अपने विचार में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है। यूक्रेन की स्थिति वृद्घि और मुद्रास्फीति दोनों के लिए झटका है और यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि कौन सा झटका बड़ा होगा।