भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कंपनियों द्वारा विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) की पुनर्खरीद या पुनर्भुगतान की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा सकता है।
घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि आरबीआई ने यह पाया है कि तरलता की कड़ी स्थिति और फंड लागत की ऊंची कीमतों की वजह से कंपनियों को पुनर्खरीद के जरिये फंड उगाही में समस्याएं आ रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि आरबीआई इस बाबत समूचे नए वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए सुविधाओं के विस्तार पर भी विचार कर रहा है, क्योंकि पुनर्खरीद कार्यक्रम की फंडिंग के लिए कई कंपनियां आंतरिक संसाधनों के तौर पर पूरी तरह से तैयार नहीं है।
हालांकि अभी इसकी समीक्षा चल रही है और इस महीने के अंत तक इस पर निर्णय किया जाना है। इस संबंध में मूल योजना 31 मार्च 2009 को समाप्त हो रही है। दरअसल पैसे की बिगड़ती स्थिति की वजह से एफसीसीबी के पुनर्खरीद पर निर्णय करने की जरूरत आ पड़ी है।
उभरते हुए बाजार परिसंपत्ति में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्डों को चलाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इस वजह से बॉन्ड मूल्य में गिरावट दर्ज की जा रही है।
विदेशी निवेशक भी इस तरह के बॉन्ड को परिवर्तित करने में कोई संभावना नहीं देखते हैं, क्योंकि अगर बॉन्ड से इक्विटी में परिवर्तन मूल्य की बात करें, भारतीय शेयर बुरी तरह से धड़ाम हो रहे हैं।
इस तरह की परिस्थिति में सबसे बेहतर विकल्प है कि प्रमोटर या जारी करने वाले इन बॉन्डों की पुनर्खरीद करें। आरबीआई द्वारा दिसंबर 2008 में इस योजना की घोषणा के बाद 18 से 20 कंपनियों ने ऐसा करना शुरू कर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस कम्युनिकेशन ऐसी पहली कंपनी थी, जिसने आरबीआई के इस नई दिशा निर्देशों का पहले पहल फायदा उठाया था और एफसीसीबी की पुनर्खरीद की थी।
पुनर्भुगतान या पुनर्खरीद की मियाद 6 महीने बढ़ाने की है योजना
कंपनियों को पुनर्खरीद से नहीं मिल पा रहा है आसान पैसा
इसी महीने के अंत तक हो जाएगा फैसला
कंपनियों को मंदी में मिलेगी खासी राहत